विवाह किसी भी लड़की या लड़के के जीवन का महत्वपूर्ण पल होता है। इसका दोनों को न सिर्फ बेसब्री से इंतजार होता है बल्कि यह एक रीति-रिवाजों के प्रांगण में रस्मों की परंपरा भी है, जिसे न सिर्फ परिवार बल्कि समाज में भी बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। हर लड़की अपनी शादी को लेकर काफी उत्साहित रहती है और कई सारे सपने संजोती है। कुछ इसी तरह की स्थिति लड़के के साथ भी रहती है। सबसे ज्यादा खुशी अगर किसी को होती है तो वह हैं मां-बाप। दुनिया के सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे कि शादी पूरे साज-सम्मान और रीति-रिवाज के साथ अच्छे घर में हो जाए ताकि उसे कोई तकलीफ न होने पाये। भारतीय शादी के दौरान कई सारी रस्म, रिवाज तथा परंपराएं होती हैं, जिसे हर किसी को निभाना ही होता है।
ऐसे में बहुत से लोगों को इन सभी रिवाजों और परंपराओं को देख कर काफी उत्सुकता होती है कि आखिर ऐसा करने के पीछे कोई वजह भी होती है या ये सिर्फ बस यूं ही चलन में चलता आ रहा है। तो आपको बता दें कि यह मात्र चलन नहीं है बल्कि हर रिवाज के पीछे कुछ मान्यता छिपी हुई है। अब जैसे आपको बता दें कि शादी के दौरान आपने देखा होगा कि तैयारियां तो महीनों पहले से शुरू हो चुकी होती हैं मगर शादी के कुछ दिनों पहले कई सारी रस्म जैसे कि हल्दी, गोद भराई आदि भी होता है। इसी तरह से एक रस्म और भी है जो लड़की शादी के बाद निभाती है और वह है विदाई के वक़्त जाने से पहले अपने सिर के ऊपर से चावल फेंकना। अब ऐसा क्यों किया जाता है इसका जवाब बहुत से लोगों को नहीं पता होता या फिर पता भी होता है तो आधा अधूरा।
ऐसा भी बताया जाता है कि शादी के दौरान जब दूल्हा पहली बार लड़की के घर पर आता है तो उस दौरान दरवाजे की पूजा की जाती है। इस दौरान वधु पक्ष की ओर से लड़के पर चावल फेंके जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इस युगल जोड़ी के जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि का आगमन बना रहे। पुरुखों और शास्त्रों के अनुसार यह भी बताया गया है कि विदाई के दौरान बेटी का चावल फेंकने का यह भी अर्थ होता है कि ऐसा कर के वह अपने माता-पिता का धन्यवाद कर रही है, जिसने उसे इतने नाज़ों से पाला-पोसा और अब उसका घर बसा रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि चावल फेंकने का अर्थ यह भी होता है कि वह अपने जीवन से हर तरह की नकारात्मक्ता को फेंक रही है ताकि अपने नए जीवन की शुरुआत खुशहाली से कर सके।
माना जाता है कि चावल में बुराई को दूर करने का गुण होता है और शायद यही वजह है कि इस तरह की परंपरा निभाने के लिए चावल एक आदर्श विकल्प माना गया है।
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