भारत में गांवों की प्रधानता आज भी है। आज भी गांवों का महत्व कम नहीं हुआ है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी यही मानना था कि जब तक भारत के गांव उन्नत नहीं होंगे, तब तक उन्नति की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने गांव को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का संदेश दिया था। आज भी बहुत से ऐसे गांव भारत में मौजूद हैं, जो गांधीजी की विचारधारा पर आगे बढ़ते हुए अपनी कामयाबी का मार्ग प्रशस्त करने में लगे हुए हैं।
जो भी गांव अब तक आदर्श गांव के रूप में घोषित किए जा चुके हैं, इसमें केवल केंद्र या फिर राज्य सरकार का योगदान नहीं रहा है, बल्कि इस गांव के रहने वाले लोगों और यहां के सरपंचों ने भी मिलकर अपने गांवों को प्रगतिशील बनाने की कवायद की है। यह सही भी है, क्योंकि जब तक गांव के रहने वाले खुद अपने विकास में योगदान नहीं देंगे, तब तक गांव का विकास संभव नहीं है। हरियाणा के बहादुरगढ़ जिले में स्थित सांखोल गांव में भी गांव वालों ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है। उन्होंने अपने गांव को आदर्श बनाने की ठान ली है और इस दिशा में ये सभी लोग मिलकर प्रयास भी कर रहे हैं।
करीब चार साल पहले यहां युवाओं ने मिलकर संघर्षशील जनकल्याण सेवा समिति के नाम से एक समिति का गठन किया था। युवाओं ने इस समिति के बैनर तले गांव की प्रगति के लिए काम करना शुरू कर दिया। गांव में रहने वाले जितने भी लोग हैं, सभी को इन्होंने गांव के विकास के अभियान से जोड़ने का काम किया है। हर रविवार को 2 घंटे के लिए सभी लोग मिलकर यहां श्रमदान कर रहे हैं। समिति के सदस्य इस बारे में बताते हैं कि सबसे पहले जो पढ़े-लिखे और नौकरीपेशा युवा थे, उन्होंने इस समिति की शुरुआत इस गांव में की थी। धीरे-धीरे गांव के बाकी लोग भी इससे जुड़ते चले गए। इसका नतीजा यह हुआ है कि गांव की प्रगति में आज इस गांव के सभी उम्र के लोग समिति से जुड़कर अपनी ओर से योगदान दे रहे हैं।
सबसे पहले अपने अभियान के तहत 4 साल पहले यहां युवाओं ने साफ-सफाई पर विशेष बल दिया। न केवल साफ-सफाई के लिए उन्होंने अभियान चलाए, बल्कि कई जागरूकता रैलियां भी आयोजित की। गांव वालों को उन्होंने जरूरी मुद्दों से अवगत कराया। फिर छोटे-छोटे प्रयास शुरू कर दिए गए यहां बदलाव लाने के लिए। सार्वजनिक स्थानों पर समिति की ओर से स्वच्छता अभियान चलाए तो जा ही रहे थे, साथ में यहां जितनी भी गलियां और रास्ते हैं या जितने भी चौपाल, सरकारी स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और श्मशान भूमि हैं, सभी की नियमित रूप से साफ-सफाई शुरू कर दी गई। यही नहीं, समिति के सदस्यों ने कचरा जमा करने के लिए डस्टबीन भी यहां लगा दिए हैं।
गांव को हरा-भरा बनाने की पहल भी ये युवा कर रहे हैं। जब भी गांव में लोगों का जन्मदिन होता है या सालगिरह के साथ खुशी का कोई भी मौका होता है तो पौधारोपण से ही इसकी शुरुआत की जाती है। इस गांव में लगभग 45 दुकानें हैं और सभी ने खुद को पॉलिथीन से मुक्त कर लिया है। साथ ही बाकी लोगों को भी पॉलीथिन का इस्तेमाल न करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कपड़े की थैलियां बनाकर गांव वालों के बीच समिति के लोग वितरित कर रहे हैं। गांव में गंदा पानी कहीं भी जमा नहीं होने दिया जा रहा है। दवाई का छिड़काव भी प्रायः किया जाता है। इसके अलावा जो छात्र-छात्राएं परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, उन्हें भारत भाग्य विधाता पुरस्कार देकर भी समिति की ओर से सम्मानित किया जाता है। युवाओं का ये कदम वाकई अन्य गांववालों के लिए भी प्रेरणादायी है।
Raw Banana Kofta Recipe in Hindi: केले को सदाबहार चीजों की श्रेणी में गिना जाता…
Maa Laxmi Ko Kaise Prasan Kare: जब आप किसी मंदिर में भगवान के दर्शन के…
Dharmendra and Hema Malini`s Famous Movie: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेन्द्र और अभिनेत्री हेमा मालिनी…
Shani Dev Jayanti Kab Hai : ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भगवान शनि देव की…
Keto Burger Recipe in Hindi : पिछले कुछ वर्षों में स्ट्रीट फूड्स ने हर एक…
Astrologer Kaise Bane: एस्ट्रोलॉजी जिसे आमतौर पर बोलचाल की भाषा में ज्योतिषी या ज्योतिष विज्ञान…