Chenab Railway Bridge: Interesting Facts in Hindi: हिंदुस्तान की सरजमीं पर एक ऐसा रेलवे ब्रिज बनकर तैयार हो चुका है जिसके बारे में सुनकर देश के दुश्मन पाकिस्तान और चीन की नींदे उड़ गई हैं। भारतीय कैबिनेट ने तो इस ब्रिज को बनाने की अनुमति 2004 में ही दे दी थी और उसी साल इसका निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका था। तत्कालीन सरकार ने तो इस प्रोजेक्ट की डेड लाइन साल 2009 तक रखी थी लेकिन सीमा पर बढ़ते हुए तनाव की वजह से कई मर्तबा इस ब्रिज के निर्माण कार्य को रोका गया था।
लेकिन अब करीब 20 सालों के बाद यह ब्रिज बनकर पूरी तरह से तैयार हो गया है और इसकी क्वालिटी को लेकर टेस्ट किए जा रहे हैं। आज के इस लेख में हम आपको चिनाब नदी के ऊपर बने इसी ब्रिज से जुड़े कई रोमांचक फैक्ट्स के बारे में बताएंगे।
चिनाब नदी के ऊपर बने इस ब्रिज की ऊंचाई समुद्र तल से 359 मीटर है और इसके साथ ही इस ब्रिज की लंबाई करीब 1315 मीटर है। यह ब्रिज 530 मीटर तक नदी के ऊपर है जबकि शेष हिस्सा घाटी में है। इस ब्रिज के बारे में खास बात यह है कि, इसकी ऊंचाई पेरिस में बने एफिल टॉवर से भी 35 मीटर अधिक है। इस ब्रिज को खास तरीके से डिजाइन किया गया है और इसी वजह से यह 120 सालों तक देश को अपनी सेवा देता रहेगा।
चूंकि कश्मीर की घाटी में तेज हवाएं चलती रहती हैं और इसी वजह से इस ब्रिज को खास तरीके से डिजाइन किया गया है। इस ब्रिज के ऊपर तेज हवाओं का भी कोई असर नहीं होगा। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह ब्रिज करीब 266 किमी/घंटा की रफ्तार की हवाओं को झेल सकता है। इस ब्रिज को कर्व के रूप में तैयार किया गया है और इसी वजह से इसे इंजीनियरिंग का खास नमूना माना जाता है।
चिनाब नदी के तल पर तैयार किए गए इस ब्रिज को तैयार करने में 27 हजार टन से भी अधिक स्टील का इस्तेमाल किया गया है। इस ब्रिज को तैयार करने में 18 खंभो का इस्तेमाल किया गया है और सबसे बड़े पिलर की ऊंचाई करीब 49.343 मीटर है। इस ब्रिज को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की सहायता से तैयार किया गया है।
कश्मीर की घाटी में रेलवे का विकास बहुत कम हुआ है और इसी वजह से कहा जा रहा है कि, इस ब्रिज के बन जाने के बाद घाटी में कनेक्टिविटी बढ़ेगी। नया ब्रिज घाटी को सीधे जम्मू के कटरा से जोड़ेगा। चूंकि कश्मीर की वादियों में अक्सर ही हिमस्खलन, भूस्खलन की समस्या बनी रहती है इसी वजह से इस ब्रिज की सहायता से कनेटविटी हमेशा बनी रहेगी।
चिनाब नदी के ऊपर बने इस ब्रिज की वजह से भारतीय सेना का काम आसान हो गया है। पहले प्राकृतिक और मानवीय घटनाओं की वजह से सेना के पास राहत सामग्री बड़ी देर से पहुँचती थी। लेकिन अब इसके बाद से महज कुछ ही घंटों में सेना तक सभी प्रकार की मदद आसानी से पहुँच जाएगी। इस ब्रिज के बनने के बाद से ही चीन और पाकिस्तान में टेंशन का माहौल हो गया है।
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