पॉजिटिव स्टोरी

एक ही परिवार के चारों भाई-बहन बने आईएस-पीसीएस, ऐसे हासिल की सफलता

दुनिया में रिश्ते तो बहुत होते हैं लेकिन एक रिश्ता ऐसा होता है जो हमेशा लड़ता रहता है लेकिन इसके बावजूद भी वो कभी अलग नहीं होते हैं। इस रिश्ते में नोक झोंक तो हमेशा से ही चलती रहती है लेकिन इन रिश्ते के बीच जो प्यार होता है वो एकदम निश्चल और पावन होता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं भाई बहन के रिश्ते की। इस रिश्ते की एक खासियत यह भी है कि इसमें हमेशा लड़ाई झगड़ा होता है लेकिन वक्त आने पर हमेशा ये एक-दूसरे का हाथ थामे खड़े रहते हैं। आज हम आपको ऐसे ही भाई बहन की कहानी बताएंगे जिन्होंने एक साथ अपने परिवार का नाम रौशन किया और हमेशा एक-दूसरे से कंधा मिलाए खड़े रहें।

इन चारों भाई बहनों ने एक-दूसरे का साथ दिया और आज वो सभी प्रशासनिक सेवा में स्थानांतरित हैं। बता दें कि प्रतापगढ़ निवासी अनिल मिश्रा के चार बच्चें हैं और वो चारों ही देश के सर्वोच्च सेवाओं में एग्जाम क्वालीफाई करके अधिकारी पद पर हैं। अनिल मिश्रा के चारों बच्चों के नाम हैं योगेश मिश्रा, क्षमा मिश्रा, माधवी मिश्रा और लोकेश मिश्रा। बता दें कि अनिल मिश्रा के चारों ही बच्चों ने देश की सर्वोच्च सेवाओं के एग्जाम को क्वालीफाई किया।

कौन कहां पदस्थापित है

योगेश मिश्रा: अनिल मिश्रा के बेटे योगेश मिश्रा आईएएस हैं और इस समय कोलकाता में राष्ट्रीय तोप एवं गोला निर्माण में प्रशासनिक अधिकारी हैं।

क्षमा मिश्रा: अनिल मिश्रा की बेटी क्षमा आईपीएस हैं और क्षमा इस समय कर्नाटका में पोस्टेड हैं।

माधवी मिश्रा: अनिल मिश्रा की दूसरी बेटी माधवी मिश्रा झारखंड कैडर की आईएएस हैं और इस समय केंद्र के विशेष प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में तैनात हैं।

लोकेश मिश्रा: अनिल मिश्रा के बेटे लोकेश मिश्रा ट्रेनी आईएएस हैं और लोकेश इस समय बिहार के चंपारण जिले में ट्रेनिंग कर रहे हैं।

बता दें कि इन चारों ने ही प्रतापगढ़ के लालगंज से 12वीं तक की पढ़ाई की है, जिसमें से सबसे पहले बड़े भाई योगेश और उनकी छोटी बहन माधुरी ने पहली ही बार में आईएएस की परीक्षा क्वालिफाई की और अधिकारी बने। बता दें कि योगेश आईएएस बनने से पहले नोएडा में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर नौकरी कर रहे थे और साल 2013 में उन्होंने आईएएस की परीक्षा क्वालीफाई की।

बता दें जब योगेश नोएडा में बतौर इंजीनियर काम कर रहे थे उस वक्त उनकी दोनों बहनें माधवी और क्षमा दिल्ली में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही थीं। योगेश ने बताया कि रक्षाबंधन के एक दिन पहले ही दोनों के एग्जाम का रिजल्ट आया था और दोनों ही उसमें फेल हो गई थीं, दोनों बुरी तरह से हताश हो गई थीं। लेकिन योगेश उनसे राखी बंधवाने गए और उन दोनों का हौसला बढ़ाया। योगेश ने उसी दिन ठान लिया था कि वो अब सबसे पहले खुद आईएएस बन कर दिखाएंगे, ताकि वो अपने छोटे भाई-बहनों को प्रेरणा दे सकें। जिसके बाद योगेश ने परीक्षा की तैयारी शुरू की और फर्स्ट अटेंप्ट में ही आईएएस बन गए।

बढ़ाया भाई-बहन का हौसला

योगेश ने आईएएस बनने के बाद अपने छोटे भाई-बहनों का मार्गदर्शन किया और फिर एक के बाद एक सभी ने परीक्षा क्वालीफाई किया और सरकारी अफसरों के पद पर स्थानांनतरित हुए। बता दें कि उनकी बहन क्षमा पहले डिप्टी सीएम बनी लेकिन पिछले साल ही वो आईपीएस अधिकारी के रूप में चुन ली गई। जिसके बाद लोकेश भी आईएएस बने और फिर क्षमा ने भी आईपीएस की परीक्षा पास कर ली।

दो कमरों के मकान में होती थी तैयारी

बता दें कि अनिल मिश्रा बैंक में कार्यरत हैं उनके पास महज दो कमरों का मकान था, जिसमें छह लोग एक साथ रहते थे। क्षमा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब घर में मेहमान आ जाते थे तो सबसे ज्यादा प्रॉब्लम होती थी। लेकिन कहते हैं ना कि मन में अगर कुछ पाने की चाहत हो तो कायनात भी उसे मिलाने में लग जाती है। क्षमा ने बताया कि उनका घर जहां पर था वहां पर पढ़ाई के लिए इतनी बेहतर सुविधाएं नहीं थी। दिन-दिनभर लाइट भी नहीं रहती थी। अपने चारों बच्चों की कामयाबी देखकर उनके मां-बाप भी फूले नहीं समा रहे हैं। उनकी मां कृष्णा बताती हैं कि मेरे चारों बच्चे एक से बढ़कर एक हैं और बड़ी बेटी क्षमा चारों में सबसे ज्‍यादा समझदार हैं। अफसर भाई-बहनों ने कभी भी ट्यूशन नहीं लिया।

चारों भाई-बहन सबसे ज्यादा अपनी मां कृष्णा मिश्रा से प्रभावित हैं। क्षमा बताती हैं, “हमारी फ्रेंड सर्किल बहुत बड़ी नहीं थी ऐसे में हम चारों एक-दूसरे के साथ परेशानियों में खड़े रहते थे। आज हम भले ही अफसर हो गए हों, लेकिन हमारी अंडरस्टैंडिंग पहले की तरह अब भी बेहतर है”। वहीं, छोटे भाई लोकेश ने बताया कि हम में से जब भी किसी एक के नंबर कम आते थे तो हम एक-दूसरे को मोटीवेट करते थे।

उनके मां-बाप ने बताया कि उनके चारों ही बच्चे काफी ज्यादा समझदार थे और सभी में आपस में बहुत ज्यादा प्यार था। भले ही इस वक्त वो सभी किसी ना किसी पद पर अलग-अलग जगहों पर हों लेकिन रक्षाबंधन के समय वे सभी एक साथ जरूर मिलते हैं।

 

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