पॉजिटिव स्टोरी

इस गांव के 75 घरों में से 47 घरों मे हैं आईएएस अफसर, यहां की बेटियां भी नहीं हैं किसी से कम

Madhopatti Village Jaunpur: बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश ऐसे जिला है जहां से देश को सबसे ज्यादा आईएएस और पीसीएस अफसर मिलते हैं और इस बात का जिक्र तो स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। हालांकि, भले ही साक्षरता के मामले में बिहार पीछे हो लेकिन देश को आईएएस और पीसीएस अफसर भी सबसे ज्यादा यही से मिलते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे जहां पर उस गांव का हर एक वयक्ति ऑफिसर है। जी हां, हम जिस गांव की बात कर रहे हैं वहां पर कुल 75 घर हैं जिसमें से 45 घर आईएएस अफसर के हैं।

जौनपुर का माधोपट्टी गांव [Madhopatti Village Jaunpur]

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का छोटा सा गांव है माधोपट्टी गांव (Madhopatti Village Jaunpur)। यह राजपूतों का गांव है। इस गांव की खास बात यह है कि इस गांव में महज 75 घर ही हैं और उन 75 घरों में अब तक 47 आईएएस ऑफिसर देश को मिल चुके हैं। बता दें कि इस गांव में युवकों के बीच प्रतियोगी परिक्षाओं की भाग लेने की होड़ अंग्रेजी शासन से ही शुरू हो गई थी। सबसे पहले इस गांव के मुस्तफा हुसैन साल 1914 में पीसीएस में चयनित हुए थे। उसके बाद साल 1952 में इसी गांव के इंदु प्रकाश सिंह ने आईएएस परीक्षा में 13वां स्थान प्राप्त किया था। इन दो लोगों के सरकारी सेवाओं में चयनित होने के बाद इस गांव के युवाओं के बीच आईएएस-पीसीएस बनने की होड़ सी मच गई थी।

एक घर के 4 भाइयों ने पास की परीक्षा

बता दें कि इस गांव के नाम एक रिकॉर्ड और है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव के एक ही परिवार के चार भाइयों का सेलेक्शन आईएएस में हुआ था। साल 1955 में सबसे पहले घर के बड़े भाई विनय ने सिविल सर्विस की परीक्षा पास की। बता दें कि विनय बाद में बिहार के प्रमुख सचिव के पद पर भी तैनात रहे। जिसके बाद घर के दूसरे बेटे छत्रपाल सिंह और तीसरे बेटे अजय सिंह ने साल 1964 में सिविल सर्विस की परिक्षा पास की और इसके बाद घर के सबसे छोटे बेटे शशिकांत सिंह ने भी साल 1968 में सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इतना ही नहीं इस परिवार की कामयाबी का सिलसिला यहीं पर नहीं थमा। शशिकांत के बेटे यशस्वी ने भी साल 2002 में आईएस की परीक्षा पास की और इस परीक्षा में उन्होंने 31वीं रैंक हासिल की। एक ही घर के इतने सदस्यों का एक साथ सरकारी नौकरी में अधिकारी पद पर चयनित होने का रिकॉर्ड आज तक कायम है।

Image Source: Thebetterindia.com

बेटियां भी नहीं किसी से कम

बता दें कि जौनपुर के माधोपट्टी गांव (Madhopatti Village Jaunpur)  के बेटे ही नहीं बल्कि यहां की बहू बेटियों ने भी इस गांव का कीर्तिमान स्थापित किया है। माधोपट्टी गांव (Madhopatti Village Jaunpur) की आशा सिंह साल 1980 में, उषा सिंह साल 1982 में, कुंवर चंद्रमौल सिंह साल 1983 में और उनकी पत्नी इन्दू सिंह साल 1983 में, इन्दू प्रकाश सिंह के बेटे अमिताभ साल 1994 में और उनकी पत्नी सरिता सिंह ने साल 1994 में ही सिविल परीक्षा पास कर आईपीएस चुने गए।

