Difference Between Stress And Anxiety In Hindi: वैसे तो आम बोलचाल की भाषा में स्ट्रेस, एंग्जाइटी, डिप्रैशन और मूड स्विंग्स एक जैसे ही लगते हैं लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि इनके बीच एक बारीक लाइन है, जो इन्हें एक दूसरे से अलग करती है। आजकल के बिजी लाइफ शेड्यूल में यह शब्द कुछ ज्यादा ही देखने सुनने को मिल रहे हैं. कोरोना के बाद दुनिया भर में लॉकडाउन होने की स्थिति के कारण लोगों को इन समस्याओं का कुछ ज्यादा ही सामना करना पड़ रहा है। आज हम आपको इन शब्दों के बीच के बारीक अंतर के बारे में बताने वाले हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 7.5% इंडियंस इस प्रकार के मेंटली डिसऑर्डर से पीड़ित हैं, लेकिन अब यह आंकड़ा 2020 कोविड-19 के बाद से और बढ़ गया है। वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो भारत में 36.6% आत्महत्याएं होती हैं। जिसका मुख्य कारण 38 मिलियन भारतीय एंग्जाइटी डिसऑर्डर के शिकार हैं। जो कि एक चिंताजनक स्थिति है।
देखा जाए तो डिप्रेशन, स्ट्रेस, मूड स्विंग या एंग्जाइटी ऐसी कोई गंभीर मानसिक बीमारियां नहीं है जिनका इलाज संभव ना हो। वैसे तो इन सब बीमारियों के लक्षण भी लगभग एक जैसे ही होते हैं। इस प्रकार के मेंटली डिसऑर्डर होने पर आमतौर पर पेशेंट को नर्वसनेस चिड़चिड़ापन नींद ना आना, किसी चीज में ध्यान ना लगना जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। हममें से ज्यादातर लोग फिजिकल हेल्थ को लेकर ही जागरूक रहते हैं। मेंटल डिसऑर्डर की तरफ लोगों का ध्यान नहीं जाता और वह इसे कोई गंभीर बीमारी भी नहीं मानते। इन सब बीमारियों के लक्षण भी लगभग एक ही जैसा है तो फिर इनके बीच अंतर कैसे किया जा सकता है? आज हम वही आपको बताने वाले हैं।
आज की न्यू यंग जेनरेशन को स्ट्रेस, एंग्जाइटी, मूड स्विंग और डिप्रेशन के बीच के अंतर को जरूर समझना चाहिए. इसे समझना इसलिए जरूरी है, ताकि हम इसके बारे में जानकार इसका कुछ सटीक समाधान निकाल सके।
आजकल की भागदौड़ भरी लाइफ में डिप्रेशन एक कॉमन बीमारी हो गई है। जो ज्यादातर लोगों में देखने को मिलती है। और हमारे मानसिक स्वास्थ्य को डिस्टर्ब करती है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में लगभग 264 मिलियन लोग इस बीमारी से पीड़ित है। यह बीमारी उन्हें तब शिकार बनाती है, जब लोग अपनी लाइफ में रोज आने वाली चुनौतियों से घबरा जाते हैं। तब उनका मूड भी उसी हिसाब से रिएक्ट करने लगता है। पेशेंट को हर वक्त कुछ ना कुछ खोने का डर सताता रहता है। यह डर उनकी पर्सनल लाइफ या प्रोफेशनल लाइफ से भी जुड़ा हो सकता है। कभी-कभी रिलेशनशिप को लेकर भी लोग डिप्रैस हो जाते हैं। डिप्रेशन को इन लक्षणों के आधार पर पहचाना जा सकता है।
डिप्रेशन के लक्षण
अगर आपमें भी ऐसे कोई लक्षण हैं और यह लक्षण 2 सप्ताह से ज्यादा समय तक रहते हैं तो निश्चित तौर पर इसका असर आपके पूरे जीवन पर पढ़ने वाला है। पहले लोग इस बीमारी के बारे में खुलकर बात नहीं करते थे लेकिन अब लोगों में जागरूकता बढ़ चुकी है अब लोग इसका इलाज भी करवाते हैं।
स्ट्रेस होने पर शरीर का जो नेचुरल रिस्पांस होता है उसे एंग्जाइटी कहा जाता है. एंग्जाइटी का अर्थ है गहरी चिंता करना। अगर आप एंग्जाइटी से पीड़ित हैं तो आपको अपने भविष्य को लेकर हर वक्त गहरी चिंता रहती है। आपको यह डर अक्सर सताता रहता है कि आने वाला समय कैसा होगा? आप भविष्य की किसी ना किसी बात को लेकर हमेशा चिंतित रहेंगे और अचानक से पैनिक हो जाएंगे। अगर एंग्जाइटी का सही समय पर इलाज न कराया जाए तो इसका असर आपके व्यवहार पर और आपके काम करने की क्षमता पर पड़ता है। जिससे आप के रिश्ते भी प्रभावित होते हैं। एंग्जाइटी की समस्या बढ़ जाने पर कई मामलों में मरीज घर छोड़कर भी चला जाता है।
मनोदशा में अचानक तेजी से बदलाव आना ही मूड स्विंग कहलाता है। जिसका कारण बाहरी समस्याएं भी हो सकती है, और नहीं भी हो सकती है। आपके साथ जुड़ी कोई पुरानी याद या कोई बुरा अनुभव, आपके मूड स्विंग को बार-बार ट्रिगर कर देता हो। मूड स्विंग्स एक ऐसी अंतर्निहित चिंता है। जो डिप्रेशन, स्ट्रेस, एंग्जाइटी से किसी प्रकार सामान्य नहीं। हालांकि लाइफ के उतार-चढ़ाव के बीच कभी खुश होना या कभी उदास होना या कभी कभी क्रोध महसूस करना एक स्वाभाविक बात है। लेकिन अगर मूड स्विंग बार-बार होता रहता हैं या अचानक से होता हैं या फिर बहुत एक्सट्रीम होता हैं तो मामला गंभीर हो सकता।
स्ट्रेस और एंग्जाइटी इन दोनों के लक्षण लगभग एक समान होते हैं। लेकिन देखा जाए तो यह दोनों एक-दूसरे से काफी अलग है। एक्स्ट्रा वर्क प्रेशर की वजह से जो रिएक्शन होता है उसे स्ट्रेस कहते हैं. सबसे बड़ी बात है, स्ट्रेस कब होता है? यह लोगों को पता भी नहीं चल पाता. क्योंकि इसके सामान्य से लक्षण ही होते हैं। जैसे सिरदर्द, हाई ब्लड प्रेशर, चेस्ट पेन, दिल की बीमारी का खतरा त्वचा की बीमारी या नींद की समस्या। देखा जाए तो स्ट्रेस का इलाज इतना मुश्किल नहीं है। जिस काम को करने में आप दबाव-तनाव महसूस करें या फिर जिस चीज से आपको स्ट्रेस हो रहा हो उस चीज को कम करें। इससे आपका स्ट्रेस खत्म या कम हो जाएगा।
तो देखा आपने यह चारों मेंटल डिसऑर्डरस किस तरह एक दूसरे से अलग है अगर आप इनमे से किसी समस्या से पीड़ित है तो अपने डॉक्टर से इन समस्याओं के बारे में जरूर परामर्श करें
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