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डॉक्टर-इंजीनियर से भी कठिन है अकाउंटेंट बनना, तैयारी करते समय इन बातों का रखें खास ध्यान

 हर युवा के मन में यही सपना होता है कि स्कूल की पढ़ाई खत्म कर लेने के बाद वह कुछ ऐसा करे जिससे उसका भविष्य उज्ज्वल हो जाए। हालांकि, कई बार बहुत से युवाओं को ऐसा करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कई बार वो अपनी कड़ी मेहनत के बल पर अपने लक्ष्य को हासिल कर ही लेते हैं। पर आपको यह भी बता दें कि लक्ष्य भी उसी को मिलता है जो उसके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहता है तथा उसके प्रति त्याग दिखाता है। बहुत से छात्र-छात्राएं दसवीं की पढ़ाई के बाद से कॉमर्स की पढ़ाई की तरफ रुख कर लेते हैं। ऐसा इसलिए नहीं कि उन्हें मैथ्स या फिर साइंस से डर लगता है। बल्कि इसलिए ताकि इस विषय से पढ़ाई करके वह आगे चलकर अकाउंटेंट बन सकें। आपको बता दें चार्टड अकाउंटेंट का पद एक बहुत ही सम्मानित और प्रतिष्ठित पद होता है।

आपको यह भी बता दें कि अकाउंटेंट बनना कोई मामूली बात नहीं होती। यह डॉक्टर या इंजीनियर बनने से काफी ज्यादा कठिन माना जाता है। इस कोर्स को करने के लिए पूर्ण समर्पण, कड़ी मेहनत और लगन की आवश्यकता होती है। चूंकि आज के समय में अकाउंटिंग एक बेहद डिमांडिंग फील्ड बन चुका है। ऐसे में न सिर्फ हमारे देश में निजी कंपनियों के विस्तार और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लगातार आगमन से सीए, आइसीडब्ल्यूए, सीएस, कंप्यूटर एकाउंटेंसी के जानकारों की लगातार डिमांड बढ़ रही है। आपको यह समझ लेना चाहिए कि अकाउंटिंग एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें आपका करियर ग्राफ तेजी से बढ़ता है और अगर आप इस विषय में एक्सपर्ट हैं तो तरक्की और लोकप्रियता आपके पीछे भागते हुए आती है।

अगर आप भी इस विषय में रुचि रखते हैं तो सबसे पहले आपको जान लेना चाहिए कि अकाउंटिंग के क्षेत्र में जाने के लिए आपको किस तरह की जानकारी और कहां तक की शिक्षा आवश्यक है। तो बता दें इस प्रोग्राम को करने के लिए किसी भी छात्र को बारहवीं उत्तीर्ण होना चाहिए। यदि आप कॉमर्स विषय से हैं तो यह आपको आगे काफी मदद कर सकता है। इसके अलावा ऑडिटिंग, कॉमर्शियल लॉ, अकाउंटेंसी के साथ-साथ कॉमर्स विषय से ग्रेजुएशन पूरा करने वाले छात्र भी इसे कर सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि आर्ट्स व साइंस विषय के स्टूडेंट भी सीए का कोर्स कर सकते हैं।

आपको बता दें कि इस कोर्स को 3 चरण में उत्तीर्ण किया जाता है। पहला, कॉमन प्रोफिसिएंसी टेस्ट (CPT), जिसमें कुल चार विषय- अकाउंटिंग, मर्केटाइल लॉ, जनरल इकोनॉमिक्स और क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड के सामान्य स्तर पर परीक्षा होती है। इसके अलावा बात करें दूसरे चरण की तो इसमें इंटीग्रेटेड प्रोफेशनल कॉम्पिटेंस कोर्स (IPCC) को पूरा करना होता है। जानकारी के लिए बता दें कि यह सीए करिकुलम का पहला ऐसा चरण है जिसमें अकाउंटेंसी प्रोफेशन को थोड़ा विस्तार में यानी कि उसके कोर एवं अलायड सब्जेक्ट्स के वर्किंग नॉलेज के बारे में जानकारी दी जाती है। इसके बाद आता है तीसरा चरण, जो कि सीए का सबसे महत्वपूर्ण चरण या फिर फाइनल चरण कहा जाता है। पिछले दो चरण में जो युवा पास होते हैं केवल उन्हें ही यहां तक पहुंचने का मौका मिलता है और इस चरण में इन्हें फाइनेंशियल रिपोर्टिंग, स्ट्रेटेजिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट, एडवांस मैनेजमेंट अकाउंटिंग, एडवांस ऑडिटिंग जैसे विषयों के एडवांस एप्लीकेशन नॉलेज से अवगत कराया जाता है।

अकाउंटेंट बनने की राह वैसे तो बहुत ही कठिन होती है, मगर जो भी कोई युवा मेहनत कर के इस क्षेत्र में आगे बढ़ जाता है तो उसके सामने एक या दो नहीं बल्कि कई सारे विकल्प रहते हैं। आपको बता दें कि सीए का काम लोगो को फाइनेंशियल एडवाइस देना, बिजनेस अकाउंटेंट का काम करना, टैक्स आदि के बारे में समझाना आदि होता है। जिससे आप बैंकिंग, टैक्स या फिर अकाउंटेंट की जॉब आसानी से कर के एक अच्छी खासी नौकरी प्राप्त कर सकते है और अपना बेहतर भविष्य बना सकते हैं।

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Shikha Yadav

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