क्या आप पंडित जवाहर लाल नेहरू के बारे में जानते है? क्या आपको पता की की पंडित जवाहर लाल नेहरू को 3 बार मारने की कोशिश की गयी थी? ऐसे ही कुछ तथ्य से हम रूबरू कराना चाहते है और उनके जीवन काल की कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जो कुछ ही लोगो को पता है
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को प्रयागराज़ (इलाहबाद) में हुआ। उनके दादा गंगाधर पंडित, दिल्ली के आखिरी कोतवाल थे। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से कुछ दिनों पहले गंगाधर को नियुक्त किया गया था। जब ब्रिटिश हुकूमत ने दिल्ली पर कब्जा करके राज़ करना शुरू किया तो वह अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ आगरा चले गए जहां 4 साल बाद 1861 में उनका निधन हो गया। जवाहर लाल के पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्द वकील के साथ साथ काफी संपन्न व्यक्ति थे और बाद में स्वतंत्रता सेनानी बन गये।
उनकी माता का नाम श्रीमती स्वरुप रानी था, माता पिता के इकलौते पुत्र होने के कारण बालक जवाहरलाल को घर में काफी लाड प्यार मिला और उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई । पंडित जवाहर लाल नेहरू के लिए घर पर एक अंग्रेज शिक्षक को नियुक्त किया गया और वह अपनी आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गए। वहाँ इन्होंने हैरो स्कूल और ट्रिनिटी कॉलेज में, फिर कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन किया और सन 1912 में बैरिस्ट्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे भारत लौट आये। 1915 में जवाहरलाल नेहरू जी को कमला नेहरू के साथ विवाह सूत्र में बंधा दिया गया।
स्वदेश लौटने पर पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने वकालत आरम्भ की पर उनका चित्त उसमें नहीं लगा । भारत की परतंत्रता उनके मन में कांटे की तरह चुभती थी। उन्होंने इंग्लैंड का स्वतंत्र वातावरण देखा था, उसकी तुलना में भारत दीन-हीन देश था। यहाँ की दीन दशा के लिए अंग्रेजो की नीति जिम्मेदार थी और उधर पंजाब में जलियाँवाला हत्याकांड ने उनके मन को झकझोर कर रख दिया। नेहरू जी ने पहले होमरूल आंदोलन में भाग लिया, फिर गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे अहिंसात्मक आंदोलन में सक्रिय सहयोग देने लगे। राजसी ठाट बाट छोड़ कर खादी का कपडा पहना और सत्याग्रही बन गए और असहयोग आंदोलन में बढ़- चढ़ कर भागीदारी की। इसके बाद उन्होंने सम्पूर्ण जीवन देश की सेवा में अर्पित कर दिया। 1920 से लेकर 1944 तक पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अनेक बार जेलयात्राएँ की और यातनाएँ सहीं।
सन 1929 के लाहौर सम्मलेन में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने कांग्रेस की अद्द्यक्षता की और बाद में कई बार कांग्रेस के अद्द्यक्ष की उपाधि पर उन्हें नियुक्त किया गया । नेहरू जी ने इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की मांग की और अपनी कार्य क्षमता और सूझ- बुझ से उन्होंने कांग्रेस को नयी दिशा दी। उनकी सूझ – बुझ देख कर उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष कई बार बनाया गया। नेहरू जी ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की और तीन वर्ष तक कारावास में रहे। अंततः 1946 में अंग्रेज सरकार ने भारत का स्वतंत्र करने का निर्णय लिया। 15 अगस्त 1947, के दिन भारत अंग्रेजो की दो सौ वर्षों की गुलामी को हरा कर एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। नेहरू जी स्वतंत्र राष्ट्र के प्रथम प्रधानमंत्री बने। सन 1952 में पहला आम चुनाव हुआ, इसमें इंडियन नेशनल कांग्रेस को अपनी पहली जीत मिली और पंडित जवाहर लाल नेहरू जी जनता द्वारा चुने हुए पहले प्रधानमंत्री बने। इसके बाद वह 1961 तक स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री के पद पर रहे।
1। जब वह जनवरी 1934 से फरवरी 1935 तक जेल में थे तब उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी जिसका नाम ‘टूवार्ड फ्रीडम’ है। इसे 1936 में अमेरिका में प्रकाशित किया गया था।
2। नेहरू जी ने पश्चिम के विरोध के तौर पर पश्चिमी कपडे पहनना बंद कर दिया। इसकी जगह वह भारत में बनाई जाने वाली जो जैकेट पहनते थे, उसका नाम नेहरू जैकेट पड़ गया।
3। 1950 से 1955 तक कई बार वह नोबेल प्राइज के लिए भी नामित हुए। कुल 11 बार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा उनको नामित किया गया।
4। वह एक सामान्य व्यक्ति थे। उनके नाम में जो पंडित जुड़ा है, वह इसलिए नहीं कि वह विद्वान थे। दरअसल उनका संबंध कश्मीरी पंडित से था। इसलिए उनके नाम में पंडित लगता है।
5। उन्होंने भारत और विश्व पर दो किताबें लिखीं Discovery of India और Glimpses of the World। दोनों किताबों से भारत के साथ-साथ दुनिया के बारे में उनकी काफी जानकारी का पता चलता है। Glimpses of World History वाकई में 146 पन्नो का संग्रह है जो उन्होंने अपनी एकमात्र बेटी इंदिरा गांधी को लिखा था।
6। 26 साल की उम्र में नेहरू का विवाह 16 साल की कश्मीर ब्राह्मण बालिका से हो गया जिनका नाम कमला कौल था। उनके पिता पुरानी दिल्ली में एक प्रतिष्ठित व्यापारी थी। उनका विवाह 7 फरवरी, 1916 को हुआ था। 28 फरवरी, 1936 को तपेदिक की बीमारी से उनकी पत्नी का निधन स्विट्जरलैंड में हो गया।
7। चार बार पंडित नेहरू की हत्या का प्रयास किया गया था। पहली बार 1947 में विभाजन के दौरान, दूसरी बार 1955 में एक रिक्शा चालक ने, तीसरी बार 1956 और चौथी बार 1961 में मुंबई में। 27 मई, 1964 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया।
जवाहरलाल जी विश्व शांति के पक्षधर थे। उन्होंने चीन के साथ पंचशील के सिद्धांतो के आधार पर मित्रता का सम्बन्ध स्थापित किया। परन्तु 1962 में चीन ने विश्वासघात कर भारत पर हमला कर दिया। इस युद्ध की कोई भी जानकारी भारतीय सेना को नहीं थी और भारत की सेना इस युद्ध के लिए तैयार नहीं थी। अतः भारत को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा। इससे नेहरू जी को बहुत दुःख हुआ। 27 मई, 1964 को उनका देहांत हो गया। नेहरू जी के गुणों को भारत के लोग आज भी याद करते हैं।
उन्हें भारत और उनके लोगों से बहुत प्यार था। उन्हें बच्चों से असीम प्यार था। इसीलिए लोग नेहरू जी के जन्मदिन (14 नवम्बर) को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू जी की समाधी शांति वन में बनी हुई है जो यमुना तट पर स्थित है। नेतागण और आम नागरिक शांति वन आकर नेहरू जी को अपने श्रद्धा- सुमन अर्पित करते हैं और नेहरू जी की आत्मा की शांति की दुआ करते है।
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