Atal Bihari Vajpayee Facts in Hindi:भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी आज ही के दिन इस दुनिया को छोड़ कर चले गए थें। आज उनकी पहली बरसी है। अटल बिहारी बाजपेई जी के निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई थी। जिसे देखो वह बाजपेई जी के भाषणों और कविताओं के जरिए उन्हें याद कर रहा था बाजपेई जी के निधन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें याद करते हुए भावुक हो गए थें। बाजपेई जी का परिचय लोगों के सामने एक नेता और प्रधानमंत्री के तौर पर ही था। लेकिन कुछ ऐसी बातें हैं इसके बारे में आज भी कई लोग नहीं जानते हैं। तो चालिए बाजपेई जी के जीवन और उनके चरित्र से जुड़े कुछ पहलुओं को जानते हैं
अटल बिहारी बाजपेई जी कभी किसी खास वर्ग या समुदाय के विचारधारा से प्रेरित नहीं हुए। उन्होंने समय के मुताबिक परिस्थितियों का सामना किया और परिस्थितियों के मुताबिक ही अपने विचार भी प्रकट किए। अटल बिहारी जब भारत के प्रधानमंत्री बने तो उसी दौरान कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक भारत की बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी ने अलगाववादियों से भी बातचीत करने की पहल की। इस दौरान कई सवाल भी उठे हैं जब उनसे पूछा गया कि अलगाववादियों से बातचीत क्या संविधान के दायरे में होगी? इस पर बाजपेई जी का जवाब था कि बातचीत इंसानियत के दायरे में होगी।
बाजपेई जी के पास प्रतिनिधित्व करने की तो क्षमता थी ही, इसके साथ-साथ उनके अंदर एक और भी खुबी थी, वह खूबी थी विरोधियों को साथ लेकर चलने की वह कभी भी अपने से विपरीत विचारधारा के लोगों से नफरत नहीं करते थें। विपक्षी दलों के नेताओं की आलोचना तो बाजपेई करते ही थें। लेकिन अपनी आलोचना को भी सुनने की क्षमता भी रखते थें और यही कारण था कि विरोधी दलों के नेता भी बाजपेई का सम्मान करते थें। संसद भवन में जब बाजपेई बोलते थें तो विरोधी चुप हो जाते थें और शांति से उनकी बातों को सुनते थें।
अटल बिहारी बाजपेई जी का हिंदी के प्रति एक विशेष लगाव था। वह हिंदी भाषा को विश्वस्तरीय पहचान दिलवाना चाहते थें। यही कारण था कि 1977 में जब जनता सरकार में बाजपेई जी विदेश मंत्री बने तो संयुक्त राष्ट्र संघ में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया। उस दौरान अटल बिहारी बाजपेई का भाषण काफी लोकप्रिय हुआ था। उन्होंने अपने भाषण में कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया कि यूएन के प्रतिनिधि भी उस दौरान खड़े होकर ताली बजाने को मजबूर हो गए। इसके बाद भी कई बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर अटल बिहारी बाजपेई जी ने पूरी दुनिया को हिंदी भाषा में संबोधित किया।
अटल बिहारी बाजपाई जी बेहद कुशल वक्ता थे। बाजपेई जी को शब्दों का जादूगर कहा जाता था। वह बातचीत और भाषण के दौरान कुछ ऐसे शब्दों का चयन करते थे कि उनकी बातें सब के दिलों में उतर जाती थी। विरोधी दल के नेता भी उनकी वाकपटुता और तर्कों के कायल रहे हैं। संसद भवन में आज भी उनके द्वारा दिए गए तर्कों का जिक्र कभी-कभार हो जाता है। बातचीत की कुशलता अटल बिहारी में कितनी थी। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि 1994 में जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। तब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का पक्ष रखने के लिए प्रतिनिधिमंडल की नुमाइंदगी अटल बिहारी बाजपेई जी को सौंपी गई थी। किसी विरोधी दल के नेता पर इतना विश्वास होना पूरी दुनिया बेहद हैरानी से देख रहा था।
अटल बिहारी बाजपेई जी ने कभी भी किसी को अपना या पराया नहीं समझा। हर किसी को एक ही तरीके से सम्मान दिया। बाजपेई जी सच कहने में किसी से घबराते भी नहीं थे। गुजरात दंगों के बाद नरेंद्र मोदी के समक्ष गुजरात में दिया गया अटल बिहारी बाजपेई का भाषण आज भी मील का पत्थर बना हुआ है। जब बाजपेई जी ने कहा था- मेरा एक संदेश है कि वह राजधर्म का पालन करें। राजा के लिए, शासक के लिए प्रजा-प्रजा में भेद नहीं हो सकता। न जन्म के आधार पर, न जाति के आधार पर और न संप्रदाय के आधार पर।
अटल बिहारी बाजपेई जी कभी भी किसी से डरते नहीं थें। 1998 में पोकरण परमाणु परीक्षण उनकी इसी साहस का परिचय था। बाजपेई कहते थे कि भारत दुनिया में किसी भी ताकत के सामने घुटने टेकने को तैयार नहीं है। उनका मानना था कि भारत जब तक मजबूत नहीं होगा। तब तक वह आगे नहीं जा सकता। परीक्षण के दौरान उन्होंने कहा था कि कोई भारत को बेवजह तंग करने की जुर्रत ना करें इसलिए हमें ऐसा करना जरूरी है।
अटल बिहारी बाजपेई जितने महान राजनेता थें उतने ही अच्छे कवि भी थें। कई बार तो उनके अंदर एक कवि ज्यादा और नेता कम नजर आता था। बाजपेई के कविताओं का जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोलता था। वह क्षण इतिहास के पन्नों में दर्ज है, जब बाजपेई ने कहा था कि अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा… उनकी लोकप्रिय कविता में से एक कविता, हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं…यह भी है।
अटल बिहारी बाजपाई के वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों को लेकर भी कई अटकलें लगाई जाती थी। बाजपेई ने अपनी पूरी जिंदगी अकेले गुजार दी एक वक्त की बात है, जब उनसे एक महिला पत्रकार ने पूछा कि बाजपेई जी आपने शादी क्यों नहीं की?जिस पर बाजपेई का जवाब था कि एक काबिल लड़की की तलाश थी, इस पर पत्रकार ने फिर से सवाल पूछा कि क्या आपको अब तक काबिल लड़की ही नहीं मिली। बाजपेई हाजिर जवाबी में तेज थें उन्होंने इस सवाल का जवाब दिया कि, लड़की तो मिली थी लेकिन उसे भी काबिल लड़का चाहिए था।
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