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Love Marriage Karne Ke Upay: हमारे पौराणिक शास्त्रों में मनुष्य जीवन में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कारों का वर्णन किया है और उन्हीं संस्कारों में से 15 वां संस्कार है विवाह संस्कार। मौजूदा समय में हर कोई प्रेम विवाह करने के लिए इच्छुक होता है और इसके पीछे उसका तर्क यह होता है कि जब हम अपने साथी को अच्छे से जान लेते हैं तो विवाह के बाद जीवन सुखमय तरीके से व्यतीत होता है। लेकिन रिश्तों में बहुत गहराई होने के बावजूद कई बार प्रेमी से विवाह हो पाना सम्भव नहीं हो पाता। इसीलिए आज के इस स्पेशल लेख में हम आपको कुछ ऐसे ज्योतिषीय उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनको करने के बाद प्रेम विवाह की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।
जिन कपल्स को लव मैरिज करनी हो उन्हें माँ पार्वती की आराधना करने की जरूरत है। किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार से आप माँ पार्वती की आराधना शुरू कर सकते हैं। प्रेमी जोड़ों को प्रत्येक मंगलवार को 1008 बार मां पार्वती स्वयंवर मंत्र का जाप करना चाहिए और इसके अलावा आप प्रतिदिन 108 बार मां पार्वती स्वयंवर मंत्र का भी जाप करें। ऐसा करने से आपकी मनोकामना जल्द ही पूरी होगी।
प्रेम विवाह में सफलता पाने के लिए हर एक शुक्रवार को भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए और उनके अभिषेक में फलों के जूस को अवश्य शामिल करना चाहिए। भगवान शिव का अभिषेक करते वक़्त उनके मंत्र का जाप करना चाहिए।
प्रेम विवाह के इच्छुक कपल्स भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को बांसुरी और वैजयंती माला अर्पित करें। ये उपाय हर महीने की दोनों एकदशी को करना चाहिए।
प्रेम विवाह में सफलता प्राप्त करने के लिए मंगला गौरी का व्रत बेहद ही लाभदायक होता है। लगातार 23 मंगला गौरी व्रत पूरी श्रद्धा से करने से जल्द ही मनोकामना पूरी होती है। व्रत के अलावा इस दिन सुहाग सामग्री का दान करना भी बेहद लाभदायक होता है।
रामायण की इस चौपाई “तब जनक पाइ बसिष्ठ आयसु ब्याह! साज संवारि कै!! मांडवी, श्रुतकी, रति, उर्मिला कुंअरि लईं हंकारि कै!!” का रोजाना 108 बार पाठ करने के बाद प्रेम विवाह में उत्पन्न सभी प्रकार से दोष समाप्त हो जाते हैं।
फिरोजा और रोज़ क्वार्ट्ज़ दो ऐसे उपरत्न हैं जिनको धारण करने के बाद प्रेमी आपसे आकर्षित हो सकता है। इन दोनों उपरत्नों को पंचधातु के पेंडंट में लगाकर पीले धागे में बांधकर शुक्ल पक्ष के गुरुवार के दिन धारण करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसको धारण करते वक़्त इस बात का ध्यान रखना आवश्यक होता है कि फिरोजा और रोज़ क्वार्ट्ज़ का अनुपात आपस में 1.61 का होना चाहिए।
तो यह थे प्रेम विवाह करने के कुछ ज्योतिषीय उपाय।
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