पीसीएस की है भरमार

इस गांव में पीसीएस ऑफिसर्स की तो भरमार है। गांव माधोपट्टी के ही राममूर्ति सिंह, विघाप्रकाश सिंह, प्रेमचंद्र सिंह, महेन्द्र प्रताप सिंह, जय सिंह, प्रवीण सिंह और उनकी पत्नी पारूल सिंह, रीतू सिंह, अशोक कुमार प्रजापति, प्रकाश सिंह, राजीव सिंह, संजीव सिंह, आनंद सिंह, विशाल सिंह उनके भाई विकास सिंह, वेदप्रकाश सिंह, नीरज सिंह का नाम इस देश के आईपीएस ऑफिसरों की लिस्ट में शुमार है। बता दें कि साल 2013 में इस गांव की बहू शिवानी सिंह ने भी पीसीएस की परीक्षा पास कर गांव का नाम रौशन किया था।

हर पेशे में हैं कामयाब

बता दें की सिर्फ सरकारी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी इस गांव के युवक-युवतियां किसी से कम नहीं हैं। कोई वैज्ञानिक है तो कोई लेखन के क्षेत्र में अपना नाम कमा चुका है।

सुविधाओं की है कमी

जौनपुर का माधोपट्टी गांव (Madhopatti Village Jaunpur) में बेसिक सुविधाओं की बात करें तो इस मामले में ये काफी पीछे है। जौनपुर के मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूरी में स्थित इस गांव की पहचान इसमें प्रवेश करने के लिए बना मुख्य द्वार है। बता दें कि इस गांव में अक्सर ही लाल और नीली बत्ती की गाड़िया देखने को मिल जाती हैं। देश को 47 ऑफिसर देने वाले इस गांव के लोग भले ही अपनी काबिलियत के बल पर इस मुकाम तक पहुंचे हों, लेकिन अगर यहां पर मिलने वाली बुनियादी सुविधाओं जैसे स्वच्छता, पानी, स्कूल की बात करें तो इस मामले में यह गांव काफी पिछड़ा हुआ है। ना तो इस गांव में अस्पताल है और ना ही एटीएम। यहां तक की इस गांव में बिजली सुविधा का भी हाल खस्ता हालत में है।

अब सवाल यह उठता है कि जब इस गांव ने देश को इतने अव्वल दर्जे के अधिकारियों की सौगात दी है तो फिर यह इतना पीछे कैसे है। क्या इस गांव पर अब तक सरकार की नजर नहीं पड़ी है या फिर नजर पड़ने के बाद भी इसको नजर अंदाज किया जा रहा है। यदि इस गांव की बुनियादों सुविधाओं को पूरा कर दिया जाए तो इस गांव से देश को अच्छे कोहिनूर जैसे ऑफिसर्स मिल सकते हैं।

Facebook Comments
Shikha Yadav

Share
Published by
Shikha Yadav

Recent Posts

हिमाचल प्रदेश की वो झील जहां अंधेरे में आती हैं परियां, जानें क्या है इस फेमस लेक का राज़

Facts About Chandratal Lake In Hindi: भारत में हज़ारों की संख्या में घूमने की जगहें…

1 week ago

घर में ही शुगर लेवल को ऐसे करें मैनेज, डॉक्टर के चक्कर काटने की नहीं पड़ेगी ज़रूरत

Blood Sugar Control Kaise Kare: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई बीमारियों को समाज…

1 week ago

इन बीमारियों का रामबाण इलाज है गोंद कतीरा, जानें इस्तेमाल करने का सही तरीका

Gond Katira Khane Ke Fayde: आयुर्वेद विज्ञान से भी हज़ारों साल पुराना है। प्राचीन ग्रंथों…

2 weeks ago

दिलजीत दोसांझ को फैन के साथ किया गया फ्रॉड, सिंगर के इस कदम ने जीता सबका दिल

Diljit Dosanjh Concert Scam: भारतीय गायक दिलजीत दोसांझ किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे…

3 weeks ago

आखिर क्या है वायु कोण दोष? जानिए ये कैसे होता है और इसके प्रभाव क्या हैं?

Vayu Kon Dosha Kya Hota Hai: पौराणिक मान्यताओं व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना…

4 weeks ago