पॉजिटिव स्टोरी

स्कूल कम बोटेनिकल गार्डन ज्यादा दिखता है बिहार का ये स्कूल, (Bihar School) प्रिसिंपल ने छेड़ी अनोखी मुहिम

Bihar School: बच्चों को जब कोई शिक्षक पढ़ाता है तो यदि वह शिक्षक खुद भी उस ज्ञान को अपने जीवन में समाहित कर ले तो बच्चों पर उसका असर ज्यादा होता है। बच्चे उस चीज को ज्यादा समझते हैं और अपने जीवन में उतारते भी हैं। बिहार के भागलपुर में एक शिक्षक ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है। इनका नाम है राजा बोस। बिहार स्कूल (Bihar School) के इस शिक्षक के घर को आप देखेंगे तो इनके घर में सैकड़ों प्रकार के पेड़-पौधे आपको देखने को मिल जाएंगे। केवल घर के बाहर ही नहीं, बल्कि घर के अंदर भी ढेरों पेड़-पौधे यहां मौजूद हैं।

यहां से मिली प्रेरणा

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राजा बोस न्यू सेंचुरी स्कूल के प्रिंसिपल हैं। वे अपने स्टूडेंट्स को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने में लगे हुए हैं। इसलिए सबसे पहले उन्होंने खुद पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनते हुए पेड़-पौधे लगाने का फैसला किया। उनके मुताबिक उन्होंने गार्डन सिटी बेंगलुरु से इसे लेकर प्रेरणा पाई है।

सैकड़ों प्रजातियों के पेड़-पौधे

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आपको यह जानकर शायद ताज्जुब होगा कि उनके घर में करीब 300 से 400 प्रजाति के पेड़-पौधे मौजूद हैं। उन्होंने दुनियाभर से अपना संपर्क बना कर रखा है। एक वेब सर्किल उन्होंने बना रखी है, जिसके माध्यम से वे दुनियाभर के लोगों से जुड़कर पेड़-पौधों के बारे में नई-नई जानकारी वे प्राप्त करते रहते हैं और उनके मुताबिक वे अपने पेड़-पौधों की देखभाल भी कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वे प्राकृतिक खाद तैयार कर रहे हैं और इन्हीं का इस्तेमाल वे पेड़-पौधों के लिए करते हैं। इससे प्रदूषण नहीं फैलता है।

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स्टूडेंट्स को भी सिखाया

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स्टूडेंट्स को पर्यावरण के प्रति और संवेदनशील बनाने के लिए एवं पर्यावरण के संरक्षण के प्रति उनमें जागरूकता पैदा करने के लिए राजा बोस ने लिव विद नेचर के नाम से एक अभियान भी चला रखा है। बागवानी कैसे की जाती है, पेड़ पौधों की देखभाल कैसे की जाए जिससे वे बचे रहेंगे, इन सभी चीजों को वे अपने स्टूडेंट्स को सिखा रहे हैं।

बोटेनिकल गार्डन से कम नहीं

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लिव विद नेचर नाम के अपने इको क्लब के जरिए वे पेड़-पौधों से जुड़ी जानकारियों को अपने स्टूडेंट्स के साथ शेयर करते रहते हैं। जो बच्चे उनके स्कूल में पढ़ते हैं, उनके माता-पिता तो यही कहते हैं कि स्कूल में आने पर उन्हें एहसास ही नहीं होता है कि यह एक स्कूल है। उन्हें ऐसा लगता है जैसे वे किसी बोटेनिकल में पहुंच गए हैं। ऐसा नहीं है कि केवल स्कूल में ही बोस स्टूडेंट्स को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक बनाते हैं, बल्कि वे अपने स्टूडेंट्स को पौधे भी देते रहते हैं अपने घरों में रोपने के लिए।

स्टूडेंट्स का जागरूक होना जरूरी (Bihar School)

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बोस का मानना है कि जब ये स्टूडेंट्स खुद अपने घरों में पेड़-पौधे लगाएंगे और इनकी देखभाल करना शुरू करेंगे तो इनका लगाव इन पेड़-पौधों से अधिक होगा और ये ज्यादा अच्छी तरह से इनके महत्व को समझ पाएंगे। उसके मुताबिक स्टूडेंट्स ने यदि पेड़-पौधों के महत्व को समझ लिया तो फिर पर्यावरण संरक्षण के लिए जो मुहिम दुनियाभर में चल रही है, उसे सफल होने से फिर कोई रोक न पायेगा।

पेड़-पौधों से कर ली शादी

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जो प्यार राजा बोस इन पेड़-पौधों के प्रति दिखा रहे हैं, जो देखभाल वे इन पेड़-पौधों की करते हैं, उसकी वजह से लोग उनके बारे में यह भी कहने लगे हैं कि उन्होंने इन्हीं पेड़-पौधों से शादी कर ली है। राजा बोस भी कभी इसे नकारते नहीं है। उनका कहना है कि बेहतर कल के लिए पेड़-पौधों को बचाना बहुत ही जरूरी है और जैव विविधता को बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

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Shikha Yadav

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