मेहनत, विश्वास और अपने सपनों को पूरा करने का जज्बा जिसके अंदर होता है वो हर परिस्थिति में उनको पूरा कर ही लेता है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए मन में बस उनको पूरा करने का हौसला होना चाहिए। वैसे तो हमने आपको बहुत सी ऐसी कहानियां बताई हैं जिसमें लोगों ने अपने सपनों को पूरा किया और सफलता की उन ऊचाइयों तक पहुंचे जहां पर पहुंचना हर किसी का सपना होता है।
कहते हैं कि कभी भी सफलता एक बार में नहीं मिलती है, उसके लिए आपको कई बार असफलता का मुंह भी देखना पड़ता है, लेकिन उससे हार मानकर कभी भी अपने सपनों का अंत नहीं करना चाहिए। सफलता की सीढ़ी तक पहुंचने के लिए आपको कई बार असफलता भी झेलनी पड़ती है लेकिन असली सिकंदर वहीं कहलाता है जिसे हारी बाजी को जीतना आता है। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताएंगे जिसने हमेशा से ही संघर्ष भरा जीवन जिया लेकिन आज वो जिस मुकाम पर है उसने उसके सभी दुखों को भुला दिया है।
आज की कहानी है एक गरीब किसान के बेटे नीरज की। नीरज ने बहुत ही कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन यापन किया था। अभावों के साथ अपनी जिंदगी बसर की लेकिन उसकी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि आज उसने आईएएस परीक्षा में 27वां स्थान प्राप्त किया है।
नीरज आगरा शहर के शमशाबाद श्यामो के पास मौजूद छोटे से गांव ब्रह्म नगर का रहने वाला है। नीरज ने अपनी मेहनत के बल पर ना सिर्फ अपने माता-पिता बल्कि अपने जिले का नाम भी रौशन किया है। बता दें कि नीरज ने इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस की परीक्षा में पूरे इंडिया में 27वीं रैंक हासिल की है।
हमेशा अभावों से भरा जीवन जीने वाले नीरज ने इस परीक्षा को पास करने के लिए बहुत परिश्रम किया था और इसका फल भी उन्हें मिला। नीरज के पिता केदारनाथ की बात करें तो वो पेशे से एक किसान हैं। इनकी मां का नाम श्रीमती देवी है। वहीं नीरज का बड़ा भाई टेंट लगाने का काम करता है और नीरज की चार बहनें हैं जिनमें सभी की शादी हो चुकी है। बड़े भाई और पिता ने पैसे जोड़ कर नीरज का दाखिला हॉस्टल में कराया था और उसकी पढ़ाई का खर्चा उठाते थे। इतना ही नहीं नीरज की पढ़ाई में उसके दोस्तों ने भी उसका खूब साथ दिया था। मानसिक और आर्थिक दोनों ही तरीकों से वह नीरज की पूरी मदद करते थे।
बात करें नीरज की पढ़ाई की तो पहले उसे पढ़ाई में इतनी दिलचस्पी नहीं थी। हाई स्कूल में भी उसे बस 50 प्रतिशत नंबर ही मिले थे, वहीं 12वीं कक्षा में बैक पेपर देने के बाद वह उत्तीर्ण हो पाया था। लेकिन इसके बाद घर के हालातों को देखते हुए उसने कड़ी मेहनत की और परीक्षा पास कर के एनआईटी “सुल्तानपुर राजकीय इंजीनियरिंग संस्थान” में एडमिशन लिया। जिसके बाद नीरज ने साल 2017 में बीटेक की परीक्षा में टॉप किया था।
बता दें कि इसके बाद नीरज ने अच्छे नंबरों से इंजीनियरिंग में सफलता हासिल की और आज वह जिस मुकाम पर है, उसने अपने साथ-साथ अपने घरवालों और दोस्तों के भी सपनों को साकार किया है, जिन्होंने हर वक्त में उसका साथ दिया।
नीरज की कामयाबी उन सभी लोगों के लिए सीख है जो 10वीं और 12वीं कक्षा में कम अंक आने पर हताश हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि आगे के सभी रास्ते खत्म हो गए हैं। अगर आपके मन में सच्ची लगन और मेहनत करने का दृढ़ निश्चय है, तो हालात चाहे जैसे भी हों आप कामयाबी हासिल कर ही लेते हैं।
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