धर्म

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जहां शिव ने किया था कुंभकर्ण के बेटे का वध

Bhimashankar Jyotirlinga in Hindi: महाराष्ट्र में भगवान शिव के तीन ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं। एक नासिक में मौजूद त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar jyotirlinga), दूसरा बीड में मौजूद वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath jyotirlinga) और तीसरा है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirlinga)। जो द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से छठां ज्योतिर्लिंग है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मुंबई से पूर्व और पूणे से उत्तर में भीमा नदी के किनारे सह्याद्रि पर्वत पर मौजूद है। अगर आप महाराष्ट्र घूमने आएं तो इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है। इसके पीछे एक कारण है, मान्यता है कि यहां का शिवलिंग काफी मोटा है और इसीलिए इनका ये नाम पड़ा। भीमाशंकर मंदिर के पास से ही भीमा नदी भी बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिलती है। ऐसी भी मान्यता है कि जो भी श्रद्धापूर्वक सुबह सूर्योदय के बाद 12 ज्योतिर्लिगों का नाम जापते हुए भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है। वो सात जन्मों के पापों से मुक्ति पा लेता है।

भीमाशंकर मंदिर का इतिहास (Bhimashankar Temple History in Hindi)

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इस ऐतिहासिक मंदिर का जिक्र शिवपुराण में भी मिलता है। जिसमें वर्णन है कि लंकापति रावण के भाई कुंभकर्ण का भीम नाम का बेटा था। जिनका जन्म ठीक कुंभकर्ण की मृ्त्यु के बाद हुआ था। अपनी पिता की मृ्त्यु भगवान राम के हाथों होने की जानकारी उसे अपनी माता से मिली थी। जिससे गुस्सा होकर भीम ने भगवान राम का वध करने की ठान ली। अपने इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने कई सालों तक कठोर तपस्या की थी। और भीम की इसी तपस्या ले प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे विजयी होने का वरदान दिया। वरदान पाते ही भीम पूरी तरह से निरंकुश हो गया। आलम ये था कि उससे मनुष्य तो मनुष्य देवी देवता तक डरने लगे। उसके अत्याचार से सभी परेशान रहने लगे। उसने देवताओं को युद्ध में परास्त किया और सभी तरह के पूजा पाठ बंद करवा दिए। राक्षस के इस अत्याचार से परेशान होकर सभी देवता शिवजी की शरण में पहुंचे। भगवान शिव ने कोई ना कोई उपाय निकालने का विश्वास दिलाया। और राक्षस भीम से युद्ध कर उसका वध कर दिया। तब भगवान शिव से सभी देवताओं ने अपील की कि वो इसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में विराजमान रहे। जिसको स्वीकार करते हुए भगवान शिव ने आज भी इसी स्थान पर विराजित हैं।

मंदिर की बनावट

भीमाशंकर मंदिर नागर शैली में बना है। कहा जाता है कि 18वीं सदी में इस सुंदर मंदिर का शिखर नाना फड़नवीस ने बनवाया था तो वही मराठा शासक शिवाजी ने इस मंदिर में पूजा पाठ के लिए कई तरह की सुविधाएं दी थी।

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देखने लायक जगह

भीमाशंकर मंदिर के दर्शनों के लिए जाएं तो इस मंदिर के साथ-साथ और भी कई जगह ऐसी हैं जिन्हे आप देख सकते हैं। आपको यहां हनुमान झील, गुप्त भीमशंकर, भीमा नदी की उत्पत्ति, नागफनी, बॉम्बे प्वाइंट, साक्षी विनायक जैसे स्थलों को देखने का मौका भी मिल सकता है। इसके अलावा भीमशंकर लाल वन क्षेत्र और वन्यजीव अभयारण्य द्वारा संरक्षित इस स्थल में पक्षियों, जानवरों और भांति-भांति के फूल और पौधों की भरमार है। जिससे प्रकृति प्रेमियों के लिए ये जगह बेहद खास हो सकती है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जाने का सही समय (Bhimashankar Jyotirlinga)

अगर आप भी भीमाशंकर शिव मंदिर के दर्शनों का प्लान बना रहे हैं तो अगस्त से फरवरी महीने के बीच का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। आप इस दौरान यहां आ सकते हैं। लेकिन यहां के लिए कम से कम 3 दिन ठहरने का प्लान जरूर बनाए। यहां आने वाले यात्रियों के लिए हर तरह की व्यवस्था मौजूद है। होटल से लेकर खाने तक किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता।

भीमाशंकर मंदिर कैसे पहुंचें

आप सड़क व रेल मार्ग के ज़रिए आसानी से यहां पहुंच सकते हैं। सड़के मार्ग से आने के लिए शिवाजीनगर, पुणे से राज्य परिवहन की बसें पकड़ सकते हैं। पुणे से बस द्वारा यहां पहुंचने के लिए लगभग 4-5 घंटे लगते हैं। इसके अतिरिक्त महाशिवरात्रि व हर महीने आने वाली शिवरात्रि पर यहां के लिए विशेष बसों का संचालन किया जाता है।

Also read : 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और उनकी कहानी

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