Bhasha Mukherjee: पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना महामारी से बड़ी जंग लड़ रही है। कोरोना वायरस का संक्रमण थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। लगातार इसके मामले बढ़ते ही चले जा रहे हैं। दुनिया की बड़ी महाशक्तियां भी कोरोना वायरस के आगे अपने घुटने टेक चुकी हैं। न तो अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश कोरोना वायरस से बच पाया है और न ही यूरोप के ब्रिटेन, इटली, स्पेन और जर्मनी जैसे विकसित देश। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वजह से इस वक्त त्राहिमाम मचा हुआ है। भारत भी कोरोना वायरस के कहर से अछूता नहीं रह गया है और यहां भी लगातार इसके संक्रमण के मामलों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है।
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दुनियाभर के अलग-अलग देशों की सरकारें तो अपनी ओर से हरसंभव कदम उठा ही रही हैं, पर नागरिकों की ओर से भी दुनियाभर में तरह-तरह के कदम उठाए जा रहे हैं कोरोना वायरस से खुद को और दूसरों को बचाने के लिए जो कि मिसाल के रूप में लगातार हमारे सामने आ रहे हैं। कोरोना संकट के दौरान लोग एक-दूसरे का सहारा बन रहे हैं। इसी क्रम में पूर्व मिस इंग्लैंड रह चुकीं भाषा मुखर्जी ने भी कोरोना संकट के दौरान लोगों की मदद करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है, जो कि सभी को प्रेरित करने वाला है।
भाषा मुखर्जी मिस इंग्लैंड 2019 रही हैं। वे भारतीय मूल की हैं। एक यात्रा पर भाषा मुखर्जी भारत आई हुई थीं। यहां जब उन्होंने देखा कि कोरोना वायरस तेजी से बढ़ने लगा है तो ऐसे में उन्होंने यह फैसला कर लिया कि वे यूके लौटेंगी और डॉक्टर के तौर पर वहां लोगों की मदद करेंगी। भाषा मुखर्जी यूके लौट गई हैं और वहां एक डॉक्टर के तौर पर उन्होंने फिर से अपना मेडिकल करियर शुरू कर दिया है, ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण के जो लोग शिकार हो रहे हैं, उनकी मदद करके वे उनकी जान बचा सकें।
भाषा मुखर्जी का जन्म कोलकाता में हुआ था। बीते वर्ष अगस्त में उन्होंने मिस इंग्लैंड का खिताब जीता था। इसके बाद वे चैरिटी के कामों पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करना चाहती थीं। यही वजह थी कि उन्होंने मेडिकल करियर से ब्रेक लेने का निर्णय कर लिया था। हालांकि, अब जब कोरोना वायरस महामारी फैली है, तो इसे देखते हुए उन्होंने अपने इस फैसले को बदल दिया है। एक अंग्रेजी टीवी चैनल को उन्होंने इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि उनके लिए यह फैसला लेना बिल्कुल भी आसान नहीं था। अंग्रेजी चैनल की ओर से बताया गया है कि 4 हफ्ते तक भाषा मुखर्जी भारत में रही थीं। मार्च की शुरुआत में जब कोरोना वायरस की वजह से यूके में स्थिति बेहद खराब होनी शुरू हो गई तो उन्होंने यहां लौट कर फिर से अपने मेडिकल करियर को शुरू करने का निर्णय ले लिया। भाषा मुखर्जी का यह कदम वाकई प्रेरणा देने वाला है। पूरी दुनिया को इस वक्त डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की बड़ी जरूरत है।
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गौरतलब है कि कोरोना वायरस का खतरा देश में भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है। भारत में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अब तक यहां कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या पांच हजार को भी पार कर गई है। अब तक 149 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। वैसे एक राहत की खबर यह भी है कि इनमें से 402 लोग अब तक ठीक हो कर घर जा चुके हैं। हालांकि, पिछले 24 घंटों में 35 लोगों की मौत भी हुई है और संक्रमण के 773 मामले प्रकाश में आ चुके हैं। विशेषकर महाराष्ट्र में मामले ज्यादा तेजी से बढ़ते नजर आ रहे हैं।
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