Chhapaak: दीपिका पादुकोण इन दिनों अपनी फिल्म छपाक को लेकर काफी ज्यादा खबरों में हैं। बता दें कि इस फिल्म से दीपिका पर्सनली भी काफी ज्यादा इनवाल्वड हैं। फिल्म छपाक एसिड अटैक से पीड़ित लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी से प्रेरित है। इस फिल्म में दीपिका पादुकोण ने लक्ष्मी अग्रवाल का ही किरदार निभाया है। इस फिल्म का डायरेक्शन मेघना गुलजार ने किया है। हाल ही में मेघना गुलजार ने इस फिल्म को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। मेघना ने हाल ही में एक वेबसाइट को इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने इस फिल्म से जुड़ी हुई कई दिलचस्प बाते बताई।
मेघना से पूछा गया कि फिल्म में आपने तेजाब हमले की पीड़ित लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी को वैसा ही दिखाया है जैसी है या फिर इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं। इस पर मेघना ने बताया कि, ‘यह उनकी बायोपिक नहीं है। हमने मूल कहानी से कोई छेड़छाड़ नहीं की है। कानूनी कार्यवाही और अदालती कार्रवाई की बातें हमने आधिकारिक रिकॉर्ड से ली हैं। किसी सच्ची घटना पर आधारित फिल्म जितनी सच्ची और प्रमाणित हो, उतना अच्छा है’।
देश में वैसे तो कई एसिड अटैक हुए हैं लेकिन मेघना ने फिल्म बनाने के लिए लक्ष्मी को ही क्यों चुना? इस बारे में मेधना बताती हैं कि, ‘लक्ष्मी अग्रवाल मामले में पहली बार सत्र न्यायालय ने हमलावर को 10 साल की सजा सुनाई। लक्ष्मी के केस के बाद ही सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले के बाद ही तेजाब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए जनहित याचिका दायर की गई। किसी तेजाब हमले की पीड़ित की पहली बार सर्जरी लक्ष्मी अग्रवाल की हुई। उनकी कहानी से लोग खुद को कनेक्ट कर सकते हैं, इसलिए फिल्म के लिए लक्ष्मी की कहानी को ही लिया गया’।
बता दें कि फिल्म छपाक की रिलीज के हफ्ते भर पहले ही इसी मुद्दे से जुड़ी फिल्म ‘एसिड’ रिलीज होने वाली है। इस फिल्म के रिलीज का असर छपाक की रिलीज पर क्या और कितना पड़ेगा जब इस बारे में मेघना से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ‘फिल्म ‘तलवार‘ से पहले उसी मुद्दे पर फिल्म ‘रहस्य‘ रिलीज हुई थी। मुझे नहीं लगता कि उस फिल्म ने तलवार पर कोई असर डाला। उम्मीद यही है कि दोनों फिल्में अपनी-अपनी जगह अपने-अपने दर्शक ढूंढ ले’।
वहीं मेघना से पूछा गया कि आज वो जिस जगह पर हैं और अपने करियर में जो काम कर रही हैं, उसमें एक अखबार की क्या भूमिका रही है? इस पर मेघना कहती हैं कि, ‘मैं हमेशा से अखबार पढ़ती आई हूं और अभी भी वैसे ही पढ़ती हूं जैसे पहले पढ़ती थी। मुझे दिन की खबरें पन्ने से पढ़ना ज्यादा पसंद है। मैं अभी इतनी डिजिटल नहीं हुई हूं कि मोबाइल पर खबरें पढूं। जिनको खबरों से जुड़े रहना है, वह आज भी अखबार पढ़ते हैं’।
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