एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि हर सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है। फिर वो औरत चाहे एक बीवी हो, मां हो, बहन हो या फिर गर्लफ्रेंड। गर्लफ्रेंड का नाम सुनकर आप सोच में पड़ गए होंगे कि आखिर कैसे ये रिश्ता आपको कामयाब बना सकता है। भले ही आज भारत हर चीज में काफी आगे बढ़ गया हो लेकिन जब गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड की बात आती है, तो इसके पीछे कुछ लोगों की सोच अभी छोटी ही है।
अमूमन लोग बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड के रिश्ते को कबूल नहीं करते हैं, ऐसे में ये मानना कि उसका योगदान आपकी सफलता में है इस बात को हजम करना उनके लिए थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताएंगे जिसकी सफलता के पीछे उसकी गर्लफ्रेंड का हाथ है। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश में रहने वाले मनोज शर्मा की।
जी हां, मनोज शर्मा का जीवन भी संघर्षों से भरा हुआ था। लेकिन उनमें पढ़ने की ललक थी और अपने सपनों को पूरा करने की चाहत। बता दें कि मनोज ने अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए हर वो काम किया जिसके जरिए वो पैसा जमा कर सकें और अपनी पढ़ाई का खर्चा उठा पाएं। कभी मनोज ने अमीरों के कुत्तों को टहलाने का काम किया तो कभी टैंपो चलाया और इसके बाद गर्लफ्रेंड के कहने पर आईपीएस की तैयारी की और पहली ही बार में परीक्षा पास कर ली।
बता दें कि हम जिस मनोज शर्मा की बात कर रहे हैं, वो साल 2005 के महाराष्ट्र कैडर के अधिकारी हैं। उनके जीवन की कहानी को उनके दोस्त अनुराग पाठक ने एक पुस्तक में लिखा है जिसका नाम है 12वीं फेल। बता दें कि मनोज शर्मा 12वीं कक्षा में फेल हो गए थे। लेकिन इस असफलता ने उनका मनोबल नहीं तोड़ा और आज उसी का नतीजा है कि वो एक IPS ऑफिसर बन गए। इस किताब के पब्लिश होने के बाद मनोज शर्मा ने कई इंटरव्यू भी दिए जिसमें उन्होंने अपने बारे में कई बातें बताई हैं।
एक इंटरव्यू में मनोज शर्मा ने बताया कि गांव में शुरुआती पढ़ाई लिखाई होने की वजह से उनकी अंग्रेजी बहुत कमजोर थी। जिसकी वजह से यूपीएससी के इंटरव्यू के दौरान उनसे पूछा गया था कि आपको अंग्रेजी नहीं आती है तो फिर वे शासन कैसे चलाएंगे। इसके साथ ही मनोज को इंटरव्यू के दौरान एक ट्रांसलेटर भी दिया गया। मनोज ने इंटरव्यू में बताया, ‘मैने टेस्ट के दौरान टूरिज्म की स्पेलिंग को टेरिरज्म लिख दिया था’।
मनोज शर्मा की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है, जो 12वीं कक्षा में फेल होने के बाद मौत को गले लगा लेते हैं। लेकिन मनोज नौवीं, दसवीं और ग्यारहवीं में थर्ड डिविजन से पास हुए थे और 12वीं में फेल हो गए थे। जिसके बाद मनोज ने बताया कि उनको लगने लगा कि आगे क्या होगा, क्योंकि रिजल्ट खराब होने के कारण उन्हें अब नौकरी भी नहीं मिलेगी। फिर इन्होंने टैंपो चलाना शुरु कर दिया और फिर इनके घर की स्थिति भी नहीं थी कि वे आगे पढ़ाई कर सके। वे भाई के साथ टैंपो चलाते और एक दिन उनका ऑटो एक एसडीएम ने पकड़ लिया था। उसी का असर मनोज पर पड़ा कि आखिर ये ताकतवर शख्स है कौन, मैं भी इसके जैसा बनूंगा।
उस ऑफिसर से प्रेरणा लेने के बाद मनोज मध्यप्रदेश से ग्वालियर आ गए और वहीं आकर यूपीएससी की तैयारी करने लगे। कई बार मनोज के पास खाने को पैसे और सोने की जगह नहीं होती थी जिसके चलते मनोज भिखारियों के साथ सोते थे और अमीरों के कुत्ते टहलाने लगे। इसी दौरान उन्हें लाइब्रेरी में गार्ड की नौकरी मिल गई। यहां पर रात में ड्यूटी देते समय वो किताबें भी पढ़ने लगे थे।
वहीं जब आगे की तैयारी के लिए मनोज दिल्ली आए तो यहां पर उनकी एक गर्लफ्रेंड बनी। लेकिन अंग्रेजी कमजोर होने के कारण वो मेन्स नहीं निकाल पा रहे थे। मनोज ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि वे जिस लड़की से प्यार करते थे उससे कहा कि तुम साथ हो तो वह दुनिया पलट देंगे। इसके बाद गर्लफ्रेंड ने हमेशा उनका साथ दिया और उन्हें हमेशा सपोर्ट करती रही। जिसके चलते चौथे अटैम्प्ट के बाद मनोज ने आईपीएस की परीक्षा पास कर ली और अब उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है।
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