Increase Employee Salary: ‘‘आमदनी अठ्ठनी खर्चा रूपया”, यदि आप भी नौकरीपेशा व्यक्ति हैं तो ये कहावत आपने सुनी ही होगी। आज के दौर में जहाँ महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है वहीं ज्यादातर लोगों की तनख्वाह उस रफ़्तार से नहीं बढ़ती। अधिकांश कम्पनियां साल भर के अंतराल में ही अपने कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी करती हैं, ऐसे में कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए बढ़ती महंगाई से निपटना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसी के मद्दे नज़र केंद्र सरकार अपने तथा इंडस्ट्रियल सेक्टर के कर्मचारियों के लिए एक नई योजना लाने जा रही है।
इस योजना के तहत आप केंद्र तथा इंडस्ट्रियल सेक्टर के कर्मचारियों का वेतन हर साल नहीं बल्कि हर 6 महीने में बढ़ाया जाएगा। इस नई योजना से लगभग 3 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे, जिसमें से लगभग 38 से 48 लाख केंद्रीय कर्मचारी हैं बाकी के सभी कर्मचारी प्राइवेट सेक्टर के होंगे। सरकार का यह नियम कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए बेहद सहायक होगा और महंगाई से लड़ने में भी कारगर साबित हो सकता है।
पहले से ही CAA, बेरोज़गारी और महंगाई पर विरोध का सामना कर रही केंद्र सरकार का यह कदम एक मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। साल की शुरुआत से ही सरकार पर सहियोगी और विपक्षी दलों का, आर्थिक मोर्चे पर बेहद दबाव देखने को मिल रहा था, ऐसे में इस नियम से महंगाई का बोझ झेल रहे निचले दर्जे के कर्मचारियों को अहम मदद मिलेगी। सूत्रों के अनुसार, इस नियम का आधार वर्ष 2016 होगा और जल्दी ही इस योजना को लागू कर दिया जाएगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड की हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा निर्धारित एक उच्च स्तरीय कमेटी ने इंडस्ट्रियल सेक्टर से जुड़े कर्मचारियों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price index या CPI) से जुड़ा एक नया आधार तय किया है। जिसके अनुसार कर्मचारियों का महंगाई भत्ता सीधे इस महंगाई सूचकांक से जोड़ा जाएगा। आपको बताते चलें की सरकार हर 6 महीने में केंद्र व प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का आंकलन करती है जिसके लिए CPI – IW सहारा लेती है।
वर्ष 2001 के बाद सरकार ने अभी तक सीपीआई-आईडब्ल्यू में बदलाव नहीं किया है, जबकि नियमों के अनुसार इसमें हर 5 वर्षों में बदलाव किया जाना चाहिए। सूचना के अनुसार, केंद्र सरकार के मुख्य श्रम एवं रोज़गार सलाहकार ‘बीएन नंदा’ की अगवाई में एक तीन पक्षीय कमेटी की 27 फरवरी 2019 को एक अहम् बैठक हुई थी। इसमें इस नये नियम से जुड़ी योजना के बारे में अहम चर्चा हुई थी।
जहाँ 7वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद काफी हद तक सरकारी कर्मचारियों को फायदा हुआ, वहीं इस नियम के अनुसार कुछ हद तक निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचरियों को भी लाभ होगा। लेकिन कई सोशल वर्कर्स इस निर्णय पर कुछ विभाजित हैं। कुछ का मानना है की इससे महंगाई और बढ़ेगी और असंगठित व्यवसाय से जुड़े कर्मचरियों को इसका कोई लाभ नहीं होगा, उन्हें और महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी।
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