The History of the Sengol In Hindi: देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन कर इसे देश को समर्पित करेंगी। इस उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर सभी तैयारियां ज़ोरों शोरों से चल रही हैं और सत्ता पक्ष इस कार्यक्रम को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रही है। तो दूसरी तरफ, कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम को बॉयकॉट करने का ऐलान किया है। इस बीच 24 मई को देश के गृह मंत्री अमित शाह ने आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गृहमंत्री ने बताया कि नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना की जाएगी, सेंगोल के बारे में बात करते हुए आगे कहा कि भारतीय राजनीती में सेंगोल का एक विशेष महत्त्व है।
अमित शाह ने कहा कि “भारतीय संसद से ज्यादा पवित्र जगह इस सेंगोल को स्थापित करने के लिए और कहीं नहीं है। जिस दिन देश के प्रधान मंत्री नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे तो उसी दिन लोकसभा के स्पीकर की कुर्सी के पास इस सेंगोल को स्थापित किया जायेगा।”
अमित शाह ने आगे कहा कि भारत के इतिहास में सेंगोल का एक विशेष महत्त्व है। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 की रात लगभग 10 बजकर 45 मिनट के करीब तमिलनाडु के अधिनाम के माध्यम से इस सेंगोल को स्वीकार किया था। यह अंग्रेजों के द्वारा हमारे देश को आजादी दिए जाने का प्रतीक है। यह वही राजदंड है जिसे इलाहबाद के सरकारी म्यूजियम में रखा गया था।
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