Bhringraj ke Fayde: पारंपरिक भारतीय इलाज के तरीकों में इस्तेमाल किया जाने वाला भृंगराज एक प्रसिद्ध औषधि है, जिसे ना सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए बल्कि बालों से जुड़ी समस्याओं तथा लीवर विकारों में उपयोग किया जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, यह त्वचा रोगों, खांसी, अस्थमा, आंख के रोग और सिर के किसी भी हिस्से से संबंधित बीमारियों के लिए भी एक बहुत ही ज्यादा प्रभावी औषधि या दवा मानी गयी है। भृंगराज एक औषधि है जिसका दूसरा नाम एक्लिप्टा एल्बा है। आयुर्वेद में इसे ‘रसायन’ माना जाता है। यह जड़ी बूटी भारत भर में पाई जाती है, विशेष रूप से दलदली स्थानों में। भृंगराज के चार मुख्य किस्म इसके फूलों के रंग के आधार पर हैं लेकिन जो सबसे अधिक प्रचलित है वो है सफेद एक्लिपटा एल्बा। इसमें ऊर्जावान बनाने और बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने के ढेरों गुण पाए जाते हैं। इसके फल कृष्ण वर्ण के होते हैं। इसके बीज अनेक, छोटे तथा काले जीरे के समान होते हैं। आमतौर पर इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अगस्त से जनवरी तक होता है। तो चलिए आज हम आपको भृंगराज के आयुर्वेदिक गुणों के बारे में बताते हैं कि कितना लाभकारी और गुणकारी है भृंगराज।
वैसे तो भृंगराज के एक दो नहीं बल्कि अनेकों लाभ हैं मगर बता दें कि यह लीवर के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह हेपेटोप्रोटेक्टिव के रूप में कार्य करता है और लीवर की कोशिकाओं के पुनर्जन्म को उत्तेजित करता है। यह पित्त के उत्पादन को बढ़ाता है जिससे हमारा पाचन सही रहता है और यह शरीर के विषाक्त पदार्थों को तोड़ने और बाहर निकालने का काम करता है।
बताना चाहेंगे कि यदि आप बवासीर जैसी असहज और शर्मनाक समस्या से परेशान हैं तो ऐसे में आपको इस समस्या से राहत पाने के लिए भृंगराज से बेहतर विकल्प और कुछ नहीं हो सकता है। जी हां, बता दें कि भृंगराज संवेदनशील क्षेत्र में सूजन को कम करता है और दर्द से राहत प्रदान करने वाले आशाजनक और सुखदायक परिणाम देता है।
बताया जाता है कि भृंगराज के रस और बकरी के दूध को समान मात्रा में लेकर उसको गुनगुना करके नाक में टपकाने से और भृंगराज के रस में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सिर पर लेप करने से आधासीसी के दर्द में लाभ होता है।
आपको यह भी पता होना चाहिए कि भृंगराज को यदि बालों के तेल के रूप में प्रयोग किया जाए तो इसके परिणाम बेहद ही प्रभावी होते हैं। इसका नियमित इस्तेमाल आपके बालों को मजबूती देने, असमय सफेद होने से रोकने और बालों को साफ रखने के लिए जाना जाता है।
भृंगराज के एंटी-बैक्टीरिया और एंटी-सेप्टिक गुण मूत्राशय से मूत्र के द्वारा हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं और इसे सामान्य रूप से काम करने के लिए पुनर्स्थापित करते हैं।
अगर आपको आंखों में काफी समय से किसी भी प्रकार की समस्या आ रही है तो ऐसे में आप भृंगराज के पत्तों को छांव में सुखाकर पीस लें। उसमें से थोड़ा चूर्ण लेकर लगभग 3 ग्राम शहद और 3 ग्राम गाय का घी मिलाकर नियमित रूप से इसका सेवन करें। ऐसा करने से आंखों की रोशनी बेहतर होती है।
भृंगराज में आयरन, विटामिन ई, मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन-डी का अच्छा व समृद्ध स्रोत है। इसके अलावा भृंगराज का पौधा एंटीलेप्रॉटिक, एंटीहेमोरेजिक, एनैलजेसिक, एंटीहेप्टॉक्सिक, एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल गुणों से युक्त होता है, जो यक़ीनन इसे एक जादुई हर्ब बनाता है। अब तक तो आप भी बेहतर तरीके से जान गए होंगे कि यह औषधि बेहद ही लाभकारी है और इससे कई तरह की समस्याओं का हल भी मिलता है लेकिन किसी भी चीज की अधिकता कई बार नुकसानदायक भी हो जाया करती है। बताना चाहेंगे कि इसकी खुराक थोड़ी अलग होती है और यह इसके उपयोगों पर निर्भर होती है लेकिन जब इसे अन्य अवयवों के साथ मिलाया जाता है तो इसके 1 से 2 चम्मच काफी होते हैं।
बेशक भृंगराज के ढेर सारे फायदे हैं मगर शायद आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसके इस्तेमाल से कई तरह के नुकसान भी होते हैं। क्या-क्या और किस तरह के नुकसान होते हैं इसके बारे में भी आज हम आपको बताएंगे। तो चलिए फायदों के अलावा जानते हैं भृंगराज के नुकसानों के बारे में।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कोई भी वस्तु चाहे कितनी भी अच्छी हो या फिर लाभकारी ही क्यों ना हो मगर उसकी अधिकता हमेशा नुकसानदायक ही होती है। ठीक उसी प्रकार से अधिक मात्रा में भृंगराज का सेवन करने से आपको पेट से संबंधित परेशानी हो सकती है।
बताया जाता है कि गर्भावस्था और स्तनपान की अवस्था में भृंगराज का सेवन जहां तक संभव हो कम से कम या फिर नहीं ही करना चहिये और अगर बहुत ही ज्यादा आवश्यक लगे तो डॉक्टर के परामर्श के बाद ही इसका सेवन करना चहिये।
इसके अलावा आपको यह भी बताते चलें कि यदि आप मधुमेह से पीड़ित हैं और आपके शुगर का लेवल बढ़ा हुआ है तो भृंगराज के सेवन से बचना चाहिए। अगर ऐसी अवस्था में भृंगराज के सेवन के दौरान आपको किसी तरह की समस्या होती है तो तत्काल रूप से चिकित्सक से संपर्क करें।
वैसे तो यह देखा गया है कि इसकी नियमित खुराक के साथ किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नही होता है मगर कुछ स्वास्थ्य परिस्थितियो में हमेशा संवेदनशील व्यक्तियों में एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है। इसलिए इसका सेवन करते समय भी आपको काफी सावधान रहना चाहिए अन्यथा आपको इससे मिलने वाले फायदे की बजाय नुकसान ही मिलेगा।
इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि इसके तेल की तासीर ठंडी होती है, इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अगर आपको सर्दी या जुकाम है तो इससे सिर की मालिश न करें। ऐसा करने से परेशानी और भी ज्यादा बढ़ सकती है।
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