दुनियाभर में कोरोना वायरस की चपेट में आने से मरीजों की मौतें हो रही हैं। अब तक कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों का आंकड़ा 53 हजार को भी पूरी दुनिया में पार कर गया है। इसी बीच बेल्जियम से एक ऐसी खबर सामने आ रही है, जो प्रेरणा देने वाली है। यह एक ऐसी खबर है जो इतने संकट के माहौल के बीच भी थोड़ी सकारात्मकता का और इंसानियत के जिंदा होने का सुखद एहसास कराती है। इंसानियत और त्याग की यह मिसाल एक 90 साल की महिला ने पेश की है।
बताया जा रहा है कि बेल्जियम में एक 90 साल की बुजुर्ग दादी को कोरोना का संक्रमण पाए जाने के बाद इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता थी। जब डॉक्टर उन्हें वेंटिलेटर लगाने लगे तो इन्होंने वेंटिलेटर की सुविधा लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मैंने तो अपनी जिंदगी जी ली है। यह वेंटिलेटर तो आप युवा मरीजों के लिए बचा कर रखिए, जिनकी जान बचानी ज्यादा जरूरी है। दादी का नाम सुजान होयलर्ट्स बताया जा रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने के बाद इन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी, जिसके बाद एक अस्पताल में इन्हें भर्ती कराया गया था।
वेंटिलेटर लेने से मना करने के दो दिनों के बाद इस बुजुर्ग दादी की CIVID-19 की वजह से आखिरकार मौत हो गई। दुनियाभर में कोरोना वायरस की वजह से मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मौत का खतरा एक बड़ी आबादी पर मंडरा रहा है। ऐसे में इस बुजुर्ग महिला ने जिस तरह का त्याग किया है और जो इंसानियत उन्होंने युवा पीढ़ी के लिए दिखाई है, पूरी दुनिया में लोग उसे सलाम कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि बीते 20 मार्च को लूबेक के पास बिनकोम में रहने वाली सुजान होयलर्ट्स को अचानक भूख लगनी बंद हो गई थी। सांस लेने में भी उन्हें दिक्कत हो रही थी। जब जांच हुई तो पता चला कि वे कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार हो गई हैं। इसके बाद उन्हें अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड में एडमिट कर दिया गया और उनका इलाज शुरू किया गया। हालांकि, इसके बाद उनकी तबीयत और बिगड़ने लगी। ऐसे में डॉक्टर आर्टिफिशियल रेस्पिरेशन का इस्तेमाल उनके लिए करने जा रहे थे। तभी इस बुजुर्ग महिला ने डॉक्टरों को ऐसा करने से रोक दिया। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि मैं आर्टिफिशियल रेस्पिरेशन का इस्तेमाल नहीं करना चाहती हूं। इसे आप युवा मरीजों के लिए बचा कर रखिए, जिन्हें इसकी आगे आवश्यकता होगी। मैंने तो जितनी जिंदगी जीनी थी, उतनी जी ली है।
अस्पताल में भर्ती किए जाने के दो दिनों के बाद ही दादी ने अंतिम सांस ले ली। इसके बाद उनकी बेटी जुडिथ इससे बहुत ही दुखी नजर आईं। उनका कहना था कि वे अपनी मां को अलविदा तक नहीं कह सकीं। वे अंतिम बार उनसे मिल भी नहीं सकीं। न ही वे उनके अंतिम संस्कार में शामिल हो सकीं। बेटी इस बात से हैरान थीं कि आखिर उनकी मां को कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ कैसे? बेटी के अनुसार उनकी मां ने खुद को आइसोलेशन में रखा हुआ था। फिर भी उनका कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार हो जाना हैरान कर रहा है।
बेल्जियम में कोरोना मरीजों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। अब तक लगभग 13 हजार मरीज यहां कोरोना के सामने आ चुके हैं। इनमें से 705 मरीजों की जान भी चली गई है। वेंटिलेटर का इस्तेमाल बेल्जियम में गंभीर तरीके से बीमार मरीजों की जान बचाने के लिए किया जा रहा है।
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