हिंदू धर्म में लोगों के मन में आस्था का भरपूर भंडार होता है। लोगों के मन में आस्था ही हैं जिस वजह से लोग यहां गाय को माता और गंगा मैया को अपनी मां के समान प्यार करते हैं। हालांकि इस आस्था के पीछे जो उनका विश्वास है वो भी अटूट है। आज हम बात करेंगे गंगा मैया की, जिसे हिंदू धर्म के लोग अपनी मां की तरह मानते हैं और इनकी पूजा करते हैं।
गंगा नदी के साथ लोगों के इमोशन और धार्मिक पहलू भी जुड़े हुए हैं, इतना ही नहीं गंगा मां का पानी जिस पर लगभग 40 प्रतिशत आबादी निर्भर है और वो गंगा नदीं कई लोगो को जिंदगी प्रदान करती हैं। इसके अलावा गगी नदी में रहने वाले जीव जंतु के जीवन यापन का भी यही एक मात्र साधन है। वैसे तो लोग गंगा नदी को गंगा मैया के नाम से पुकारते हैं। उनकी पूजा करते हैं लेकिन इसके बावजूद आज के समय में गंगा मैया की हालत बेहद खराब हो गई है।
लोग गंगा मैया की पूजा तो करते हैं लेकिन उसमें कूड़ा फेंकने से पहले जरा सा भी नहीं सोचते। मां समान इस नदी को कुछ लोगो ने कचरा-खाना बना रखा हैं। बता दें कि सरकार वैसे तो कई तरह की योजनाएं लेकर आ रही है गंगा नदी को साफ करने के लिए। इसे साफ करने के लिए ‘नमामि गंगे’ परियोजना चलाई जा रही है। लेकिन जहां कुछ लोग गंगा नदी में बढ़ने वाली गंदगी पर सवाल उठाते हैं वहीं कुछ लोग खुद उसको गंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
हर कोई गंगा नदी की सफाई को लेकर भाषण तो दे जाता है, लेकिन कोई खुद की जिम्मेदारी नहीं लेता है। दूसरे पर सवाल उठाना और उनसे जवाब मांगना बेहद आसान है, लेकिन खुद व्यक्तिगत रूप से गंगा की सफाई के लिए क्या कर रहा है यह पूछन पर लोगों की जबान पर तालें लग जाते हैं, लेकिन हम आज आपको एक ऐसे आदमी के बारे में बताएंगे जिसने खुद से गंगा मैया की सफाई करने की बीड़ा उठाया है।
हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के रहने वाले कलिपड़ा दास की, जो शायद गंगा मां को साफ करने वाली परियोजना का नाम भी नहीं जानता होगा लेकिन इसके बावजूद भी वो अपनी मर्जी से गंगा मैया की सफाई करने में लगा हुआ है। गंगा नदी में गंदगी ना रहे इसलिए ये शख्स रोजाना इस नदी में से प्लास्टिक का कचरा उससे बाहर निकालता है। कलिपड़ा 48 साल के हैं और वो एक मछुआरे हैं लेकिन उन्होंने तीन साल पहले यह काम छोड़ दिया और गंगा से प्लास्टिक उठाने लगे। उन्हें इस काम पर गर्व होता है।
कलिपड़ा का कहना है कि, “ना तो सरकार और ना ही किसी गैर-सरकारी संगठन को गंगा की चिंता हैं। इसलिए मैं ही कई घाटों से प्लास्टिक उठाने का काम करता हूं”। बता दें कि वो गंगा नदी से प्लास्टिक इकट्ठा करते हैं वो उसे बाद में रिसाइकल के लिए बेच देते हैं। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि कलिपड़ा रोज इस काम को 5 से 6 घंटे का समय देते हैं और इस दौरान वो गंगा नदी से दो क्विंटल प्लास्टिक का कचरा निकालते हैं।
कलिपड़ा द्वारा निकाली गई प्लास्टिक से आप अंदाजा लगा सकते हैं गंगा नदी में हर रोज कितना कूड़ा गिरता है। कलिपड़ा इस दो क्विंटल कचरे को बेच 2400 से 2600 रुपये कमा लेते हैं। वो बताते हैं कि मैं खुद तो पढ़ा लिखा नहीं हूं लेकिन अक्सर पढ़े लिखे लोगो को गंगा में कचरा डालते हुए जरूर देखता हूं। कलिपड़ा द्वारा किया गया ये काम वाकई सराहनीय है, उनसे सभी लोगों को इस तरह से खुद से जागरूक होने की प्रेरणा मिलती है।
Raw Banana Kofta Recipe in Hindi: केले को सदाबहार चीजों की श्रेणी में गिना जाता…
Maa Laxmi Ko Kaise Prasan Kare: जब आप किसी मंदिर में भगवान के दर्शन के…
Dharmendra and Hema Malini`s Famous Movie: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेन्द्र और अभिनेत्री हेमा मालिनी…
Shani Dev Jayanti Kab Hai : ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भगवान शनि देव की…
Keto Burger Recipe in Hindi : पिछले कुछ वर्षों में स्ट्रीट फूड्स ने हर एक…
Astrologer Kaise Bane: एस्ट्रोलॉजी जिसे आमतौर पर बोलचाल की भाषा में ज्योतिषी या ज्योतिष विज्ञान…