अपने देश में अक्सर सांप्रदायिक तनाव की खबरें सुनने को मिलती रहती हैं। कई बार देश सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलस चुका है। कुछ लोगों की वजह से सांप्रदायिकता की लगाई गई आग में न जाने कितनी ही जिंदगियां झुलस कर रह जाती हैं। फिर भी हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं, जो सांप्रदायिकता की इस आग को न केवल बुझाने का काम करते हैं, बल्कि अपने प्रयासों से इसे कभी न सुलगने देने की कोशिश भी करते हैं। ऐसे ही लोगों में एक हिंदू युवक भी शामिल है, जो मस्जिद की पूजा बिल्कुल मंदिर की ही तरह कर रहा है।
यह कहानी है बिहार के नालंदा जिले में स्थित गांव मारी की। यहां मुश्किल से तीन हजार लोग रहते हैं। कुछ घर कच्चे हैं तो कुछ पक्के। लोग यहां के बहुत ही सीधे-सादे हैं। छल-कपट की भावना तो इनमें नजर ही नहीं आती। इन्हीं में से एक हैं अजय। पिछले एक दशक से इन्होंने इस गांव में एक मस्जिद की देखरेख की जिम्मेवारी संभाल रखी है। ये बिल्कुल उसी तरह से मस्जिद की देखभाल कर रहे हैं जैसे कि कोई मुस्लिम करता है।
सवाल अब ये खड़ा होता है कि आखिर मस्जिद की देखभाल के लिए यहां कोई मुस्लिम क्यों नहीं है? इस बारे में अजय का कहना है कि उन्हें इस बारे में ज्यादा कुछ तो नहीं मालूम, मगर लोग बताते हैं कि नौकरी के लिए जो बहुत से लोगों ने गांव से पलायन किया, उनमें हिंदुओं से ज्यादा मुसलमान रहे। जब मुस्लिम चले गये, तो मस्जिद की देखभाल करने वाला यहां कोई नहीं बचा। धीरे-धीरे यह सुनसान मस्जिद शराबियों और जुआरियों का अड्डा बन गया। यहां तक कि दिन के वक्त भी वे यहां डटे रहते थे। अजय बताते हैं कि उस वक्त उनकी उम्र करीब 20 साल की थी। हर दिन वे भगवान शिव के मंदिर को तो साफ-सुथरा होते और धुलते हुए देखते थे। हनुमान जी मंदिर में लोगों को पूजा करते देखते थे, मगर मस्जिद में ऐसा कुछ नहीं दिखता था। उल्टा मुस्लिमों की इस पवित्र जगह पर लोग शराब पीते थे। गाली-गलौज करते थे। अजय के मुताबिक उनसे यह सब देखा नहीं गया। उसी दिन उन्होंने ठान लिया कि अब से वे इस मस्जिद की देखभाल की जिम्मेवारी संभालेंगे।
अजय कहते हैं कि अल्लाह की भी शायद यह मर्जी थी, तभी तो हमारे दिल में उन्होंने इसके लिए जुनून पैदा कर दिया। सबसे पहले तो अजय ने दोस्तों के साथ मिलकर शराबियों को यहां से खदेड़ना शुरू किया। जो दरवाजे टूटे थे, उनकी मरम्मत शुरू करवाई। पान-तंबाकू के कारण जो फर्श गंदे हो चुके थे, उनकी सफाई की। शराब की बोतलें फेंकी। जंगल-झाड़ को साफ किया। दूसरे गांव भी गये और वहां के मुस्लिम दोस्तों से इसके बारे में सलाह ली। अजान की रिकॉर्डिंग उन्होंने मौलवी से करवा ली और पेन ड्राइव में इसे गांव लेकर आ गये। नमाज अदा करना भी इन्होंने सीख लिया। अजान के लिए उन्होंने पहले दिन सुबह का अलार्म भी लगा दिया। अजय बताते हैं कि अलार्म बजने के बाद वे तेजी से उठे। जल्दी से ठंड में भी नहाया और मस्जिद की ओर दौड़ पड़े।
करीब 10 साल बीत चुके हैं। इस मस्जिद में पांचों वक्त की नमाज हो रही है। बजरंगबली के मंदिर में जिस तरह से धूप दी जाती है, वैसे ही यहां वे लोबान जला रहे हैं। अजय कहते हैं कि कुछ लोग धर्म बिगड़ने की बात कहते हैं, लेकिन मैं भले ही नमाज पढ़ रहा हूं, मगर मैंने हनुमान चालीसा पढ़ना नहीं भूला है। जितनी कृपा मुझ पर भगवान भोलेनाथ और बजरंगबली की है, उतनी ही अल्लाह की भी। सब मेरे घर में ठीक हैं। फिर भला मेरा धर्म कैसे बिगड़ गया?
अजय पेशे से राजमिस्त्री हैं। वे मस्जिद की मरम्मत भी कराना चाह रहे हैं। वर्तमान में अजय 32 साल के हो चुके हैं, लेकिन मस्जिद के प्रति उनका जुनून जरा भी कम नहीं हुआ है। मौसम चाहे कैसा भी क्यों न हो, अजय सुबह 4 बजे नहा-धोकर अजान से पहले मस्जिद जरूर पहुंच जाते हैं। अजय ने साबित कर दिखाया है कि सर्वधर्म समभाव ही इस देश की रीत है और इसी में भारत की आत्मा भी बसती है।
Raw Banana Kofta Recipe in Hindi: केले को सदाबहार चीजों की श्रेणी में गिना जाता…
Maa Laxmi Ko Kaise Prasan Kare: जब आप किसी मंदिर में भगवान के दर्शन के…
Dharmendra and Hema Malini`s Famous Movie: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेन्द्र और अभिनेत्री हेमा मालिनी…
Shani Dev Jayanti Kab Hai : ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भगवान शनि देव की…
Keto Burger Recipe in Hindi : पिछले कुछ वर्षों में स्ट्रीट फूड्स ने हर एक…
Astrologer Kaise Bane: एस्ट्रोलॉजी जिसे आमतौर पर बोलचाल की भाषा में ज्योतिषी या ज्योतिष विज्ञान…