Om Puri Biography in Hindi: ओम पुरी बॉलीवुड जगत का वो नाम जो आज किसी भी पहचान का मोहताज नहीं है। बचपन से ही संघर्ष भरा जीवन जीने और एक चाय की दुकान और कोयले की दुकान में काम कर अपने परिवार का पेट पालने वाले ओम पुरी ने ना सिर्फ बॉलीवुड बल्कि बिट्रिश और हॉलीवुड सिनेमा में भी अपनी पहचान बनाई है. चेहरे पर दाग होने के चलते बॉलीवुड में इस सफर को तय करना आसान नहीं था, क्योंकि ये वो दौर था जब बॉलीवुड में अपने कदम जमाने के लिए और एंट्री लेने के लिए आपके पास एक सुंदर चेहरा होना बेहद जरूरी था। लेकिन कहते हैं ना कि किस्मत कब करवट बदल ले इस बात का पता कोई नहीं लगा सकता है। तो चलिए आज आपको बताते हैं बॉलीवुड के बेमिसाल कलाकार ओम पुरी की जीवनकथा।
ओम पुरी का जन्म हरियाणा के अंबाला में 18 अक्टूबर साल 1950 को एक पंजाबी परिवार में हुआ था। ओम पुरी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई अपने ननिहाल पंजाब के पटियाला से की थी। ओम पुरी के घर की बात करें तो उनके पिता रेलवे में काम करते थे लेकिन किसी वजह से उनको नौकरी से निकाल दिया गया, तब ओम पुरी महज 7 साल के थे और घर को संभालने के लिए एक चाय की दुकान और कोयला उठाने का काम करते थे। ओम पुरी ने अपने बचपन में एक संघर्ष पूर्ण जीवन जिया था, जिसमें दो वक्त की रोटी खाने के लिए भी खासी मशक्कत करनी पड़ती थी।
बता दें कि पढ़ाई के वक्त से ही ओम पुरी का रूझान नाटकों और अभिनय की तरफ हो गया था। वह साल 1970 में पंजाब के कला मंच नामक एक नाट्य संस्था से जुड़ गए थे। लगभग तीन साल तक ओम पुरी पंजाब कला मंच से जुड़े रहे, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में दाखिला ले लिया। इसके बाद वह अपने अभिनय को और परखने के लिए पुणे फिल्म संस्थान तक पहुंच गए। साल 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्ष्ण लेने के बाद उन्होंने करीब डेढ़ साल तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा भी दी थी। इसी साल उन्होंने अपने निजी थिएटर ग्रुप मजमा की स्थापना की।
बता दें कि इसी साल ओम पुरी ने अभिनय की शुरूआत मराठी नाटक पर बनी फिल्म “घासीराम कोतवाल” के साथ की, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका नाम उस दशक के जाने-माने अभिनेताओं में गिना जाने लगा जो बॉलीवुड के पारंगत अभिनेता थे। ओम पुरी ने अपने अभिनय से साबित कर दिया था कि एक बेहतर कलाकार होने के लिए और लोगों के दिलों में जगह बनाने के लिए सिर्फ खूबसूरत होना ही सब कुछ नहीं है।
गोविंद निहलानी की फिल्म आक्रोश में एंग्री यंग मैन का किरदार निभाने वाले ओम पुरी ने लोगों के दिलों में जगह बना ली थी। लोगों ने उन्हें एक नए एंग्री मैन के तौर पर स्वीकार किया था। जहां एंग्री मैन की परिभाषा मारपीट होती थी, वहां पर ओम पुरी ने इस परिभाषा को ही बदल दिया। अपनी आवाज और आंखो के तेवर से जिस एंग्री मैन को दुनिया के सामने पेश किया उसकी लोगों ने खूब सराहना की।
ओम पुरी 1980 के दशक के जाने-माने अभिनेताओं अमरीश पुरी, नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी और स्मिता पाटिल के साथ मुख्य अभिनेताओ में शामिल हो गये थे, जिन्होंने उस दौर में हिंदी सिनेमा को नई पहचान दी थी। एंग्री यंग मैन बन चुके ओम पुरी ने अपने करियर में कई ऐसी फिल्में भी की जिसमें लोगों को उनका एक कोमल और शांत स्वभाव भी दिखा। भवनी भवई, स्पर्श, मंडी, आक्रोश, मिर्च मसाला और धारावी जैसी फिल्मों में ओम पुरी के अभिनय को देख कर यह साफ हो गया था कि इस एंग्री मैन के पीछे एक संवेदनशील अभिनेता भी है।
