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इनकम टैक्स से जुड़े इन नियमों में होने जा रहा है बदलाव, जानें आप पर क्या होगा असर!

Income Tax Rules: मार्च के महीने को हर साल वित्तीय मामलों के लिए बेहद अहम माना जाता है। इस महीने की 31 तारीख तक अमूमन हर साल सभी वित्तीय मामलों को निपटाने का काम किया जाता है और 1 अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत मानी जाती है। इनकम टैक्स रिटर्न जरूरी वित्तीय कार्य भी मार्च के अंत तक निपटा लिए जाते हैं। लेकिन इस साल कोरोना वायरस की वजह से 21 दिनों के लिए पूरे देश को लॉकडाउन कर देने की वजह से वित्तीय मामलों पर काफी प्रभाव पड़ा है। इसी को देखते हुए सरकार ने इस समय इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। आइये आपको बताते हैं, कौन से हैं वो प्रमुख नियम और इसका आपकी जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

सरकार ने बढ़ाई इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेट

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, हर साल इनकम टैक्स फाइल करने की आखिरी डेट 31 मार्च होता है। लेकिन इस साल कोरोना वायरस के प्रभाव को देखते हुए और 21 दिनों के लॉकडाउन की वजह से इनकम रिटर्न फाइल करने की डेट को बढ़ाकर अब 30 जून कर दिया गया है। इसके साथ ही साथ आधार कार्ड को पैन से लिंक करवाने की तारीख भी अब बढ़ाकर 30 जून कर दी गई है। जानकारी हो कि, भारत में करीबन 17 करोड़ ऐसे लोग हैं जिन्होनें अपने आधार को पैन से लिंक नहीं किया है।

यह भी पढ़े लॉकडाउन की वजह से 31 मार्च के बाद भी बढ़ा दी गई है सभी फाइनेंसियल डेट !

इनकम टैक्स के इन पांच नियमों में किए जा रहे हैं बदलाव (Income Tax Rules)

इनकम टैक्स के पांच नियमों में होने जा रहे बदलावों में से पहला नियम है, इस साल बजट 2020 में घोषित नए टैक्स स्लैब के साथ ही पुराने टैक्स स्लैब को फॉलो करने का ऑप्शन भी लोगों के पास रहेगा। इसके साथ ही साथ जिन लोगों की सैलरी ढाई लाख रुपया सालाना है उन्हें किसी प्रकार का टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा। इसके अलावा पांच लाख रूपये सलाना इनकम वाले व्यक्ति को पांच प्रतिशत, पांच लाख से साढ़े सात लाख रूपये सलाना इनकम वाले व्यक्तियों को दस प्रतिशत, साढ़े सात से दस लाख रुपया सलाना इनकम वाले व्यक्तियों को हर साल 15 प्रतिशत टैक्स चुकाना होगा।

इसके साथ ही साथ विभिन्न कंपनियों और म्यूच्यूअल फंड्स की तरफ से चुकाए जाने वाले डिविडेंट डस्ट्रीब्यूशन टैक्स को भी अब खत्म कर दिया गया है। इनकम टैक्स के अन्य नियमों के अनुसार यदि ईपीएफ में कर्मचारी का डिस्ट्रीब्यूशन साढ़े सात लाख से ज्यादा होता है तो, कर्मचारियों को भी टैक्स चुकाना होगा। ये नियम नए और पुराने दोनों स्लैब में एक समान हैं। होम लोन के ब्याज पर ग्राहकों को करीबन साढ़े तीन लाख रूपये तक की छूट दी जा रही है। इसका फायदा उनलोगों को होगा जो इस साल घर खरीदने जा रहे हैं। स्टार्टअप कंपनियों को पांच साल तक कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा।

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Indira Jha

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