जीवन परिचय

मात्र 8 साल की उम्र से बैडमिंटन की शुरुआत: भारत की शान पीवी सिंधु की कहानी

PV Sindhu Biography in Hindi: आंध्र प्रदेश की बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु ने 2016 रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतकर भारत का नाम गर्व से ऊंचा किया। फाइनल में स्पेन की कैरोलिना मारिन से हारकर स्वर्ण से चूकने के बावजूद उनका प्रदर्शन विश्वभर में सराहा गया।

5 जुलाई 1995 को जन्मी सिंधु के पिता पी.वी. रमण राष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। सिंधु ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं और भारत की पांचवीं महिला ओलंपिक मेडलिस्ट बनीं।

उनकी उपलब्धियां यहीं नहीं रुकीं। 2019 में वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं, और आज भी वह देश के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।

प्रारंभिक जीवन

वो कहते हैं न कि परिवार का प्रभाव बच्चों पर जरूर पड़ता है, और पी.वी. सिंधु के साथ भी ऐसा ही हुआ। उनके पिता पी.वी. रमना वॉलीबॉल के प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे, जिन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से टीम को कई बार जीत दिलाई और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित हुए। शायद यही खेल भावना सिंधु में भी आई। हालांकि, उन्होंने वॉलीबॉल को नहीं चुना, बल्कि बैडमिंटन को अपना रास्ता बनाया। इसका कारण भी बेहद खास था सिंधु उस दौर के प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद से बेहद प्रभावित थीं, जो 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन बने थे।

घरेलू क्षेत्र में सिंधु का प्रदर्शन

बता दें कि पी. वी. सिंधु ने मात्र 8 वर्ष की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था, और उनके शानदार खेल की वजह से वर्ष 2014 में उन्हें शीर्ष 10 की रैंकिंग में शामिल किया गया था। आपको यह सुनकर काफी गर्व होगा कि आज की तारीख में सिंधु सबसे कम उम्र की प्रतिभावान बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक हैं। अगर सिंधु के घरेलू प्रदर्शन की बात की जाए, तो आपको बता दें कि बैडमिंटन के क्षेत्र में सिंधु को सबसे ज्यादा पहचान 5th Servo All India Ranking Championship के रूप में अंडर-10 श्रेणी के लिए मिली है। इसके अलावा, पी. वी. सिंधु ने ऑल इंडिया रैंकिंग में अंबुजा सीमेंट की ओर से एकल खिताब भी जीता।

सिर्फ इतना ही नहीं, सिंधु ने आईओसी अखिल भारतीय रैंकिंग में अंडर-13 श्रेणी में खेलते हुए कृष्णा खेतान ऑल इंडिया टूर्नामेंट, उप-जूनियर राष्ट्रीय और पुणे में अखिल भारतीय रैंकिंग में भी युगल खिताब जीतकर अपनी पहचान बनाई। अंडर-14 की श्रेणी में खेलते हुए पी. वी. सिंधु ने भारत में 51वें राष्ट्रीय स्कूल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपने खेल का लोहा मनवाया था। पी. वी. सिंधु ने छोटी सी उम्र से ही अपने खेल में कड़ी मेहनत की है, और इसी का नतीजा है कि वह कम उम्र से ही बड़ी सफलता हासिल करती आ रही हैं।

पी.वी. सिंधु के बारे में तथ्य और जानकारी [P.V. Sindhu Biography in Hindi]

पूरा नाम
पुसरला वेंकट सिंधु
व्यवसाय
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी
जन्म
5 जुलाई, 1995
उम्र 29 साल
पितापी.वी. रमण
मातापी. विजया
जन्म स्थान
हैदराबाद, भारत
राष्ट्रीयताभारतीय
गृहनगर
हैदराबाद, भारत
कॉलेज
सेंट ऐन्स कॉलेज फॉर वुमेन, मेंहदीपट्टनम
ऊँचाई
सेंटीमीटर में – 179 सेमी
वजन
किलोग्राम में – 65 किलोग्राम औरपाउंड में- 150 एलबीएस
अंतर्राष्ट्रीय शुरुआत
कोलंबो में 2009 के उप-जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप
कोच
पुलेला गोपीचंद
हाथ का इस्तेमालदायां

अंतर्राष्‍ट्रीय क्षेत्र में सिंधु का प्रदर्शन

राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा की चमक बिखेरने के बाद 5 फ़ुट 10 इंच की लंबाई वाली पी वी सिंधु ने वर्ष 2009 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपने शानदार प्रदर्शन का परिचय दिया। बता दें कि साल 2009 में सिंधु ने कोलंबों में आयोजित सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इतना ही नहीं, इसके बाद सन 2010 में भी सिंधु ने ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज के एकल वर्ग में भी रजत पदक जीत कर देश का नाम ऊंचा किया और इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप और थॉमस और यूबर कप में भी भारत की ओर से खेलीं और बेहद ही शानदार प्रदर्शन कर सभी का दिल जीत लिया था।

7 जुलाई, 2012 को सिंधु ने जापानी खिलाड़ी नोज़ोमी ओकुहारा को फाइनल में हराकर एशिया यूथ अंडर-19 चैंपियनशिप जीती थी। इसके अलावा साल 2012 में चाइना मास्टर सुपर सीरीज़ टूर्नामेंट, लंदन में पी वी सिंधु ने चाइना की ओलंपिक्स स्वर्ण पदक विजेता Li Xuerui को हराकर सभी को हैरान कर दिया था। इन सब के अलावा पिछले ओलिंपिक जो कि साल 2016 में हुआ था उसकी झलक तो सभी को याद ही होगी, जब सिंधु ने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी को हैरान करते हुए फ़ाइनल तक का सफर तय किया था। हालांकि, पी वी सिंधु स्वर्ण तो नहीं जीत पाईं मगर वह सबसे कम उम्र वाली मैडल विजेता खिलाड़ी बनीं। 

सिंधु का सफर अभी भी चल रहा है और वह लगातार एक के बाद एक नए-नए कीर्तिमान और सफलता के झंडे गाड़ते जा रही हैं। ओलिंपिक के अगले ही वर्ष 2017 में मार्च से अप्रैल के बीच इंडिया ओपन सुपर सीरीज का आयोजन दिल्ली में हुआ था। इस मुक़ाबले में सिंधु के सामने थी उनका ओलिंपिक पदक चीन ले जाने वाली विश्व की नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी कैरोलिना और आपको यह जानकर गर्व होगा कि सिंधु ने उन्हें हराकर नया इतिहास रच दिया था।

पी वी सिंधु को पुरस्कार और सम्मान

अपने उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन के लिए पी वी सिंधु को भारत सरकार की तरफ से पद्दम श्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें भारतीय बैडमिंटन समिति की ओर से 10 लाख, तेलंगाना राज्य सरकार की तरफ से जमीन और 5 करोड़ रुपये राज्य का नाम रौशन करने के लिये दिया गया है। अब चूंकि सिंधु ने अपनी मेहनत और शानदार प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया है तो इसके लिए समय-समय पर उन्हें पुरस्कार भी मिलते रहे हैं, जिसमे आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से जमीन और नौकरी तथा 3 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। खास बात तो यह है कि पी वी सिंधु को जिला बैडमिंटन समिति की ओर से बीएमडब्ल्यू कार भी भेंट किया जा चुका है

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