चैती छठ पूजा हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे लोग बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते है। यह त्यौहार दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव की उपासना के लिए मनाया जाता है। पुरानी कहानियों के अनुसार छठ मैया सूर्य की बहन है। सूर्य देव की उपासना करने से छठ मैया खुश होती है। यह त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र में जिसे चैती छठ पूजा कहते है और दूसरी कार्तिक में जिसे छठ पूजा कहा जाता है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। और वहीं दूसरी तरफ अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, मार्च-अप्रैल महीने में मनाया जाता है। चैती छठ पूजा ज्यादातर भारत के पूर्वी राज्य में मनाया जाता है। कार्तिक छठ की तरह ही चैती छठ भी चार दिन की मनाई जाती है। जिसमे नहाय खाय, खरणा, संध्या घाट और भोरवा घाट शामिल है।
इस पर्व के दौरान शादीशुदा महिलाये अपने पुत्र और परिवार वालो के लिए उपवास रखती है। इस त्यौहार को खासतौर पर बिहार में और नेपाल के कुछ बड़े क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह व्रत 36 घंटो से ज्यादा में ख़त्म होता है। चौथे दिन व्रत को खोल कर एक दूसरे के घर में प्रसाद देते है।
चैती छठ पूजा करने के सभी के अलग-अलग कारण होते है। लेकिन आमतौर पर छठ पूजा सूर्य देव की कृपा पाने के लिये की जाती है। सूर्य देव की कृपा से हमारे शरीर की सेहत अच्छी रहती है। सूर्य देव के खुश होने से हमेशा धन धान्य के भंडार भरे रहते हैं। इसके अलावा छठ माई संतान प्राप्त करती है। लोग अपनी अलग-अलग मनोकामना पूरी करने के लिए ये व्रत रखते है।
बहुत पुरानी बात है, एक प्रियव्रत नाम के राजा थे और उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। वो लोग बहुत खुश रहते थे लेकिन उनके जीवन में सिर्फ एक ही दुःख था कि उनको कोई संतान नहीं थी। राजा ने संतान प्राप्ति के लिए एक बहुत ही बड़ा यज्ञ करवाया। यज्ञ के वरदान से उनकी पत्नी गर्भवती तो हो गयी लेकिन नौवें महीने में एक मरे हुए शिशु को जन्म दिया। यह देख कर राजा को बहुत दुःख हुआ और आत्महत्या करने की सोचने लगे। राजा को दुखी देखकर देवी खाशंती प्रकट हुई और बोली – जो इंसान मेरी सच्चे मन से पूजा करता है उसे संतान जरूर प्राप्त होती है। यह सुनकर राजा ने कड़ी तपस्या की और उन्हें एक सुंदर सी संतान की प्राप्ति हुई। इसके बाद से ही लोग छठ पूजा मनाने लग गए।
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प्रशांत यादव
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