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सिकंदर महान की महान गाथा Alexander the Great in Hindi

Alexander the Great in Hindi: सिकंदर महान का जन्म 356 ईसा-पूर्व मेसेडोनिया में हुआ था। वह मेसेडोनिया के ग्रीक का प्रशासक था। इतिहास में सिकंदर का नाम सबसे कुशल सेनापति मे गिना जाता है। सिकन्दर अपनी मृत्यु से पहले उन तमाम राज्यो को जीत चुका था। जिसे वह हासिल करना चाहता था। इसकी जानकारी हमे प्राचीन ग्रीक के लोगो से मिलती है और इसलिए इसे विश्वविजेता के नाम से भी जाना जाता है। इनके माता – पिता का नाम ओलंपियाज और फिलीप द्वितीय था। सिकंदर के पिता ग्रीस के राज्य मख्दून के राजा थे।

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सिकंदर महान का विजय अभियान Alexander the Great

सिकंदर ने विजय अभियान की शुरुआत सबसे पहले ग्रीक के राज्यो से करी और उन सभी पर विजय हासिल करने के बाद उसने ईरान, सिरिया, मिस्त्र, मेसोपोटामिया, फिनिशिया, जुदेया, गाजा, बेक्ट्रीया और भारत में पंजाब के प्रदेशों पर विजय हासिल करी। भारत में सिकंदर ने जब अपना विजय अभियान शुरू किया तो सबसे पहले उसका युद्ध पोरस से हुआ, जिसमे पोरस की हार हुई। और जिसको देखकर तक्षशिला और गांधार के राजा ने उनसे समझोता कर लिया। उस समय चाणक्य तक्षशिला में एक अध्यापक थे और वह भारत के अलग-अलग राज्यों के राजा के पास जाकर सिकंदर के खिलाफ एक जूट होने की आग्रह करते है। लेकिन कोई उनका साथ नहीं देता।

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उस समय सिर्फ पोरस ने ही सिकंदर के विरूद्ध युद्ध लड़ा था। जिसमे उनकी हार हुई थी, इसके बाद मगध के राजा महापद्मनन्द ने भी चाणक्य का साथ देने इन्कार कर दिया था और उनका का अपमान किया। जिसके बाद चाणक्य ने चंद्रगुप्त के साथ मिलकर एक नये साम्राज्य की स्थापना की और सिकन्दर के विरुद्व लड़ाई आरम्भ की और इस लड़ाई मे सिकंदर के राजदूत सेक्युकस को हराया।

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जब सिकंदर भारत पर आक्रमण के लिए सिंधु नदी घाटी की तरफ बढ़ रहा था। तो वहाँ के रहने वाले लोगो ने उनसे युद्ध लड़ा, जिसमे वे सिकंदर से लड़ाई करते हुए वीर गति को प्राप्त हो गए। और इस लड़ाई मे सिकंदर को भी कई तीर लगे। परन्तु विजय अन्त में सिकंदर की हुई थी। जिसमे उन्होंने मसक दूर्ग पर अपना अधिकार कर लिया। जिसके बाद सिकंदर का सामना पोरस की सेना से होता है। अर्यन के अनुसार पोरस की सेना मे लगभग 30,000 पैदल सिपाहीयों, 4,000 घुड सवारों, 300 रथों और 200 हाथियों के साथ सिकंदर से युद्ध किया और इस युद्ध मे पोरस की पराजय हुई। लेकिन पोरस की बहादुरी देखते हुए, सिकंदर ने उससे मैत्री का हाथ बढ़ाया।

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कहा जाता है की 325 ई.पू में सिकंदर की तबियत ख़राब होने के कारण वह भारत छोड़कर बेबीलोन चला गया था। जहा उसके कुछ समय बाद ही उसकी मोत हो गयी थी और बेबीलोन मे ही उसको दफनाया गया था। सिकंदर महान 33 साल की उम्र मे ही अपना इतिहास लिख गया था।

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जिसे आज इसे दुनिया विश्‍वविजेता के नाम से जानती है। इतिहास मे सिकन्दर का नाम Alexander third, Alexander the great, और Alexander the great empire से जाना जाता है।

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