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Leukemia भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने बच्चों में होने वाले कैंसर एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकीमिया (ALL) के इलाज में कारगर दवा को हासिल करने का दावा किया है। यह दवा अंटार्कटिक कवक (फंगी) से हासिल की गयी है, जिसमें एंजाइम आधारित कीमोथेरेप्यूटिक एजेंट एल-एस्पराजिनेज पाया जाता है। यह एंजाइम दवा बनाने के काम में आता है।
ल्यूकीमिया के कारण मरीज को खून की कमी हो जाती है। ल्यूकीमिया एक्यूट या क्रोनिक हो सकता है। इसका मतलब यह है कि यह या तो अचानक से या फिर धीरे-धीरे होता है। ल्यूकीमिया अधिकतर बच्चों को ही प्रभावित करता है, पर एक्यूट ल्यूकीमिया युवाओं और बच्चों दोनों को प्रभावित करता है। ल्यूकीमिया सामान्यत: व्हाइट ब्लड सेल्स जो बोन मैरो में बनते हैं, उनको प्रभावित करता है। यह पूरे शरीर में संचालित होते हैं। वायरस और दूसरे संक्रमण से लड़ने में प्रतिरक्षा प्रणाली की मदद करते हैं। ल्यूकीमिया चार प्रकार के होते हैं। एक्यूट लिम्फोसाईटिक ल्यूकीमिया, क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकीमिया, एक्यूट माइलोसाईटिक ल्यूकीमिया और क्रोनिक माइलोसाईटिक ल्यूकीमिया।
ब्लीडिंग- ल्यूकीमिया से पीड़ित बच्चों को मामूली चोट या कटने पर ज्यादा खून आ सकता है। ऐसा तब हो सकता है, जब शरीर में छोटी रक्त वाहिकाओं में पहले से ही खून बह रहा हो।
रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) हड्डी में पैदा होती है और ल्यूकीमिया आरबीसी के उत्पादन को तेज करता है, इसलिए हड्डियों में अतिरिक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है जो जोड़ों में दर्द का भी कारण बन सकता है।
पीड़ित बच्चों में वज़न घटना आम है क्योंकि कैंसर सेल पाचन तंत्र के अंगों को प्रभावित करती हैं। इससे लीवर और किडनियां प्रभावित होती हैं जिससे ये लक्षण पैदा होते हैं।
इस स्थिति में बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है क्योंकि कैंसर सेल्स लिम्फ नोड्स और विंडपाइप स्वेल का कारण बनती हैं। ऐसे बच्चों को अक्सर खांसी रहती है।
ल्यूकीमिया का ईलाज उसके प्रकार पर निर्भर करता है, यानी हर तरह के ब्लड कैंसर को ठीक करने का अलग इलाज है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि रोगी की उम्र क्या है और उसे किस जगह पर कैंसर हुआ है। ल्यूकीमिया से जूझ रहे मरीज के पास ईलाज के कई विकल्प हैं। कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, बॉयोलॉजिकल थेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट थेरेपी।
कई बार ल्यूकीमिया की चिकित्सा के लिए ब्लड और प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की भी जरूरत होती है। ल्यूकीमिया की इलाज के दौरान जैविक उपचार भी किया जाता है, जो कि ल्यूकीमिया से उबरने में बहुत मदद करता है। इससे काफी कारगर माना गया है।
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