Benefits of Touching Feet in Hindi: सनातन संस्कृति में ऐसी कई चीजें हैं जिनको नियमित रूप से फॉलो करके जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। इन्हीं चीजों में से एक हैं बुजुर्गों का पैर छूकर आशीर्वाद लेना। यह एक ऐसी आदत है जिसे बच्चों के अंदर उनके शुरुआती दिनों में घर के बुजुर्ग सदस्यों के द्वारा डाली जाती है। बुजुर्ग छोटे बच्चों को बताते थे कि, जब भी आप घर से बाहर जाओ तो सभी से आशीर्वाद लेकर जाओ और जब कोई मेहमान घर में आए तो उसका भी स्वागत पैर छूकर करो। अगर किसी छोटे बच्चे में इस आदत को डाल दिया जाए तो ताउम्र यह आदत उस बच्चे की दिनचर्या में शामिल हो जाती है। पैर छूने के कई लाभ हैं और इसका सेहत के ऊपर भी बेहतरीन असर दिखाई देता है। आज के इस लेख में हम आपको पैर छूने के ऐसे ही लाभों के बारे में बताने जा रहे हैं।
हिन्दू धर्म में पैर छूने की परंपरा बहुत ही पुरानी चली आ रही है और वैदिक काल से चली आ रही इस परंपरा को आज भी फॉलो किया जाता है। हिन्दू धर्म में पैर छूने को बड़ों के प्रति अपने आदर और सम्मान को व्यक्त करने का तरीका माना जाता है और इसे चरणस्पर्श के नाम से जाना जाता है। जब कोई छोटा व्यक्ति अपने से बड़ों के पैर को छूता है तो उससे उसके संस्कारों के बारे में पता चलता है जो उसे घर के बुजुर्गों के द्वारा दिए गए हैं। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि, जब बच्चे अपने से बड़ों के पैर छूते हैं तो इससे उन्हें आशीर्वाद मिलता है और उनके जीवन की सभी परेशानियाँ समाप्त होती हैं।
जब छोटा सदस्य अपने से बड़ों का पैर छूता है तो उसे बहुत ही आशीष मिलता है और बड़ों के प्रति बच्चों का सम्मान बना रहता है। इसके अलावा यदि इसे सेहत के नजरिए से देखा जाए तो इससे शरीर का पूरा व्यायाम हो जाता है।
पैर छूने से शरीर का व्यायाम हो जाता है और इससे शरीर भी स्वस्थ्य रह सकता है। लेकिन इस व्यायाम के लिए पैर के अंगूठों को स्पर्श किया जाना चाहिए, अन्यथा कोई फायदा नहीं हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो पैर छूने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और इससे शारीरिक लाभ होता है।
विज्ञान के अनुसार, हमारे शरीर में पॉजिटिव और निगेटिव एनर्जी का प्रवाह होता है। शरीर के लेफ्ट साइड में निगेटिव एनर्जी का संचार होता है तो वहीं राइट साइड में पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह होता है।
कहा जाता है कि, जब कोई भी इंसान अपने हाथों को क्रॉस करके बड़ों का पैर छूता है तो उसके शरीर में दोनों ही प्रकार की एनर्जी का संचार होता है और इससे शरीर स्वस्थ्य रहता है।
जब भी अपने से बड़ों के पैर छूएँ तो अपने शरीर के ऊपरी भाग को झुकाएं और अपने घुटनों को बिना झुकाए बाहों को आगे की तरफ फैलाएं और प्रणाम करें।
भारतीय विद्वानों के अनुसार, पैर छूने के तीन तरीके होते हैं, पहला तरीका है अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को झुकाकर चरण स्पर्श करना। दूसरा तरीका है घुटनों के बल बैठकर चरण स्पर्श करना और आखिरी तरीका है साष्टांग प्रणाम। साष्टांग प्रणाम को आमतौर पर मंदिरों में भगवान के सामने किया जाता है।
जब कोई इंसान आगे की तरफ झुकते हुए प्रणाम करता है तो इससे उस इंसान की पीठ और कमर में खिंचाव पैदा होता है और इससे पीठ दर्द में कमी महसूस होती है। घुटनों के बाल बैठकर चरण स्पर्श करने से शरीर के सभी जोड़ों में खिंचाव होता है और इससे जॉइंट पेन में आराम मिलता है। वहीं साष्टांग प्रणाम करने से शरीर के सभी हिस्सों में खिंचाव पैदा होता है और इससे शारीरिक दर्द में भी आराम मिलता है।
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