Nipah Virus Kya Hai: साउथ इंडिया का एक राज्य केरल इन दिनों दो भयानक संक्रमणों का सामना कर रहा है। एक तो कोरोना वायरस जिसके मामलों में अब फिर से वृद्धि होने लगी है और दूसरा निपाह वायरस जिसने अभी-अभी दस्तक दी है। ये दोनों ही वायरस प्रकृति में एक जैसे होने के बावजूद एक दूसरे से काफी भिन्न हैं। आइये आज जानते हैं निपाह वायरस और कोरोना वायरस के बीच अंतर और समानता के बारे में।
फर्क – निपाह एक पशुजन्य संक्रमण है, जबकि कोरोना का कुछ पता नहीं
निपाह वायरस मुख्य रूप से एक पशुजन्य संक्रमण (एक संक्रामक रोग जो प्रजातियों के बीच, जानवरों से मनुष्यों में या इसके विपरीत फैलता है) है। 1999 में इस वायरस का नाम मलेशिया के एक गांव सुंगई निपाह के नाम पर रखा गया था।
यह संक्रमण सुअर, फ्रूट बैट, कुत्ते, बकरी, बिल्ली, घोड़े और भेड़ जैसे जानवरों से भी फ़ेल सकता है। हालांकि ऐसा माना जाता है कि इस वायरस को प्रकृति में “फ्लाइंग फॉक्स” (एक प्रकार का फ्रूट बैट) नामक पक्षी ने बनाए रखा है, जिसमें इस संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते।
दूसरी तरफ, लगभग बीस महीने पहले चीन के वुहान में उत्पन्न हुए कोरोना वायरस की उत्पत्ति का स्रोत अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि शुरुआत में ऐसा माना जा रहा था कि इसकी उत्पत्ति वुहान के वैट मार्किट (जिसे वुहान हुआनान समुद्री भोजन थोक बाजार भी कहा जाता है) से हुई है, लेकिन इस खबर की भी कोई पुष्टि नहीं हो पाई। इसके बाद इसे कभी “मेड-इन-लैब” तो कभी “मेड-इन-चाइना” वायरस कहा गया, लेकिन इसकी असलियत अभी तक किसी को समझ नहीं आई है।
फर्क – निपाह ज्यादा घातक, कम संक्रामक, जबकि कोविड बिल्कुल विपरीत
ग्लोबल वायरस नेटवर्क के अनुसार निपाह वायरस कम संक्रामक है, लेकिन यह काफी ज्यादा घातक है। इसका मृत्यु दर 45-70 प्रतिशत है और इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केरल में इस वायरस से संक्रमित 19 रोगियों में से 17 की मौत हो गई थी।
दूसरी तरफ कोविड काफी तेजी से फैलता है, लेकिन इसकी मृत्यु दर काफी कम है। इस वायरस से संक्रमित अधिकांश लोगों को बुखार व सांस संबंधी रोग का अनुभव होता है, जो साधारण उपचार के ठीक हो जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार कोविड की मृत्यु दर औसतन 1 फीसदी से भी कम है।
फर्क – निपाह और कोविड के लक्षण भी अलग-अलग
रिपोर्ट्स के अनुसार, निपाह से संक्रमित लोगों को शुरूआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और गले में खराश महसूस होती है। इसके बाद चक्कर आना, नींद आना, परिवर्तित चेतना और तंत्रिका संबंधी रोग हो सकते हैं। कुछ लोगों में असामान्य निमोनिया और गंभीर श्वसन समस्याएं भी देखी गई हैं। कई गंभीर मामलों में रोगी को दौरा भी पद सकता है, जिसमें 24-48 घंटों के भीतर मरीज कोमा में चला जाता है।
दूसरी तरफ कोरोना वायरस का अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग प्रभाव देखा गया है, जिसमें बुखार, सूखी खांसी, थकान, बदन दर्द, गंध व स्वाद की कमी आदि मुख्य हैं।
रिपोर्ट्स की मानें तो 80 प्रतिशत संक्रमण बेहद हल्का है, जबकि 15 प्रतिशत संक्रमण गंभीर है, जिसमें ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और 5 प्रतिशत संक्रमण जानलेवा होता है, जिसमें वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है।
समानता – निपाह और कोरोना वायरस का कोई पुख्ता इलाज नहीं
निपाह और कोरोना संक्रमण का अभी तक कोई ठोस उपचार नहीं मिल पाया है, ना ही इनकी कोई एंटीवायरल दवा बनी है। केवल इनके लक्षणों को कम करने के लिए थोड़ी बहुत दवाइयाँ दी जा सकती हैं।
बात करें निपाह वायरस की तो खबरों के मुताबिक, इस संक्रमण के उपचार के लिए इम्यूनोथेराप्यूटिक उपचार (मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी) तैयार किया जा रहा है। हालांकि, भारत इसके उपचार के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के उपयोग की खोज कर रहा है।
बात करें कोरोना वायरस की तो अक्टूबर 2020 में, खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कोविड-19 के इलाज के लिए एंटीवायरल दवा रेमेडिसविर को मंजूरी दे दी थी। इसके अलावा Tocilizumab सहित अन्य कई पुनर्निर्मित दवाओं को कोरोना के उपचार के लिए उपयोग किया जा रहा है, लेकिन इसमें से किसी को भी लाइसेन्स नहीं मिल पाया है और ना ही इनके पूरी तरह से असर करने की कोई पुष्टि हो पाई है।
समानता – आरटी-पीसीआर के माध्यम से दोनों का पता लगाना
निपाह और कोरोना वायरस का पता ‘स्वैब एंड थ्रोट टेस्ट (आरटी-पीसीआर)’ के द्वारा लगाया जा सकता है। कोरोना का पता पीसीआर से भी लगाया जा सकता है, जबकि निपाह का पता लगाने के लिए वर्तमान समय में आरटी-पीसीआर ज्यादा कारगर है।
समानता – दोनों ही मामलों में आइसोलेशन जरूरी
निपाह और कोरोना से संक्रमित मरीजों को ट्रैक, टेस्ट व ट्रीट करने के लिए आइसोलेट करना बेहद जरूरी है।
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