करवा चौथ का त्यौहार पूरे हिंदुस्तान में दंपति द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष 1 नवंबर को करवा चौथ है और यह व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी को रखा जाता है। इस दिन सारी सुहागवती औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। औरतें सुबह से बिना कछ ग्रहण किए पूरे दिन व्रत करती हैं और शाम को चांद के दीदार के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं। लेकिन व्रत के पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है खासतौर उन महिलाओं को जिनकी हाल ही में शादी हुई है और वो जो अपना पहला करवा चौथ मना रहीं।
करवा चौथ(Karwa Chauth) के मौके पारंपरिक विधान के अनुसार महिलाओं को 16 श्रृंगार करना चाहिए। लेकिन इस दिन आप सुहाग और श्रृंगार से संबंधित कोई भी सामान किसी दूसरी महिला के साथ शेयर न करें। हालांकि आप चाहें तो सुहाग की नई चीजें किसी को दान कर सकती है, जिसे पुण्य माना जाता है।
करवा चौथ(Karwa Chauth) में सरगी का खास महत्व है। सरगी के रूप में व्रत शुरू होने से पहले सास अपनी बहू को कुछ मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान देती हैं। करवा चौथ के दिन सूर्योदय होने से पहले सुबह लगभग चार बजे के आस-पास महिलाएं इस सरगी को खाकर अपने व्रत की शुरुआत करती हैं। इसके बाद पूरा दिन का उपवास करें और चांद निकलने पर अपने पति के चेहरे को देखने के साथ ही व्रत को तोड़े।
करवा चौथ का व्रत महिलाओं के वैवाहिक जीवन से जुड़ा होता है, इसलिए हो सके तो इस दिन पूजा के समय महिलाओं को अपनी शादी का जोड़ा ही पहनना चाहिए। अगर शादी का जोड़ा न पहन सकें तो काले या भूरे रंग के कपड़े न पहने। लाल रंग की साड़ी या लहंगा पहनना शुभ होता है और लाल रंग प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए इस दिन सभी शादी-शुदा महिलाओं को लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।
ऐसा कहा जाता है कि करवा चौथ(Karwa Chauth) के दिन किसी शादी-शुदा महिला को किसी सोए हुए व्यक्ति को नहीं उठाना चाहिए। ये हिन्दू शास्त्र के अनुसार अशुभ माना जाता है।
करवा चौथ के दिन महिलाओं को नुकीली चीजों से सावधानी और दूर रहने की सलाह दी जाती है। इस दिन सुई-धागे का इस्तेमाल बिल्कुल न करें।
करवा चौथ के दिन महिलाओं को अपने गुस्से और वाणी पर काबू रखने की सलाह दी जाती है। वैसे तो इसका ख्याल हमेशा रखना चाहिए लेकिन इस दिन अपने घर में किसी बड़े का अपमान करने से बचना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि करवा चौथ के दिन पत्नी को पति से बिल्कुल झगड़ा नहीं करना चाहिए।
व्रत के दिन महिलाओं को देर तक सोने या दिन में भी नींद लेने से मना किया जाता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इस दिन की शुरुआत महिलाओं के लिए सूर्योदय से होती है। वहीं इस दिन जितना जरूरी व्रत और पूजा करना होता है, उतना ही जरूरी कथा सुनना भी होता है। इसलिए सभी महिलाओं को पूजा करते समय ध्यान से कथा सुननी चाहिए।
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करवा चौथ(Karwa Chauth) का व्रत महिलाओं के वैवाहिक जीवन से जुड़ा होता है, इसलिए इस दिन शादी-शुदा महिलाएं अपने पति या मंगेतर की लंबी उम्र के लिए भी व्रत रख सकती हैं।
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