Featured

मेहंदीपुर बालाजी में जाने से पहले जान लें यहाँ के कुछ नियम, इन बातों का रखें विशेष ख्याल

भारत में जितने मंदिर है उतनी ही उनसे जुड़े किस्से-कहानियाँ हैं और कुछ रहस्य व चमत्कार भी। ऐसा ही एक मंदिर है, राजस्थान के दौसा में स्थित है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर(Mehandipur Balaji Temple Facts)। इस मंदिर का नजारा काफी हैरान करने वाला होता है। लोग यहाँ दूर-दूर से ऊपरी साए से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। यहां पर शरीर को सायों से मुक्त करने के लिए काफी कठोर दंड दिए जाते हैं, जिसे देखकर अक्सर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कहते हैं कि यह इलाज पुलिस के थर्ड डिग्री टॉर्चर से कम नहीं होता।

बायीं छाती में है छेद

Image Source – Zeenews

कहा जाता है कि मेहंदीपुर बालाजी की मूर्ति की बायीं छाती में एक छोटा सा छेद है, जिससे निरंतर जल बहता रहता है। मान्यता है कि यह बालाजी का पसीना है। इस मंदिर में तीन देवताओं का वास है, पहले बालाजी, दूसरे प्रेतराज और तीसरे भैरों जिन्हें कप्तान भी कहा जाता है।

तीनों देवताओं को चढ़ता है अलग प्रसाद

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर(Mehandipur Balaji Temple Facts) की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर विराजमान तीनों देवताओं को अलग प्रकार का प्रसाद चढ़ाया जाता है। बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों बाबा को उड़द दाल का प्रसाद चढ़ाने की प्रथा है। कहा जाता है कि बालाजी के प्रसाद के केवल दो लड्डू खाते ही भूत-प्रेत से पीड़ित शख्स के अंदर मौजूद भूत छटपटाने लगता है और व्यक्ति अजीब हरकतें करने लगता है।

मंदिर आने के लिए हैं कुछ सख्त नियम

Image Source – Patrika

मेंहदीपुर बालाजी के दर्शन करने से पहले लोगों को कुछ सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है, जिसमें यहां आने से कम से कम एक हफ्ते पहले प्याज़, लहसुन, अण्डा, मांस, शराब, सिगरेट, आदि का सेवन पूरी तरह निषेध करना प्रमुख है।

यहां का प्रसाद घर ले जाना है सख्त मना

आमतौर पर हम किसी भी मंदिर में देव दर्शन के बाद उसका प्रसाद घर ले आते हैं, लेकिन मेंहदीपुर बालाजी(Mehandipur Balaji Temple Facts) का प्रसाद घर ना ले जाने की हिदायत दी जाती है। कहते हैं कि ऐसा करने से प्रेत-आत्मा का साया भी आपके साथ घर आ सकता है।

घर लौटते समय सावधानी बरतना है बेहद जरूरी

कहते है कि बालाजी के दर्शन के बाद घर लौटते समय अपनी जेबें और पर्स को ध्यान से देख लेना चाहिए कि कहीं आप अपने साथ कोई भी खाने-पीने की चीज घर तो नहीं ले जा रहे हैं। कहा जाता है कि यहाँ की कोई भी चीज घर पर नहीं ले जानी चाहिए।

यह भी पढ़े

प्रसाद को कहते हैं दर्खावस्त और अर्जी

इस मंदिर में चढ़ने वाले प्रसाद को दर्खावस्त और अर्जी कहा जाता है। दर्खावस्त प्रसाद का भोग लगने के बाद तुरंत मंदिर से निकलना होता है, जबकि अर्जी का प्रसाद लेते समय उसे पीछे फेंकना होता है। इस दौरान पीछे मुड़कर देखना मना है।

जल के छीटें दिलाते हैं ऊपरी साए से मुक्ति

बालाजी जाकर सुबह-शाम की आरती में शामिल होकर जल के छीटें लेना शुभ माना जाता है। इससे रोगों से मुक्ति मिलती और ऊपरी साए से रक्षा होती है।

Facebook Comments
Damini Singh

Share
Published by
Damini Singh

Recent Posts

शिशु की त्वचा की देखभाल कैसे करें? 7 आसान Baby Skincare Tips

नवजात शिशु की त्वचा (baby skin) को छूने का अहसास दुनिया का सबसे सुखद अनुभव…

2 weeks ago

रोते हुए बच्चे को शांत कैसे करें? 10 आसान और असरदार घरेलू तरीके

एक नए माता-पिता के तौर पर, बच्चे के रोने की आवाज़ से ज़्यादा परेशान करने…

2 months ago

नवजात शिशु की पहले 30 दिनों की देखभाल कैसे करें? (A Complete Guide for New Parents)

घर में एक नन्हे मेहमान का आना दुनिया की सबसे बड़ी खुशियों में से एक…

2 months ago

हिसार की छात्रा के बायोइन्फॉर्मेटिक्स शोध से दर्दनाक मस्तिष्क की चोट का अल्जाइमर से संबंध उजागर हुआ

हिसार, हरियाणा – हरियाणा के हिसार जिले के भाटोल जाटान गांव की कीर्ति बामल, जो…

6 months ago

मध्य प्रदेश टूरिज़्म 2025: एक प्रगति की कहानी — ‘Heart of Incredible India’

मध्य प्रदेश, जिसे हम गर्व से Heart of Incredible India कहते हैं, अब सिर्फ घूमने…

7 months ago

IRCTC अकाउंट को आधार से ऐसे करें लिंक, वरना तत्काल टिकट बुकिंग पर लग सकता है ताला!

अगर आप भारतीय रेलवे की ऑनलाइन टिकट बुकिंग सेवा IRCTC का इस्तेमाल करते हैं, तो…

7 months ago