Corona Vaccine: कोरोना वायरस की वजह से अब तक दुनिया में एक लाख 65 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है। इस खतरनाक वायरस से बचने के लिए अभी तक किसी भी दवा या वैक्सीन का निर्माण नहीं हो पाया है। हर देश के वैज्ञानिक इस वायरस को मारने का इलाज ही ढूंढ रहे हैं। नई रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों के एक समूह का दावा है कि, अमेरिका में पाए जाने वाले इस जानवर के खून से वायरस का वैक्सीन तैयार किया जा सकता है। तो देर किस बात की आइए जानते हैं आखिर कौन सा है वो जानवर जिसके खून से वायरस की वैक्सीन बनाई जा सकती है।
कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में देखा जाए तो ये वायरस चमगादड़ से उत्पन्न हुआ है। इसके बाद इसने इंसानी शरीर को अपना घर बनाना शुरू किया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, अमेरिका में इस समय कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा लोग संक्रमित हैं। अमेरिका में इस वायरस ने 40 हज़ार से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अमेरिका इस समय पूरी जद्दोजहद कर रहा है इस वायरस का वैक्सीन बनाने के लिए। अमेरिकी वैज्ञानिकों पर इस समय जल्द से जल्द वैक्सीन तैयार करने का काफी प्रेशर भी है। ऐसी स्थिति में हाल में ही अमेरिका के वैज्ञानिकों ने ये दावा किया है कि, अमेरिका में ही पाए जाने वाले एक जानवर के खून से कोरोना वायरस का वैक्सीन तैयार किया जा सकता है।
आपको बता दें कि, वीलाम्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ बायो टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने इस बात का दावा किया है कि, अमेरिका में ऊंट की एक प्रजाति लामा के खून से कोरोना वायरस का वैक्सीन तैयार किया जा सकता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने ये दावा कुछ सालों पहले सार्स के लिए वैक्सीन तैयार करने के समय भी किया था। सार्स से बचाव के लिए लामा के खून से वैक्सीन तैयार की गई थी, जो पूरी तरह से प्रभावशाली साबित हुई थी। चूँकि कोरोना वायरस के लक्षण भी काफी हद तक सार्स से मिलते हैं इसलिए वैज्ञानिक ये दावा कर रहे हैं कि, कोविड 19 का वैक्सीन तैयार करने में लामा का खून मददगार साबित हो सकता है। जिस टेक्नोलॉजी से इस वैक्सीन को तैयार किया जाएगा उसे नैनोबॉडी टेक्नोलॉजी कहते हैं।
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दूसरी तरफ इस जानलेवा वायरस का वैक्सीन बनाने के लिए दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिक नेवले के एक प्रजाति की खून का इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां के वैज्ञानिकों का ऐसा कहना है कि, नेवले के इस प्रजाति पर कोरोना वायरस का प्रभाव इंसानों जैसा ही है, इसलिए इनके खून का प्रयोग वायरस की वैक्सीन बनाने के लिए किया जा सकता है। गौरतलब है कि, इस समय दुनिया का हर देश इस वायरस की वैक्सीन बनने का ही इंतज़ार कर रहा है, ताकि इससे लोगों की जान बचाने में आसानी हो सके
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