31 अक्टूबर को वीआरएस ले चुके एक पूर्व अधिकारी ने दावा किया है कि देश की जनता को एक बार फिर से नोटबंदी सामना करना पड़ सकता है। अधिकारी पूर्व में वित्त सचिव रह चुके हैं जिनके मुताबिक 2000 रु के नोट चलन से बाहर किया जा सकता है। दरअसल 2000 रु के नोट ट्रांजैक्शन बेहद ही कम है जिसे देखते हुए सरकार इसे प्रचलन से बाहर कर सकती है।
इस मामले में पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का राष्ट्रीयकरण खत्म करने और निजीकरण को बढ़ावा देने, आरबीआई के बजाय निजी स्तर पर ऋण प्रबंधन तथा ऑफ-बजट उधार की परिपाटी को खत्म करने समेत 2000 रुपये के नोट को प्रचलन से बाहर करने वाले कुछ सुझाव दिए हैं।
72 पेज के एक नोट में कहा गया है कि भारत की राजकोषीय प्रबंधन प्रणाली (Fiscal Management) “उन प्रथाओं का उपयोग करती है जो अच्छी और स्थिर नहीं है तथा घाटे का स्तर बना रहता है। गर्ग ने इस नोट में आगे कहा है कि उच्च ऋण स्तर “हमारी क्रेडिट रेटिंग पर एक बाधा है” और राजस्व का एक बड़ा हिस्सा इन ऋणों को चुकाने में व्यय होता है।” गर्ग ने वित्त सचिव का पद छोड़ने से पहले 100 प्रमुख नीतियों और शासन तथा अर्थव्यवस्था में सुधार संबंधी सुझावों से जुड़े नोट की एक प्रति सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को सौंप दी थी।
2000 रुपये के करेंसी नोटों को लेकर गर्ग ने कहा, “ 2000 रुपये का एक अच्छा हिस्सा प्रचलन में नहीं है। इन्हें रोका गया है। ट्रांजैक्शन के रूप में फिलहाल 2000 रुपये के नोटों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। बिना किसी बाधा को उत्पन्न किए, इसे तुरंत प्रचलन से बाहर किया जा सकता है। इसके अलावा गर्ग ने ऑफ बजट उधार, खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी के भुगतान आदि को खत्म करने की सिफारिश की है।
इतना ही नहीं गर्ग ने एक भूमि प्रबंधन निगम (Land Management Corporation) बनाने का भी सुझाव दिया, जो कि एक प्रकार से बाहरी हस्तक्षेप से मुक्त वेल्थ फंड होगा। उन्होंने बताया कि घाटे में चल रही सार्वजनिक उपक्रमों की सभी भूमि और भवनों को इस निगम को हस्तांतरित किया जाना चाहिए।
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