Aryan Mishra Astronomer Inspirational Story: जिंदगी का दूसरा नाम संघर्ष है. हर इंसान जीवन मे खुशी हासिल करने के लिए हर दिन संघर्ष करता है. लेकिन कुछ ही लोग उनमें से ऐसे होते हैं जो अपने मेहनत से हासिल हुई सफलता से लोगों को प्रेरणा दे सके. लेकिन जिनकी कहानी आज हम आपको बताने वाले हैं उनकी कहानी आपको प्रेरणा तो देगी ही और साथ ही में यह सीख भी देगी की हर इंसान को अपनी सफलता को अपने माता-पिता के साथ भी शेयर करना चाहिए.
सफलता उसी इंसान को मिलती है जो दिल से मेहनत करते हैं. जब व्यक्ति अपने सपने को पूरा करने के लिए मेहनत करता है तो वह अकेला मेहनत नहीं करता बल्कि उस एक सपने को हकीकत बनाने के लिए पूरा परिवार अपनी तरह से मेहनत करता है. जानते हैं ऐसे ही एक हकीकत के बारे में जो कभी सिर्फ उस इंसान के लिए सपना ही था.
आर्यन मिश्रा और उसके माता-पिता की यह कहानी सफलता की उन चुनिंदा कहानियों में से है जिसमें व्यक्ति ने अपना सपना साकार किया वह भी बिना ज्यादा साधन हुए. आज के वक्त आर्यन अपना नाम इतिहास के उन पन्नो में शामिल कर चुके हैं, जब इनके नाम के आगे एक एस्टेरोइड का खोजी लिखा आता है. आर्यन 14 साल की उम्र में अपने सपने को हकीकत बना चुके हैं. आर्यन ने इतनी छोटी उम्र में एस्टेरोइड को खोज लिया, जो कि बहुत बड़ी सफलता है. यह सफलता दोगुनी हो जाती है जब आप आर्यन के संघर्ष के बारे में पढ़ेंगे.
आर्यन मिश्रा का सपना एस्ट्रोनॉमर बनने का था, जिसके लिए उन्हें एक टेलिस्कोप की जरूरत थी. टेलिस्कोप की कीमत 5 हजार रुपए थी लेकिन आर्यन के घर मे आर्थिक असुविधा थी. पिता एक होटल में गार्ड के पोजीशन में थे तो मां हाउसवाइफ. ये सभी प्रॉब्लम्स शायद बाकी सभी को चिंतित कर सकते थे लेकिन आर्यन को अपने टारगेट से दूर नहीं कर पाए. 10 साल की उम्र में अंतरिक्ष से प्यार करने वाले इस बच्चे ने जैसे ही शनि ग्रह को टेलिस्कोप के माध्यम से देखा तो उसी सब्जेक्ट में अपना दिल लगा लिया. मन मे ठान लिया कि बनना तो अब एस्ट्रोनॉमर ही है.
एस्ट्रोनॉमर बनने के लिए आर्यन ने अपने माता पिता से जिद्द की कि उसे 5 हजार वाला टेलिस्कोप चाहिए. लेकिन आर्थिक हालात ठीक न होने के कारण आर्यन के माता पिता ने इसके लिए हां नहीं कहा. माता-पिता से न सुनकर कई युवा मायूस हो जाते हैं और अपने सपने को छोड़ देते हैं. लेकिन एस्ट्रोनॉमर बनने की ख्वाहिश लिए आर्यन ने दूसरा रास्ता अपनाया. उसने अपना भोजन कम कर दिया और हर रोज स्कूल पैदल जाने लगा, ताकि सब रुपए (पॉकेट मनी) इकट्ठा कर सके. इस वजह से आर्यन और उसके पिता के बीच नाराजगी भी आई.
आर्यन मिश्रा को सफलता का टैग हम यह देखकर भी दे सकते हैं कि इनके विचार जानने के लिए कई बड़े-बड़े कॉलेज में इनको बुलाने की होड़ लगी रहती है. अब तो आलम यह है कि आर्यन केवल लेक्चर के ही रूप में 30,000 भारतीय रुपए महीने में कमा लेते हैं.
हर माता पिता का यह सपना होता है कि उनका बेटा या बेटी कुछ ऐसा काम करे जिससे वह गर्व करें. ऐसे ही मौका आर्यन ने अपने माता-पिता को दे दिया है. लेकिन अब यही मौका आर्यन एक बार फिर से अपने माता-पिता को देने जा रहा है, क्योंकि इस जनवरी आर्यन अपने माता-पिता को उसी होटल में मेहमान बन रुकवा रहा है, जहां कभी उनके पिता एक गार्ड थे. एक बाप के लिए बेटे की तरफ से इससे बड़ा तोहफा और कुछ नहीं हो सकता.
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