अगर आपक बिजनेसमैन है तो आपको साल में एक बार जीएसटी रिटर्न जरूर भरना होता है। पूरे साल आपको रिटर्न भरने के नाम पर कई सारे फॉर्म्स का सामना करना पड़ता है। लेकिन सारे फॉर्म्स आपको भरने हैं ऐसा जरूरी नहीं है। इन फॉर्म्स में कई सारे फॉर्म जीएसटी रजिस्टर्ड टैक्स पेयर के लिए होते हैं, तो कुछ फॉर्म स्पेशल कैटिगरी के टैक्सपेयर्स के लिए होते हैं। अगर आप जीएसटी रिटर्न भरने जा रहे हैं। तो सबसे पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि आपको कौन-कौन से फॉर्म भरने हैं। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कि जीएसटी रिटर्न फॉर्म क्या होता है और किस तरह से एक कारोबारी को जीएसटी रिटर्न फॉर्म भरना चाहिए।
क्या होता है जीएसटी रिटर्न फॉर्मदरअसल जीएसटी रिटर्न फॉर्म में आपको अपने कारोबार के दौरान किए गए हर एक लेन देन का ब्योरा दर्ज करना होता है।
1. महीने भर में आपने कौन सा सामान कब, कितना और कितने दाम में बेचा।
2. कौन सा माल आपने कितना कब और कितने में खरीदा है।
3. इस दौरान अपने ग्राहकों से कितना जीएसटी वसूला और उसे सरकार तक पहुंचाया।
4.अपनी खरीदारी का कितना प्रतिशत जीएसटी आपने अपनी जेब से चुकाया।
5. दोनों का मिलान करने के बाद कितना प्रतिशत जीएसटी की देनदारी आपके ऊपर बकाया है।
6.या फिर सरकार के ऊपर कितना प्रतिशत जीएसटी टैक्स आपका अतिरिक्त निकलने वाला है।
इन चीजों की सही-सही जानकारी जीएसटी रिटर्न फॉर्म के माध्यम से आपको सरकार तक पहुंचानी होती है। जैसे ही आपका फाइनेंसियल ईयर समाप्त होता है। वैसे ही आपको यह सारी जानकारी अलग-अलग रिटर्न फॉर्म्स के जरिए सरकार को देनी होती है। अगर सर्विसेज की बात करें तो उसमें भी यही सिस्टम काम करता है।
जीएसटी रिटर्न भरने से पहले आपको यह भी जानना जरूरी है कि आपको कौन सा फॉर्म भरना है। तो चलिए हम आपको बताते हैं की करदाताओं की श्रेणी के हिसाब से कौन सा फॉर्म किस कर दाता के लिए है। प्रारंभिक जीएसटी करदाता दो तरह के होते हैं। पहले सामान्य रजिस्टर्ड जीएसटी वाले और दूसरे जीएसटी कंपोजिशन स्कीम वाले। जीएसटी कंपोजिशन स्कीम उन छोटे कारोबारियों के लिए है जो ज्यादा हिसाब किताब के झंझट से छुटकारा पाना चाहते हैं।
जिन कारोबारियों का टर्नओवर 20 लाख रुपए से ज्यादा और 75 लाख से कम है वह जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के तहत रजिस्टर करवा सकते हैं। इसके तहत ट्रेडर्स को 1%, मैन्युफैक्चरर्स को 2% और रेस्टोरेंट का कारोबार करने वालों को 5% की दर से एक बार में ही टैक्स चुकाना होता है। ऐसे कारोबारियों को ना तो अपने ग्राहकों से टैक्स वसूलना होता है ना ही उसका हिसाब देना होता है। यह व्यापारी जो टैक्स चुकाते हैं उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम नहीं कर सकते हैं।जो बिजनेसमैन जीएसटी कंपोजिशन स्कीम में नहीं हैं उन्हें जीएसटीआर 1 फॉर्म भरना पड़ता है। जीएसटी सिस्टम का यह सबसे पहला रिटर्न फॉर्म है। इस फॉर्म में आपको पिछले महीने की हर बिक्री का ब्यौरा भरना होता है। इस फॉर्म को आप बिजनेस मंथ के तुरंत बाद वाले महीने में 10 तारीख तक भरकर जमा कर सकते हैं। इस फॉर्म में आपको कुल 13 तरह की जानकारियां भरनी होती है।
यह फॉर्म जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध होता है। जीएसटीआर 1 भरने की अंतिम तारीख के अगले दिन यह फॉर्म आपको पोर्टल पर मिल जाएगा। आपको बता दें कि यह कोई अलग फॉर्म नहीं है। बल्कि यह एक तरह का क्रॉस चेक होता है। जीएसटीआर 1 के माध्यम से आपने जो भी जानकारी दर्ज की है। उसमें अकाउंट नंबर के आधार पर वहीं सूचन आपको जीएसटीआर 2A के रूप में मिलती है। अगर आप इसमें कोई करेक्शन करना चाहते हैं। तो वह आप 11 तारीख से लेकर 15 तारीख के बीच में कर सकते हैं।
इस फॉर्म के माध्यम से आपको आपके द्वारा की गई खरीदारी के लिए किए गए भुगतान का ब्यौरा देना होता है। इस फॉर्म के साथ ही आपको जीएसटीआर 2A भी दिखाई देता है। जिसमें आपकी सारी बिक्रियों का विवरण होता है। इस फॉर्म को भरने की आखरी तिथि 15 तारीख होती है।
जीएसटीआर 2 भरने के बाद 15 तारीख को आपको वेबसाइट पर जीएसटीआर-1A अपने आप ही दिखने लगता है। रिटर्न फाइल करने के दौरान आपने जो भी करेक्शन किया है। उसकी पूरी जानकारी इसमें होती है।
यह फार्म महीने की 20 तारीख को आपके अकाउंट में दिखने लगता है। इसमें आपको आपके द्वारा की गई खरीदारी और बिक्री का ब्यौरा भरना होता है। जो आपने जीएसटीआर- 1 औरजीएसटीआर-2 में भरा था। इसके बाद सिस्टम(जीएसटीएन) अपने आप ही हिसाब करके आपको बता देता है कि आपको कितना टैक्स जमा करना है या फिर आप को कितना टैक्स वापस मिलने वाला है।
यह फॉर्म उन लोगों के लिए है जो किसी कारण वश अपना मंथली रिटर्न फाइल करना भूल गए हैं। सरकार के तरफ से यह एक प्रकार का नोटिस होता है। जो फॉर्म जीएसटीआर-3 के रूप में आपको भरकर जमा करना होता है।
यह वार्षिक रिटर्न फॉर्म होता है। हर महीने जो भी जानकारी आप जीएसटीआर 3 के माध्यम से जमा करते हैं। उसका पूरा लेखा-जोखा आपको साल में एक बार इस फॉर्म के माध्यम से देना होता है। इसके अलावा पूरे साल आपने जो भी खरीददारी का बिक्री की है। उसका सारा ब्यौरा भी इस फॉर्म में देना होता है।
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