Makar Sankranti Shubh Muhurat 2023: इस साल मकर संक्रांति के खास मौके पर सूर्य द्वारा उभयचर योग और चंद्रमा द्वारा अमला योग का विशेष मिलन हो रहा है, जो कि सभी श्रद्धालुओं के लिए काफी शुभ माना जा रहा है। ज्योतिष विद्या के मुताबिक इस दिन सूर्य से द्वितीय एवं द्वादश भाव में गुरु व शुक्र के रहने के कारण श्रेष्ठ उभय-चर योग बनेगा, जिसे सूर्य के सबसे उच्च योगों में से एक माना जाता है। यह योग शासन-सत्ता, आरोग्यता और स्वास्थ्य के लिए भी बेहद अच्छा माना जाता है। सूर्य के इस योग के साथ ही मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर चंद्रमा से दशम भाव में गुरु जैसे शुभ ग्रह के विराजमान होने के कारण अमला योग भी बन रहा है, जो लोगों में धर्म के प्रति सात्विकता को बढ़ाता है। इस योग को विद्यार्थियों के लिए बेहद उच्च माना गया है क्योंकि यह विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ाता है।
मकर सक्रांति के दिन से देवताओं के दिनों का आरंभ माना जाता है। मकर राशि में सूर्य 14 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 29 मिनट पर प्रवेश करेंगे। मकर सक्रांति का पुण्य काल दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से शाम 5 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। लेकिन इस साल मकर सक्रांति के दो योग बन रहे हैं। कुछ ज्योतिषियों के अनुसार इसे 14 जनवरी को मानना उचित होगा और कुछ के अनुसार 15 जनवरी को। आप इसे अपने हिन्दी पंचांग या ज्योतिषी के अनुसार मना सकते हैं।
सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो उसे मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन से सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों जैसे – विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, आदि का आरंभ हो जाता है। कहा जाता है कि इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। यह वही शुभ दिन है जब गंगा पृथ्वी पर अवतरित होकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई गंगा सागर में मिली थी।
मकर सक्रांति का दिन करीब आते ही बाज़ारों में रोनक बढ्ने लगी है। इस दिन खाई जाने वाली विशेष चीज़ों जैसे- गुड़, तिल और तिलकुट से बाज़ार गरम है। इसके अलावा लाई, चूड़ा व तिल के लड्डू व गज्जक, गोविंद भोग, कतरनी, आदि बहुत सी खाने-पीने कि चीज़ें बाज़ार में बेची जा रही हैं।
मकर संक्रांति के दिन सवेरे जल्दी उठकर नदी या सरोवर में स्नान करना शुभ माना जाता है। लेकिन यदि यह संभव ना हो तो आप घर पर ही स्नान कर सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करें। ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान गायत्री मंत्र व आदित्य ह्रदय स्त्रत्तेत का पाठ करने और पूजा के बाद तिल, गुड़, कंबल आदि का दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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