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18 साल 335 मैचों के बाद ‘वॉल ऑफ इंडिया’ पीआर श्रीजेश ने लिया संन्यास, जानिए इनके जीवन के बारे में

PR Sreejesh Biography In Hindi: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय हॉकी टीम का सफर कांस्य पदक के साथ समाप्त हुआ। इस सफर के साथ ही समाप्त हुआ दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश का कार्यकाल। भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश 18 सालों तक विरोधी टीम के द्वारा किए गए प्रहार से बचाव करते हुए दिखाई दिए। लेकिन अब इन्होंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से अपने संन्यास का ऐलान कर दिया है।  पीआर श्रीजेश पिछले डेढ़ दशक में भारतीय हॉकी के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक माने जा रहे थे और इन्होंने कई मौकों पर भारत का झंडा आसमान की ऊंचाइयों पर लहराया। अब इन्होंने ओलंपिक 2024 में कांस्य पदक के साथ अपने अभियान का अंत किया।

केरल के छोटे गाँव से निकला ‘वॉल ऑफ इंडिया’

भारतीय हॉकी के सुपरस्टार पीआर श्रीजेश का जन्म 8 में 1988 को केरल के एर्नाकुलम जिले के कीजहैकंबलकम गांव में एक मलयाली किसान परिवार में हुआ। इनके पिता श्री पीवी रविंद्रन एक सामान्य किसान हैं व माता श्रीमती उषा एक सामान्य गृहणी हैं। श्रीजेश ने कक्षा 6 तक की पढ़ाई अपने गांव से पूरी की और इसके बाद इन्होंने आगे की पढ़ाई तिरुवनंतपुरम के जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल से पूरी की। हॉकी में आने से पहले इन्होंने स्कूल में लॉन्ग जंप, वॉलीबॉल और स्प्रिंट जैसे खेलों में भी अपना हाथ हाजमाया था। लेकिन स्कूल के कोच की विशेष सलाह के बाद इन्होंने हॉकी को अपना प्रोफेशन बनाना शुरू किया और आज यह दुनिया की सबसे बेहतरीन गोलकीपर में से एक हैं।

Image Source: NPG News

कुछ इस प्रकार रहा अंतर्राष्ट्रीय करियर(PR Sreejesh Biography In Hindi)

पीआर श्रीजेश को साल 2004 में जूनियर हॉकी में डेब्यू करने का मौका मिला और उन्होंने जूनियर कैटेगरी में बेहतरीन प्रदर्शन कर चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी तरफ खींचा। इसके बाद इन्हें साल 2006 में सीनियर टीम के लिए चुना गया, लेकिन भरत छेत्री जैसे मजबूत विकेटकीपर की मौजूदगी में इन्हें बहुत कम मौके मिले और अधिकतर समय इन्होंने बेंच पर ही बिताया। साल 2011 के एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन कर इन्होंने टीम में अपनी जगह पक्की की और उसके बाद से यह लगातार मुख्य गोलकीपर के तौर पर टीम में शामिल रहे। इन्होंने भारत के लिए 335 मैच खेले।

2012 में किया ओलंपिक में डेब्यू

पीआर श्रीजेश ने साल 2012 में ओलंपिक में डेब्यू किया और इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम 11वें पायदान पर थी। इसके बाद साल 2016 के ओलंपिक में इन्हें भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी सौंपी गई और टीम का सफर इस टूर्नामेंट में क्वार्टर-फाइनल तक रहा। साल 2020 में ओलंपिक को टोक्यो में आयोजित किया गया था और इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने कांस्य पदक को अपने नाम किया था। अब आखिर में साल 2024 में भी पीआर श्रीजेश को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा है। ओलंपिक के साथ  2 मर्तबा राष्ट्रमण्डल खेलों में भी पदक विजेता टीम के साथ बतौर मुख्य गोलकीपर रहे हैं।

पीआर श्रीजेश को इन सम्मानों ने किया जा चुका है सम्मानित(PR Sreejesh Biography In Hindi)

हॉकी में श्रीजेश की उपलब्धियां को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने इन्हें साल 2015 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। साल 2017 में केंद्र सरकार की तरफ से इन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। साल 2021 में इन्हें देश का सर्वोच्च खेल सम्मान मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड से नवाजा गया। साल 2020-21 में इन्हें अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन की तरफ से सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर का अवार्ड सम्मानित किया गया। इनके सम्मान में केरल सरकार ने एक रोड का नाम ओलंपियन पीआर श्रीजेश रखा है।

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