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उत्तर प्रदेश के रहने वाले अरविंद कुमार(Arvind Kumar) ने एनईईटी की परीक्षा पास कर, कबाड़ी का काम करने वाले अपने पिता को उस शर्मिंदगी से बाहर निकाला है, जो उन्हें उनके काम और नाम के कारण झेलनी पड़ती थी।
आमतौर पर ऐसा देखा जाता है की छात्र डॉक्टर बनने या मेडिकल फील्ड में जाने के लिए एनईईटी की परीक्षा देते हैं। लेकिन कुशीनगर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले अरविंद कुमार(Arvind Kumar) का इस परीक्षा को पास करने का मकसद कुछ अलग था।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 26 वर्षीय अरविंद(Arvind Kumar) ने यह परीक्षा केवल डॉक्टर बनने के लिए नहीं बल्कि अपने पिता, भिखारी को समाज में साम्मान दिलाने की खातिर उत्तीर्ण की। उनके पिता को उनके नाम और काम की वजह से अक्सर अपमान सहना पड़ता था, लेकिन अब उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया है।
लेकिन अरविंद के लिए यह परीक्षा पास करना इतना आसान भी नहीं था। इस साल वे 9वीं बार परीक्षा में बैठे और ओबीसी कैटगरी में 4,392वां स्थान पाया।
अरविंद कहते हैं, “मैं नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल कर वहीं से मोटिवेशन ढूंढ लेता हूं। इसलिए हर साल प्रयास किया और बढ़ते नंबरों से यह उम्मीद बंधी रही कि एक दिन अवश्य ही परीक्षा पास कर लूँगा”।
गौरतलब है कि अरविंद(Arvind Kumar) के पिता, 2 दशक पहले, परिवार के पालन-पोषण के लिए जमशेदपुर चले गए थे। लेकिन जल्द ही बच्चों की बेहतर पढ़ाई के लिए वे अपने परिवार के साथ कुशीनगर जाकर बस गए। अरविंद को 10वीं में कुल 48.6% और 12वीं में कुल 60% अंक प्राप्त हुए और उसके बाद उन्होने अपने पिता का सपना पूरा करने की ठानी।
अरविंद कुमार(Arvind Kumar) बताते हैं कि वे भविष्य में ऑर्थोंपेडिक सर्जन बनकर लोगों की सेवा करना चाहते हैं।
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