Dengue Ke Lakshan: डेंगू एक ऐसी बीमारी है जो शुरुआती दौर में एक सामान्य बुखार के रूप में उभरता है। लेकिन अगर यह बुखार देर तक रह गया या फिर इसका गलत इलाज हुआ तो यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। लेकिन इसके उलट अगर इस बीमारी का समय रहते सही इलाज किया जाए। तो हालात कंट्रोल में हो सकते हैं और मरीज जल्द ही स्वस्थ हो सकता है। इससे बचाव के लिए सबसे पहले हमें डेंगू के लक्षण और बचाव का तरीका जानना जरूरी है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस बीमारी के लक्षण क्या है और कैसे समय रहते इससे निजात पाया जा सकता है।
डेंगू एक ऐसी बीमारी है जो मादा एडीज इजिप्टी नाम के मच्छर के काटने से होता है। इन मच्छरों की पहचान हम देखकर भी कर सकते हैं। डेंगू के मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ज्यादातर यह मच्छर इंसानों को दिन में शिकार बनाते हैं, खासकर सुबह के वक्त। डेंगू के मच्छर बरसात के मौसम में या फिर उसके तुरंत बाद जमे हुए पानियों में पनपते हैं और बीमारी फैलाने का काम करते हैं। एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता।
जो व्यक्ति डेंगू के बुखार से पीड़ित होता है। उसके खून में डेंगू वायरस बहुत ही ज्यादा मात्रा में मौजूद होता है। जब कोई एडिज मच्छर किसी इंसान को काटता है। तो इस दौरान मच्छर इंसान के शरीर में डेंगू का वायरस छोड़ देता है। इस दौरान मच्छर और इंसान दोनों के शरीर में वायरस की अदला-बदली होती है। वहीं मच्छर अगर किसी दूसरे इंसान को काटता है तो वायरस उस इंसान के शरीर में भी पहुंच जाता है। जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है। मच्छर द्वारा काटे जाने के करीब 3 से 5 दिनों के बाद मरीज के अंदर डेंगू बुखार के लक्षण नजर आने लगते हैं। डेंगू द्वारा पीड़ित मरीज के अंदर बुखार के लक्षण 3 से 10 दिनों के बीच भी नजर आ सकते हैं।
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
2. डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)
क्लासिकल डेंगू से इंसान को ज्यादा खतरा नहीं होता है लेकिन डेंगू हेमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम मरीज के लिए ज्यादा खतरनाक होता है। यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। साधारण डेंगू का बुखार कई बार अपने आप भी ठीक हो जाता है। अगर किसी मरीज को DHF या DSS होता है तो उसे फौरन इलाज की जरूरत होती है। यही कारण है कि कई बार डॉक्टर यह जानते हुए भी कि मरीज डेंगू से पीड़ित है जांच जरूर करते हैं ताकि पता लगाया जा सके कि मरीज को साधारण डेंगू है, DHF है या DSS।
अगर मरीज को साधारण डेंगू का बुखार है तो उसे ठंड लगने लगता है और उसके बाद अचानक तेज बुखार आ जाता है। सिर और मांसपेशियों के साथ-साथ जोड़ों में भी दर्द होने लगता है। आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना शुरू हो जाता है। मरीज को भूख नहीं लगती जी मितलाने लगता है। मुंह का स्वाद खराब हो जाता है और कमजोरी महसूस होने लगती है। शरीर में लाल और गुलाबी रंग के चकत्ते होने लगते हैं। यह चकत्ते ज्यादातर चेहरे, गर्दन और छाती पर नजर आते हैं। यह बुखार 5 से 7 दिनों तक रहता है और उसके बाद वह ठीक हो जाता है। ज्यादातर मामलों में मरीज को इसी किस्म का डेंगू बुखार होता है।
डेंगू हेमरेजिक बुखार से पीड़ित मरीज के नाक और मसूड़ों में से खून आना शुरू हो जाता है। शौच या उल्टी में भी खून नजर आने लगता है। शरीर के कई हिस्सों पर गहरे नीले और काले रंग के छोटे बड़े चकत्ते नजर आने लगते हैं। मरीज में अगर साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ साथ यह लक्षण भी देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि मरीज को डेंगू हेमोरेजिक बुखार है। जो कि ब्लड टेस्ट के बाद स्पष्ट हो जाता है।
इस अवस्था में भी मरीज में सामान्य डेंगू के बुखार वाले लक्षण नजर आते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ शॉक सिंड्रोम के लक्षण भी नजर आते हैं। जैसे कि, मरीज को इस दौरान बहुत ही बेचैनी होती है। अंदर से तेज बुखार होता है। लेकिन बाहर से स्किन ठंडी रहती है। इस तरह के डेंगू के बुखार के दौरान मरीज धीरे-धीरे अपना होश खोने लगता है। दिल की धड़कन कभी तेज होती है तो कभी धीरे इसके अलावा ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाता है।
