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इंसानियत तभी इंसानियत कही जा सकती है, जब यह दूसरों के भी दर्द को समझ पाने के काबिल हो। किसी जरूरतमंद की मदद करना इंसानियत का सबसे बड़ा दायित्व होता है। लोग बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी दूसरों की मदद को लेकर करते हैं, लेकिन जब हकीकत में जरूरत होती है तो अधिकतर लोग पीछे हट जाते हैं। मगर केरल के त्रिशूर जिले के वादूकरा में एक फल विक्रेता जैसन पॉल ने हकीकत में जरूरतमंद लोगों की मदद करने का बीड़ा उठा रखा है। यही वजह है कि वे हर दिन यहां भूखे लोगों को भोजन कराते हैं। ये लोग गरीब हैं। बेघर हैं। बेसहारा हैं।
जैसन पॉल को अपने इस काम में पत्नी बीनू मारिया, एक ऑटो रिक्शा चालक श्रीजीत, एक पूर्व बस चालक शाइन जेम्स, एक वर्कशॉप में काम करने वाले वीए स्माइल, एक गृहिणी एवं एक टीचर का भी सहयोग मिल रहा है। जैसन पॉल की यह टीम बीते दो वर्षों से इस सराहनीय काम में जुटी है। यहां एक जर्जर बस स्टैंड बना हुआ है जो कि अब प्रयोग में नहीं आ रहा। 37 साल के जैसन पॉल अपनी टीम के साथ इसी जगह पर भूखों को भोजन कराते हैं। सबसे पहले ये सभी लोग जैसन पॉल के घर में जमा हो जाते हैं। ये लोग मिलकर यहां भोजन तैयार करते हैं। उसके बाद भोजन लेकर ये लोग बस स्टैंड पर पहुंच जाते हैं और हर दिन कम से कम 175 से 200 लोगों को भोजन कराते हैं। जैसन पॉल बताते हैं कि मदर टेरेसा से उन्हें प्रेरणा मिलती है। उनका उद्देश्य है कि सभी लोगों को स्वच्छ और स्वस्थ भोजन खाने को मिले। यही वजह है कि हफ्ते में छः दिन यानी कि सोमवार से शनिवार तक वे भूखों को भोजन कराने का अपना यह अभियान चलाते हैं।
जैसन पॉल ने मदर जनसेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम से एक संगठन बना रखा है, जिसके तहत वे लोग अपना यह अभियान चला रहे हैं। इससे पहले टीम के सभी सदस्य अलग-अलग तरीके से सामाजिक कार्यों में जुटे हुए थे। सबने मिलकर जरूरतमंदों को भोजन कराने का सोचा। इसके बाद इन्होंने यह संगठन बना लिया। जैसन पॉल बताते हैं कि फल बेचकर वे अपने ट्रस्ट के लिए कुछ पैसे बचा लेते हैं, जिससे कि जरूरतमंदों के लिए भोजन का प्रबंध वे लोग करते हैं। इस तरीके से जैसन पॉल के इस उदाहरण से यह पता चलता है कि यदि सच में जरूरतमंदों की मदद करने की आप चाहत रखते हैं तो कोई-न-कोई रास्ता आप निकाल ही लेंगे। शुरुआत इन लोगों ने जरूरतमंदों के बीच कपड़े बांटने, ब्लड डोनेट करने, रक्तदान शिविरों का आयोजन करने एवं गरीब व मेधावी छात्रों को आर्थिक मदद करने से की थी।
पॉल के अनुसार लोगों को भोजन कराने का यह विचार ग्रुप डिस्कशन के दौरान उभर कर सामने आया। सबसे पहले उन्होंने दलिया बनाकर लोगों को खिलाना शुरू किया। अब वे वेज और नॉनवेज दोनों तरह का भोजन लोगों को करा रहे हैं। भोजन में चावल, सांभर, सब्जी, फिश करी सलाद और अचार आदि शामिल होते हैं। पोल के मुताबिक वेजीटेरियन मील पर हर महीने 5 हजार रुपये खर्च होते हैं, जबकि नॉन वेजिटेरियन मील की व्यवस्था करने में 6 हजार रुपये खर्च होते हैं। धीरे-धीरे इन्हें बाहर से भी लोगों की मदद मिलनी शुरू हो गई है। कई बार लोग एक दिन के पूरे मील को स्पांसर कर देते हैं। इसके अलावा चावल और सब्जी आदि भी वे इन्हें डोनेट करते हैं। पॉल की टीम यह भी सुनिश्चित करती है कि भोजन बर्बाद ना जाए। केले के पत्ते पर वे भोजन परोसते हैं। इस तरह से जैसन पॉल का यह कारवां बढ़ता जा रहा है।
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