आज हमारे जीवन का प्लास्टिक एक अभिन्न अंग बन गया है। यह जानते हुए भी कि यह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है, फिर भी बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल हो रहा है। प्लास्टिक के विकल्प को अपनाने की इच्छाशक्ति लोग अपने अंदर जगा नहीं पा रहे हैं। हालांकि, मुंबई की रहने वाली प्रीति सिंह ने ऐसा कर दिखाया है। उन्होंने अपने घर में न केवल खुद को और अपने परिवार वालों को प्लास्टिक की आदत से आजाद कर लिया है, बल्कि अपने घरेलू खर्च में भी 25 फ़ीसदी तक कटौती कर ली है। पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक गृहिणी ने व्यक्तिगत तौर पर यह बड़ा कदम उठाया है।
किसी भी बड़ी चीज की शुरुआत एक छोटी-सी घटना से ही होती है। प्रीति के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। प्रीति के यहां जो कामवाली आती थी, उसने एक दिन उनसे कहा कि उसकी एड़ियों में बहुत दर्द हो रहा है। कई बार इनसे खून भी निकलने लगता है। प्रीति के मुताबिक उनकी कामवाली ने उनसे कोई अच्छी क्रीम देने के लिए कहा। उस वक्त उनकी मां घर पर आई हुई थीं। प्रीति के अनुसार उनकी मां ने जब यह सुना तो उन्होंने उनसे एक मोमबत्ती और थोड़ा तेल मांगा। कुछ ही समय में उन्होंने दोनों को मिलाकर एक तेल तैयार कर दिया और उस कामवाली को दे दिया। बाद में जब वह कामवाली आई तो उसने बताया कि इस तेल से उन्हें बहुत राहत मिली है। उसकी एड़ियां पूरी तरह से ठीक हो गई हैं।। बस फिर क्या था, प्रीति ने अपनी मां से कई तरह के तेल और क्रीम बनाने के बारे में सीख लिया। घर पर ही उन्होंने अब हैंड वॉश, लिप बाम, डिटर्जेंट, फ्लोर क्लीनर और शैंपू कंडीशनर जैसे प्रोडक्ट्स बनाने शुरू कर दिए।
इस तरह से प्रीति अपने घर में 30 से भी अधिक प्रोडक्ट्स बना ले रही हैं। यही नहीं प्लास्टिक को उन्होंने अपने जीवन से पूरी तरह से हटा दिया है। ग्रॉसरी शॉपिंग के लिए बाहर जाते वक्त वे कपड़े का थैला या फिर डब्बा लेकर जाती हैं। प्रीति बताती हैं कि छोटी-मोटी चीज यदि उन्हें खरीदनी होती है तो हाइपर मार्केट जाने की बजाय वे घर के आस-पास ही छोटी किरानों की दुकान पर डब्बे लेकर पहुंच जाती हैं। शुरुआत में उन्हें अंदाजा नहीं था। वे कम या ज्यादा डब्बे भी लेकर चली जाती थीं, लेकिन अब धीरे-धीरे उन्हें आईडिया हो गया है कि कितने डिब्बे साथ लेकर जाना है।
प्रीति के इस कदम के उठाए जाने से लाभ यह हुआ है कि उनके घर के आसपास के किराना दुकान वाले, दूध देने वाले और बेकर्स तक यह समझ गए हैं कि प्रीति कोई भी सामान पॉलिथीन में नहीं लेने वाली हैं। ऐसे में वे भी अपनी तरफ से प्रीति की मदद करने की कोशिश करते हैं। इस तरह से दुकानदारों के साथ भी प्रीति के संबंध और बेहतर हो गए हैं।
अपने घर में प्लास्टिक और गीले कचरे को भी प्रीति अलग-अलग कर लेती हैं। इन्हें वे हफ्ते में एक बार फेंकने के लिए जाती हैं। प्रीति के मुताबिक खट्टे फलों के अवशेषों को वे बायोएंजाइम बनाने के लिए रख लेती हैं। साथ ही गीले कचरे को जमा करके उसकी टोकरी वे एक स्कूल के माली को हफ्ते में एक बार दे देती हैं, जिससे कि वह खाद बना सके। प्रीति के अनुसार कचरे का वर्गीकरण कर देने से आराम रहता है और पर्यावरण के भी यह अनुकूल होता है।
लाभ को लेकर प्रीति कहती हैं कि इससे एक तो उन्हें बड़ा ही संतोष मिलता है। साथ ही छोटे-मोटे घरेलू प्रोडक्ट्स घर पर ही बना लेने की वजह से उन्हें इन चीजों पर ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है और इस तरह से वे हर महीने करीब 10 हजार रुपये की बचत कर लेती हैं। अब तो प्रीति के दोस्त भी उनसे तेल और क्रीम आदि मंगाने लगे हैं। इस तरीके से उनकी थोड़ी बहुत अब आमदनी भी इसी बहाने होने लगी है।
Maa Laxmi Ko Kaise Prasan Kare: जब आप किसी मंदिर में भगवान के दर्शन के…
Dharmendra and Hema Malini`s Famous Movie: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेन्द्र और अभिनेत्री हेमा मालिनी…
Shani Dev Jayanti Kab Hai : ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भगवान शनि देव की…
Keto Burger Recipe in Hindi : पिछले कुछ वर्षों में स्ट्रीट फूड्स ने हर एक…
Astrologer Kaise Bane: एस्ट्रोलॉजी जिसे आमतौर पर बोलचाल की भाषा में ज्योतिषी या ज्योतिष विज्ञान…
Benefits Of Ice On Face In Hindi: चेहरे को सुंदर बनाने के लिए लोग तरह-तरह…