करतारपुर साहिब (Kartarpur sahib) गुरुद्वारा सिक्खों के इतिहास में बहुत महत्व रखता है। यह गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी को समर्पित है क्योंकि गुरु नानक देव जी ने यहाँ 18 वर्षों तक वास किया और 22 सितम्बर 1539 को अपने अंतिम श्वास लिए।
यह गुरुद्वारा भारत और पाकिस्तान की सीमा के बेहद नज़दीक होने की वजह से अक्सर सुर्ख़ियों में रहा है। भारी संख्या में सिख श्रद्धालु भारत की तरफ से इस पवित्र गुरूद्वारे के एक झलक के लिए एकत्रित होते हैं। डेरा बाबा नानक में लगे दूरबीन की मदद से श्रद्धालु इस पवित्र स्थल को देखते थे लेकिन अब दोनों देशों की तरफ से यहाँ एक कॉरिडोर बनाया जा रहा है।
करतारपुर साहिब (Kartarpur Sahib) कॉरिडोर
इस कॉरिडोर की लम्बाई 4 कि.मी होगी और भारत में मौजूद सिख श्रद्धालु अब आसानी से करतारपुर साहिब (Kartarpur Sahib) गुरद्वारे के दर्शन कर पाएंगे। 26 नवंबर को भारत की तरफ से इस कॉरिडोर का नींव का पत्थर रखा गया। इस मौके पर उप-राष्ट्रपति वैंकया नायडू, नितिन गडकरी समेत कई नामी हस्तियां शामिल हुई। पाकिस्तान की तरफ से 28 नवंबर को नींव राखी जाएगी जिसके लिए सुषमा स्वराज, अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिधू को इमरान खान की तरफ से ख़ास निमंत्रण दिया गया।
गौरतलब है की 1947 के बटवारे के बाद यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में आ गया लेकिन सरकार द्वारा समय समय पर इस गुरूद्वारे को लेकर योजनाएं बनती रही। 1999 में अटल बिहारी वाजपई ने लाहौर तक बस यात्रा की और करतारपुर साहिब तक के मार्ग को सार्वजनिक तौर पर साझा करने की मांग की।
धार्मिक रूप के साथ साथ यह कॉरिडोर दोनों देशों के बीच शान्ति बनाने में एक एहम कड़ी साबित हो सकता है। गुरु नानक देव जी की 550वें वर्षगाँठ के अवसर पर यह तोहफा दोनों मुल्कों के श्रद्धालुओं के लिए बेहद ख़ास है।