CV Raman Biography In Hindi: सी वी रमन का पूरा नाम चंद्रशेखर वेंटकरमन था। सी वी रमन का जन्म 7 नवंबर, 1888 को तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडू) में हुआ था। उनके पिता का नाम चंद्रशेखर अय्यर और माता का नाम पार्वती अम्मल था। सी वी रमन भारत के पहले ऐसे वैज्ञानिक थे, जिनको एशिया महाद्वीप के सभी देशों के वैज्ञानिकों में सबसे पहला नोबेल पुरस्कार मिला था। उनको यह पुरुस्कार विज्ञानं के क्षेत्र में रमन प्रभाव की खोज करने पर दिया गया था। सी वी रमन जी ने भारत का गौरव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा दिया था।
रमन जी बचपन से ही पढ़ने में होशियार थे। उन्होंने 12 साल की उम्र में मैट्रिक पास कर ली थी। इसके बाद उनके पिता उनको विदेश में पढाई करने के लिए भेजना चाहते थे। लेकिन उनकी शारीरिक बीमारी के कारण वो नहीं जा पाए। रमन जी ने आगे की शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज मद्रास से प्राप्त की। उन्होंने 1904 में BA और 1907 में भौतिक विज्ञान से MSc की परीक्षा उत्तीर्ण की। MSc की परीक्षा के दौरान उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज मद्रास में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
उनकी पत्नी का नाम लोकसुंदरी था। सी वी रमन का विवाह एक प्रेम कथा जैसी ही है। एक दिन रमन जी ने एक लड़की को विणा बजाते देखा और विणा की मधुर आवाज पर मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद उन्होंने अपने माता पिता से उस लड़की से विवाह की इच्छा जताई। इस तरह उनकी शादी हुई थी। उनके दो पुत्र थे। जिनका नाम चंद्रशेखर और राधाकृष्णन। उन्होंने 1906 में सिविल सर्विस की एक परीक्षा पास की। इसके बाद उनकी जॉब कोलकाता में डिप्टी अकाउंटेंट जनरल लग गयी। उनका शुरू से विज्ञानं से लगाव था। इसलिए उन्होंने 1917 में जॉब से अलविदा कह दिया। उसी साल कलकत्ता विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के प्राध्यापक के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई। सन 1924 में रमन को लन्दन की ‘रॉयल सोसाइटी’ का सदस्य बनाया गया। यह अपने आप में बहुत ही बड़ी बात थी।
सी वी जी ने रमन इफ़ेक्ट की खोज 28 फरवरी 1928 को की थी। उन्होंने इसकी घोषणा अगले दिन ही विदेशी प्रेस में कर दी। 16 मार्च को उन्होंने अपनी नई खोज पर भाषण दिया। इसके बाद धीरे धीरे पुरे विश्व में उनके द्वारा की गयी खोज पर अन्वेषण होने लगा। 1929 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस की अध्यक्षता भी की। वर्ष 1930 में उनकी खोज के लिए उन्हें भौतिकी के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी महान खोज की याद में ही हर वर्ष 28 फ़रवरी को ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1948 में वो इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस (आईआईएस) से सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरू में रमन रिसर्च इंस्टीटयूट की स्थापना की।
82 साल की उम्र में उनका 21 नवम्बर 1970 को बैंगलोर में देहांत हो गया। आज वो हमारे बीच में नहीं है, लेकिन आज भी वो अपनी महान खोज के लिए पूरे सम्मान से याद किये जाते है।
ये भी पढ़े: आचार्य चाणक्य की जीवनी
प्रशांत यादव
Benefits of Roasted Chana with Jaggery In Hindi: शरीर को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए…
Benefits of Papaya Milk for Skin In Hindi: त्वचा के लिए पपीता फायदेमंद होता है…
Famous Shakti Peeth in Haryana: इस समय पूरे देश भर मे चैत्र नवरात्रि के त्यौहार…
Strawberry Crush Recipe In Hindi: स्ट्रॉबेरी एक ऐसा फल है जिसे हर एक आयु वर्ग…
Most 200 Runs Conceded by IPL Team In Hindi: इन दिनों भारतीय सरजमीं पर IPL…
Takiye Ke Niche Mor Pankh Rakhne Ke Fayde: ज्योतिष शास्त्र में जीवन के हर एक…