साल 1982 में ओम पुरी ने रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी में भी एक छोटी सी भूमिका निभाई थी। जिसके बाद हिंदी सिनेमा में उनका नाम और ऊचाईयों पर पहुंच गया था। लेकिन उन्होंने अपने करियर में कुछ ऐसी फिल्मों में भी काम किया जो बॉलीवुड में कुछ खासा कमाल नहीं कर पाई। चाची 420, गुप्त, प्यार तो होना ही था, हे राम, कुंवारा, हेराफेरी, दुल्हन हम ले जायेंगे से लेकर दबंग और घायल वंस अगेन जैसी फिल्मों में भी ओम पुरी ने अभिनय किया लेकिन ये फिल्में पर्दे पर कुछ खासा कमाल नहीं दिखा पाई। हालांकि, ओम पुरी ने अपने फिल्मी करियर में कुछ ऐसी फिल्मों में काम किया है जो लोगों के दिलों में आज भी जिंदा है।
ओम पुरी सिर्फ बॉलीवुड फिल्मों में ही नहीं बल्कि ब्रिटिश फिल्मों में भी अपने अभिनय का झंडा गाड़ चुके थे। उन्होंने अपने करियर में कई ब्रिटिश फिल्मों जैसे माई सन द फेनाटिक, ईस्ट इज ईस्ट और पैरोल जैसी फिल्मों में काम किया और एक अंतर्राष्ट्रीय कलाकार के तौर पर भी अपनी पहचान बनाई। इसी के साथ ओम पुरी ने हॉलीवुड की फिल्में जैसे सिटी ऑफ जॉय, वुल्फ और द घोस्ट एंड द डार्कनेस में भी अभिनय किया।
बॉलीवुड, हॉलीवुड और ब्रिटिश फिल्मों के अलावा ओम पुरी ने टीवी जगत में भी काम किया। साल 1984 में ओम पुरी ने टीवी सीरियल ज्वेल इन द क्राउन में काम किया था, जिसमें उन्होंने मि. डिसूजा की भूमिका निभाई थी। वहीं, गोविंद निहलानी का जाना माना टीवी सीरियल तमस भी ओम पुरी की सफलता के लिए याद किया जाता है। इसके अलावा भी ओम पुरी ने टीवी जगत के कई बेहतरीन धारावाहिकों में काम किया जो काफी लोकप्रिय रहे थे।
अपने अभिनय के दम पर ओम पुरी ने अपना नाम तो हर जगत में कमाया, इसी के साथ उन्होंने अपने नाम कई श्रेष्ठ पुरस्कार भी किए। फिल्म आक्रोश के लिए ओम पुरी को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था। साथ ही ओम पुरी ने साल 1984 में अर्ध सत्य और साल 1982 में आरोहण के लिए भी दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार अपने नाम किए थे।
इसके अलावा ओम पुरी को ब्रिटिश फिल्मों में काम करने और उनके योगदान के लिए साल 2004 में ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर, ओबीई (मानद) से सम्मानित किया गया था और साल 1998 में ओम पुरी ने ब्रुसेल्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म माई सन द फेनाटिक के लिए क्रिस्टल स्टार बेस्ट एक्टर अवार्ड भी जीता था।
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फिल्मी जगत में अपना परचम लहराने वाले ओम पुरी के वैवाहिक जीवन की बात करें तो वो इतना अच्छा नहीं रहा। ओम पुरी ने दो शादियां की थी। उनकी पहली शादी साल 1991 में अभिनेता अन्नू कपूर की बहन निदेशक/लेखक सीमा कपूर से हुई थी, लेकिन उनकी ये शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चली और महज 8 महीनों में ही दोनों ने एक-दूसरे से अलग होने का फैसला ले लिया।
जिसके बाद साल 1993 में ओम पुरी ने दूसरी शादी नंदिता कपूर से की, जो कि पेशे से पत्रकार थीं। दोनों की मुलाकात एक इंटरव्यू के दौरान हुई थी, जिसके बाद दोनों ने शादी करने का फैसला लिया। लेकिन अफ़सोस ओम पुरी की ये शादी भी ज्यादा दिनों तक नहीं चली। दोनों के रिश्ते में खटास आई जब उनकी पत्नी नंदिता ने ओम पुरी के जीवन पर किताब “Unlikely Hero-The Story of Om Puri” लिखी।
इस किताब से ओम पुरी की निजी जिंदगी की कई बातें दुनिया के सामने आई, जिसके कारण वो विवादों में घिरे। उन्होंने किताब के रिलीज होने के बाद अपनी पत्नी नंदिता पर ये आरोप भी लगाया था कि ऐसा उनकी छवि को लोगों के बीच खराब करने के लिए किया गया है। जिसके बाद साल 2013 में दोनों अलग हो गए।
ओम पुरी का निधन 66 साल की उम्र में 6 जनवरी 2017 को हुआ। उनकी मौत की वजह दिल का दौरा बताया गया। उनके आक्समिक निधन से पूरा बॉलीवुड जगत काफी गमगीन हो गया था।
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