Indo Nepal Border Dispute: लिपुलेख सड़क जो कि भारत के नजरिए से बहुत ही महत्व का है, जबसे इसका उद्घाटन किया गया है, तब से ही सीमावर्ती इलाकों में नेपाल की ओर से अपनी सक्रियता बढ़ा दी गई है। नेपाल लिपुलेख सड़क पर विरोध तो लगातार जता ही रहा है, साथ में नेपाल ने अपना एक नया नक्शा तैयार कर लिया है, जिसमें कि उसने भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधु को अपने हिस्से के तौर पर दिखा दिया है।
यही नहीं, नेपाली गृह मंत्रालय की ओर से भारत और चीन से सटे हुए सीमा पर 500 नए चेकपोस्ट बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। हर चेक पोस्ट पर नेपाल एक प्लाटून सशस्त्र प्रहरी बल को तैनात करने जा रहा है।
पिथौरागढ़ की बॉर्डर तहसील धारचूला में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को जो नेपाल ने अपने नक्शे में शामिल किया है, इसके बाद से इन सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के बीच बड़ी नाराजगी देखने को मिल रही है। कल्याण समिति के अध्यक्ष कृष्णा गर्बयाल ने बताया है कि नेपाल ने जो कदम उठाया है, वह पूरी तरीके से गलत है। उनका कहना है कि गर्वयालों ने काफी जमीन सीमा बंटवारे के दौरान काली नदी के उस पार थी, पर वे उस जमीन को छोड़ आये थे। नेपाल में माउंट अपि, तिपिल, छ्यक्त, छिरे और शिमाकल में गूंजी के गर्वयालों की हजारों नाली नाप भूमि आज भी है।
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