Best Cooking Utensils for Health in Hindi: आज के मॉडर्न जमाने में इंसान सड़कों से लेकर रसोई तक मॉडर्न चीजों का इस्तेमाल करने लगा है। हर एक वस्तु का आधुनिकरण किया जा रहा है। पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों की जगह इलेक्ट्रॉनिक साइकिल चलाई जा रही है। गैस और लकड़ियों के चूल्हे की जगह पर इंडक्शन का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि यह चीजें हमारे पर्यावरण के लिए तो अच्छी है। लेकिन कहीं ना कहीं हम अपने पूर्वजों की चीजों को छोड़कर अपने स्वास्थ्य को भी कमजोर बना रहे हैं। आज हम बात कर रहे हैं रसोई में इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तनों की, क्या आप जानते हैं कि अलग-अलग धातु से बनने वाले बर्तनों में बनने वाले खाने का अलग-अलग स्वभाव और असर होता है। तो चलिए सबसे पहले बात करते हैं पीतल की।
हम सभी जानते हैं कि पहले के जमाने में लोग ज्यादातर पीतल के बर्तनों में ही खाना पकाया करते थे। पीतल के बर्तनों में खाना पकाने और खाने से स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है। लेकिन पीतल के बर्तनों में अधिक नमक वाली चीजों या खट्टी चीजों का पकाना फूड प्वाइजनिंग भी कर सकता है।
तांबे के बर्तन का प्रयोग पहले के समय में ही ज्यादा किया जाता था। आदिकाल में वेद एवं ऋषि मुनि ज्यादातर काम तांबे के बर्तन में ही किया करते थे। तांबे के बर्तन में पानी रखकर पीने से पेट संबंधित समस्याएं भी खत्म हो जाती है। तांबे के बर्तन से होने वाले नुकसान को अगर देखा जाए तो, भोजन में मौजूद ऑर्गेनिक एसिड तांबे के साथ मिलकर रिएक्शन करता है। तो ऐसे में तांबे के बर्तन में खाना या पीना हो सकता है, लेकिन इसमें खाना पकाना सही नहीं होता।
एलुमिनियम के बर्तन का प्रयोग आज के समय में ज्यादा होता है या कहें कि हर घर में आज एलुमिनियम के बर्तन पाए जाते हैं। दरअसल गर्मी मिलने पर एलमुनियम में मौजूद अणु जल्द सक्रिय हो जाते हैं। इसीलिए ज्यादातर खाना एल्युमिनियम के बर्तन में बनाया जाता है। लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह भी अम्ल के साथ मिलकर बहुत जल्द ही रासायनिक प्रतिक्रिया दिखाने लगता है। इसलिए इसमें खटाई या अम्लीय सब्जियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
वर्तमान में स्टेनलेस स्टील के बर्तनों का भी काफी प्रयोग किया जाता है। यह एक मिश्रित धातु है जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनाई जाती है। इसमें खाना पकाने या बनाने में सेहत को कोई नुकसान नहीं होता। इन बर्तनों का तापमान बहुत जल्दी बढ़ता है।
लोहा से बने बर्तन का उपयोग खाना बनाने के लिए बेहद कम होता है। लेकिन इस धातु के बर्तन में बनाए गए खाने हर तरह से सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। इन बर्तनों में खाना पकाने से खाने में आयरन की मात्रा अपने आप बढ़ जाती है और खाने वाले को उसका भरपूर पोषण मिलता है। सामान्य तौर पर हर इंसान को आयरन की आवश्यकता होती है। खासकर महिलाओं के शरीर में आयरन की एक अच्छी खासी भूमिका होती है।
नॉन स्टिक का मतलब होता है कि ऐसा बर्तन जिसमें कुछ भी ना चिपके, ऐसे बर्तनों में खाना पकाने के लिए अधिक घी या तेल की आवश्यकता भी नहीं होती है। लेकिन खाना बनाते वक्त इन बर्तनों में अगर अधिक स्क्रैच पड़ जाए तो यह सेहत के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। क्योंकि इस दौरान इसमें से केमिकल का उत्सर्जन होता है।
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