अगर किसी व्यक्ति को तेज बुखार के साथ-साथ जॉइंट्स में दर्द हो और शरीर पर रैशेज नजर आने लगे तो तुरंत ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए। अगर मरीज में यह सारे लक्षण नहीं नजर आते हैं। लेकिन तेज बुखार बना रहता है तो भी किसी अच्छे फिजिशियन के पास जाकर खून की जांच करवा लेनी चाहिए। डेंगू की जांच के लिए शुरुआती दौर में एंटीजन ब्लड टेस्ट करवाया जाता है। जिसे एनएस 1 कहा जाता है। टेस्ट के दौरान खून में डेंगू शुरुआत में ज्यादा पॉजिटिव नजर आता है। लेकिन बाद में धीरे-धीरे यह कम होने लगता है। यह टेस्ट किसी भी क्लीनिक में 1000 से 1500 रुपए में होता है। अगर मरीज 3 से 4 दिन के बाद टेस्ट करवाते हैं। तो उसके लिए एंटीबॉडी टेस्ट कराना बेहतर होता है। जिसके लिए 600 से 1500 रु तक खर्च करना पड़ता है।
डेंगू की जांच कराते वक्त वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट अलग-अलग करा लेना चाहिए। जिससे खून में प्लेटलेट की संख्या का पता चल जाता है। डेंगू के टेस्ट आमतौर पर सभी अस्पतालों और लैब्स में हो जाते हैं। इसका रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर ही मिल जाता है। इसका टेस्ट खाली पेट या खाना खाने के बाद भी कराया जा सकता है।
आमतौर पर एक स्वस्थ इंसान के शरीर में करीब डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स मौजूद होते हैं। जो बॉडी की बिल्डिंग को रोकने का काम करते हैं। डेंगू के कारण खून में मौजूद प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है या फिर ऐसा कहें कि अगर प्लेटलेट एक लाख से कम हो जाए। तो इसकी वजह डेंगू हो सकता है। हालांकि कई बार किसी अन्य कारणों से भी शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। शरीर में अगर 20 हजार प्लेटलेट्स हो जाए तो प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 40 से 50 हजार तक प्लेटलेट्स अगर शरीर में मौजूद हो तो बिल्डिंग का खतरा नहीं होता। लेकिन संख्या जैसे ही इससे नीचे गिरती है बिल्डिंग का खतरा बढ़ जाता है।
डेंगू के बुखार से ज्यादा खतरा बच्चों को होता है। क्योंकि इसके पीछे यह कारण होता है कि बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इसके पीछे का एक और कारण यह है कि बच्चे ज्यादातर घर के बाहर रहते हैं। ऐसे में माता पिता को ध्यान देना चाहिए कि जब बच्चा घर के बाहर खेलने जाए तो उसे पूरा कपड़ा पहना कर भेजें। अगर बच्चे के स्कूल के आस-पास साफ-सफाई नहीं रहती है तो माता-पिता स्कूल प्रशासन से इस बात की शिकायत करें। अगर बच्चा अचानक बीमार पड़ जाए और उसे उल्टी होने लगे। तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और उसके खून की जांच करवाएं। सामान्य तौर पर डेंगू का इलाज फिजीशियन करते हैं लेकिन अगर बच्चों में डेंगू के लक्षण नजर आए तो उसे पीडिअट्रिशियन के पास लेकर जाएं।
डेंगू के बुखार का तत्काल इलाज केवल एलोपैथी में है। तो बेहतर है कि अगर किसी मरीज के अंदर डेंगू के लक्षण पाए जाते हैं तो डॉक्टर से ही इस बीमारी से निजात पाने की सलाह ले और इलाज करवाएं। गलती से भी आयुर्वेद में इस बीमारी का इलाज ना ढूंढें। डेंगू का इलाज आयुर्वेद में नहीं मौजूद है। हां लेकिन अगर आप आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनाते हैं। तो डेंगू होने से यह आपको बचा सकता है। बरसात के बाद जैसे ही मौसम बदले इस दौरान ठंडा पानी ना पिएं। मैदा बासी खाना इत्यादि का सेवन करना छोड़ दें। अगर डॉक्टर इस बात की पुष्टि कर देता है कि आप डेंगू से पीड़ित हैं। तो खाने में हल्दी, अजवाइन अदरक, हींग का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करें। पत्ते वाली सब्जियों का सेवन ना करें खास करके इस मौसम में अरबी और फूलगोभी ना खाएं। इस मौसम में हल्का भोजन ही करें। पूरी नींद लें, खूब पानी पिए और जब कभी भी पानी पिए तो पानी को उबालकर पीएं।
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