पॉजिटिव स्टोरी

मां घर-घर जाकर करती थी काम और पिता इलेक्ट्रीशियन, बेटे ने IPS बन रोशन किया नाम

Youngest IPS Safin Hasan: मन में मंजिल पाने की चाहत हो और अपने सपनों का साकार करने का हौसला फिर दुनिया की कोई भी ताकत आपको कामयाबी पाने से नहीं रोक सकती है। भले ही आपकी राहों में कितनी भी मुश्किलें आएं, कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़े, लेकिन इन सबके बावजूद भी अगर आपने हार नहीं मानी है और अपनी मंजिल को पाने के लिए डटकर खड़े रहे हैं तो कामयाबी आपके कदम जरूर चूमेगी।

आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स की कहानी बताएंगे जिसने अपने जीवन में हर बुरा दौर झेला, हर उन हालातों से गुजरा जिसमें पड़कर अक्सर लोग अपनी हिम्मत हार जाते हैं लेकिन सफीन हसन वो शख्स हैं जिन्होंने हर चुनौती का डटकर सामना किया और आज वो एक आईएएस ऑफिसर बन गए हैं। जी हां, आज हम आपको गुजरात के सूरत शहर में रहने वाले सफीन हसन के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपनी जिंदगी का सपना पूरा किया और अपने मां-बाप को गौरांवित किया।

माता-पिता के पास नहीं थी नौकरी

सफीन के माता-पिता सूरत के एक डायमंड यूनिट में काम करते थे, उनके घर में सिर्फ उनके माता-पिता ही थे जिनकी कमाई से घर चलता था। लेकिन एक दिन ऐसा आया और उन्होंने समय की ऐसी मार झेली की सफीन के माता-पिता दोनों की ही नौकरी चली गई। दोनों की नौकरी जाते ही घर में खाने तक के लाले पड़ गए। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि उनका पूरा परिवार बिना खाना खाए खाली पेट सो गया। इस तरह से अचानक ही दोनों की नौकरी जाने से घर का माहौल बद से बद्तर हो गया था।

जिस घर में कमाने वाले दोनों शख्स ने ही अपनी नौकरियां खो दी हों तो सोचिए की  उस घर का हाल क्या होगा। उनके बच्चों ने किन मुश्किलों का सामना किया होगा। इस बात की कल्पना कर के ही मन में एक अजीब सी बेचैनी होती है। लेकिन सलाम हो उन माता-पिता और उस बच्चे को जो इन सब परेशानियों के बाद भी उन लोगों ने हार नहीं मानी।

मां ने घर-घर जाकर बनाई रोटियां, पिता ने बेची चाय

नौकरी जाने के बाद घर का गुजारा करना काफी मुश्किल हो गया था। जिसके बाद सफीन की मां ने घर-घर जाकर खाना बनाना शुरू कर दिया। वहीं सफीन के पिता ने भी इलेक्ट्रीशियन का काम करना शुरू किया औऱ ठंड के महीनों में वो अंडे और चाय की ठेली लगाते थे। इस तरह से सफीन के माता-पिता ने अपनी रोजी रोटी कमानी शुरू कर दी। इसके बाद एक बार फिर से उनके घर की हालत कुछ बेहतर हुई।

हालातों से लड़कर सपने किए साकार

हालांकि घर को चलाने के लिए सफीन के मां-बाप ने काम शुरू कर दिया था, लेकिन घर की स्थिति ज्यादा बेहतर नहीं हो पा रही थी। सफीन को अपनी हर छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करने में काफी कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन इन सबके बाद भी सफीन ने हिम्मत नहीं हारी और उस वक्त मिलने वाले मौजूदा संसाधनों के साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।

अपने सपनों को मंजिल तक पहुंचाने के लिए सफीन दिन रात मेहनत कर रहे थे। स्कूल की पढ़ाई खत्म होने के बाद ही सफीन ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग (National Institute of Engineering) में एडमीशन लिया। जिसके बाद उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी। मां-बाप की नौकरी जाने से भले ही घर के हालात खराब हुए हों लेकिन उन सभी के मन में संकल्प शक्ति बहुत ही दृढ़ थी।

गांव में आए एक डीएम से हुए थे प्रभावित

सफीन ने इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमीशन ले लिया और पढ़ाई भी कर रहे थे, लेकिन एक बार उनके गांव में एक डीएम विजिट करने के लिए आए हुए थे। उस डीएम को देखकर सफीम उनसे बहुत ज्यादा प्रभावित हुए। जिसके बाद उन्होंने मन ही मन यह निश्चय कर लिया कि अब जो भी हो यूपीएससी की परीक्षा को क्लियर करना है।

डीएम का रूतबा देखकर वो बहुत अधिक प्रभावित हुए थे और बस उसके बाद से ही सफीम ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। इस परीक्षा को सफल करने के लिए उन्होंने जीतोड़ मेहनत की और जिसका फल भी उनको मिला।

दुर्घटना के बाद भी हौसला रहा बरकरार

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यूपीएससी की तैयारी करने के लिए सफीन ने दिल्ली का रूख किया, क्योंकि यहां पर इन परीक्षाओं की तैयारियां करवाने के लिए काफी अच्छे संस्थान हैं। सफीन दिल्ली में 2 साल तक रहे लेकिन दिल्ली में रहना और पढ़ना बेहद खर्चीला है इसलिए अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्हें गुजरात के एक पोलारा परिवार से मदद लेनी पड़ी।

किसी तरह हालातों से लड़ते हुए और उनका सामना करते हुए सफीम ने पहली बार यूपीएससी के पेपर को अटेम्पट किया लेकिन पेपर के बाद एक दुर्घटना में उनका हाथ बुरी तरह से घायल हो गया। चोट इतनी गंभीर थी कि वो कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे। हालांकि, पहले अटेम्प्ट में वो इसे क्लियर नहीं कर पाए। लेकिन सफीम ने हिम्मत नहीं हारी और फिर दूसरे अटेम्प्ट में सफीन ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा क्लियर कर 570वीं रैंक हासिल की।

सफीम ने साल 2017 में यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा को दूसरे ही अटेम्प्ट में 570वीं रैंक के साथ क्रैक किया। इसे सफीम का दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत ही कहेंगे जिसने इतनी सारी कठिनाईयों का सामना करते हुए उनको हराया और अपनी मंजिल को पा लिया।

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Shikha Yadav

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