Reiki Meaning in Hindi: ऐसा माना जाता है कि मनुष्य के शरीर की संरचना का केवल 12 फीसदी भाग है बाकी 90 फीसदी हिस्सा ऊर्जा की अलग-अलग 7 परतों से बना है। वहीं हमारे शरीर के चारों तरफ 4-6 इंच के घेरे में हमारा ऊर्जा शरीर होता है, जिसे हिंदी में मनोनय शरीर और अंग्रेजी में AURA कहा जाता है। रोज़ाना की जिंदगी में हम ये AURA महसूस करते हैं।
सकारात्मक मानसिकता वाले मनुष्य के पास आते ही अपने पॉजीटिव वाइब मिलने लगती हैं तो वहीं बीमार या तनावग्रस्त इंसान के संपर्क में आने का असर नेगेटिव ही होता है। कहा जाता है कि हमारे शरीर में ऊर्जा के कई छोटे बड़े चक्र यानि केंद्र बिंदु होते हैं। जो हमारी हर सकारात्मक भावना को प्रभावित करते हैं। ये चक्र जितने ज्यादा सक्रिय हैं मनुष्य के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का उतना ही ज्यादा विकास होता है। रेकी इन्ही छोटे बड़े केंद्रों यानि चक्रों को हाथ से स्पर्श के ज़रिए जागृत करने की कला है। जिसके ज़रिए मनुष्य में रचनात्मकता को बढ़ाया जा सकता है और इंसान तनाव से मुक्ति पा सकता है। यानि एक प्राकृतिक तरीका है तनाव से मुक्ति पाने का। ये किसी धर्म विशेष से संबंध नहीं रखता।
रेकी(Reki)…ये कोई भारतीय शब्द नहीं है बल्कि एक जापानी भाषा का शब्द है जो रे और की दो शब्दों से जुड़कर बना है। इसमें रे का अर्थ है होता है सर्वव्यापी और की का अर्थ है जीवनशक्ति यानि इस शब्द का अर्थ हुआ सर्वव्यापक जीवनशक्ति। प्राचीन काल से प्रचलित ये विद्या समय के साथ साथ धूमिल होती जा रही है लेकिन इस विद्या से जुड़े तमाम ग्रंथ आज भी मौजूद हैं। ईसा और बुद्ध ने इसका प्रयोग किया इसका उल्लेख भी कुछ ग्रंथों में मिलता है। लेकिन के वर्तमान में रेकी के स्वरूप को दोबारा उबारने का श्रेय डॉ. मिकाऊ उसई को जाता है जिन्होंने इस विद्या को न सिर्फ दोबारा जीवित बल्कि उसे आगे भी बढ़ाया। अगर मनुष्य अपने ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित कर सदा ऊर्जावान बना रहना चाहता है तो उसमें रेकी पद्धति का योगदान अहम माना जाता है।
चलिए अब आपको विस्तार से बताते हैं कि रेकी कैसे की जाती है। इसके लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है शांत माहौल। ये अभ्यास किसी शांत जगह पर ही किया जा सकता है। लेटकर या बैठकर कैसे भी ये अभ्यास किया जा सकता है। ध्यान को केंद्रित रखने के लिए अपना पंसदीदा संगीत या कोई गाना भी धीमी आवाज़ में सुना जा सकता है। इस प्रक्रिया की शुरूआत में प्रैक्टिशनर अपने हाथों को हल्के से मरीज के सिर, माथे, धड़ या बाहों पर रखते हैं और हर 2 से 5 मिनट के भीतर अपने हाथों की आकृति को बदलते रहते हैं।
रेकी पद्धति में इस तरह मरीज़ के शरीर पर 20 अलग-अलग जगहों पर हाथों को रखा जा सकता है। इस प्रक्रिया में शरीर को हाथ से दबाया नहीं जाता बल्कि त्वचा का स्पर्श भर किया जाता है। मरीज को जब प्रैक्टिशनर के हाथ हल्के गर्म लग सकते हैं तो इससे शरीर में झुनझुनी महसूस हो सकती है। हाथ को एक ही पॉजिशन में तब तक ही रखा जाता है, जब तक प्रैक्टिशनर को यह महसूस ना हो कि ऊर्जा का संचारण बंद हो गया है।
ध्यान की हर प्रक्रिया की तरह ही रेकी के भी कई फायदे हैं। लेकिन इसका विशेष उद्देश्य है व्यक्ति के भीतर ऊर्जा का संचार। यह जीवनशक्ति की ऊर्जा होती है जो हमारे भीतर उच्च जीवन शक्ति का जज्बा कायम रखती है। इसके अलावा भी रेकी के अनेकों फायदे हैं जैसे भावनात्मक, मानसिक व आध्यात्मिक स्तर को विकसित कर उसे और मजबूत बनाना। रेकी के ज़रिए मनुष्य अपने मन को चंचलता से दूर कर शांत रखता है, दिमागी तौर पर मजबूत बनाता है और आध्यात्मिक चेतना का विकास करता है। इसके अलावा
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