Vat Savitri Vrat 2022: हिंदू धर्म में वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। जिसमें महिलाएं विधि-विधान के साथ वट वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करती हैं तथा वृक्ष के चारों ओर 7 बार परिक्रमा करती हैं। ऐसा करने से पति के जीवन में आने वाली मुश्किलें दूर होती हैं और सुख और समृद्धि के साथ लंबी उम्र की प्राप्ति होती है।
यह त्योहार इस साल 30 मई, 2022 को मनाया जाएगा। इस बार यह अमावस्या सोमवार को पड़ रही है जिसके चलते इस बार यह व्रत और सोमवती अमावस्या दोनों एक साथ ही है। बता दें कि यह व्रत उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा समेत कई जगहों पर मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष पूजनीय माान जाता है। इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस साल वट सावित्री का व्रत 30 मई सोमवार के दिन मनाया जाएगा। जोकि अमावस्या तिथि 29 मई को दोपहर 02:55 से प्रारंभ होगी, और 30 मई की शाम 05 बजे तक रहेगी। इस दिन सुहागिन महिलाएं वट सावित्री का व्रत अखंड सौभाग्य, संतान प्राप्ति और पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इस दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन विधि-विधान के साथ वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। माना जाता है कि बरगद के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन कच्चा सूत का धागा लपेटती सुहागिन महिलाएं वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करती हैं।
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