17 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो चुका है. सावन का ये पावन महीना 12 अगस्त तक चलेगा. 12 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार है. इस पूरे महीने भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है. मनचाहा फल प्राप्त करने के लिए भक्त पूरे महीने सच्ची श्रद्धा के साथ भगवान की अराधना करते हैं. वैसे तो इस पावन महीने में आप शिवजी को पूरी श्रद्धा के साथ केवल जल ही चढ़ा दें, तब भी वह प्रसन्न हो जाएंगे. लेकिन शिव पूजा के दौरान कुछ बातें ऐसी होती हैं जिसका ध्यान विशेष रूप से रखना होता है. यदि पूजा के दौरान इन बातों का ध्यान आप नहीं रखेंगे तो न सिर्फ आपकी पूजा व्यर्थ जायेगी बल्कि भोलेनाथ भी नाराज़ हो जाएंगे. दरअसल, शिव की पूजा में एक फूल को चढ़ाना पूरी तरह से वर्जित है. लेकिन लोग जाने-अनजाने में यह गलती कर देते हैं और बाद में पछताते हैं. यदि आप भी सावन का व्रत रख रहे हैं तो आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि शिव की पूजा में किस फूल का इस्तेमाल बिलकुल नहीं करना चाहिए.
भूल के भी न चढ़ाएं भगवान शिव को यह पुष्प [Dont use these Flowers in Shiv Puja]
बता दें, महादेव की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इस फूल को भगवान शिव ने अपनी पूजा से वर्जित कर दिया है. जो कोई भी पूजा के दौरान केतकी के पुष्पों का इस्तेमाल करता है उसकी पूजा अधूरी मानी जाती है. दरअसल, इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है.
ये है कथा
कथा के अनुसार एक बार विष्णु और ब्रह्मा जी में इस बात को लेकर बहस हो गयी कि कौन बड़ा है और कौन छोटा. इस समस्या का निवारण करने के लिए वह शिवजी के पास पहुंचे. इस पर भोलेनाथ ने उनकी इस समस्या का एक हल निकाला. उन्होंने एक शिवलिंग को प्रकट किया और दोनों से कहा कि वह उसके आदि और अंत का पता लगायें. इसके बाद विष्णु जी ऊपर की तरफ चले गए और चलते-चलते काफी दूर निकल गए. काफी दूर तक जाने के बाद भी वह इसका पता लगाने में असमर्थ रहे. वहीं, ब्रह्मा जी इस बात का पता लगाने के लिए नीचे की ओर चले गए. ब्रह्मा जी भी चलते-चलते काफी दूर निकल गए और उन्हें भी कोई छोर न मिला. जब ब्रह्मा जी नीचे की तरफ जा रहे थे तो उनका ध्यान केतकी के एक फूल की तरफ पड़ा जो उनके साथ-साथ चल रहा था. उन्होंने केतकी के पुष्प को मना लिया कि वह भगवान शिव से झूठ कहे कि उन्हें शिवलिंग के आदि और अंत का पता चल गया है. केतकी के पुष्प इस बात के लिए राजी हो गए. ब्रह्मा जी वापस शिवजी के पास पहुंचे और कहा मैंने शिवलिंग के आदि और अंत का पता लगा लिया है. इस बात का सबूत केतकी का पुष्प है. केतकी के पुष्प ने भी इस बात के लिए भगवान शिव के सामने झूठी गवाही दे दी. लेकिन त्रिकालदर्शी शिव को पता चल गया कि केतकी के पुष्प और ब्रहमाजी झूठ बोल रहे हैं. जैसे ही शिवजी को दोनों के झूठ का पता चला उन्होंने क्रोध में ब्रह्मा जी के उस सिर को काट दिया जिसने झूठ कहा था. इसके अलावा उन्होंने केतकी के पुष्पों को को अपनी पूजा में प्रयोग किये जाने से भी वंचित कर दिया.
इन बातों का भी रखना चाहिए विशेष ध्यान
इसलिए शिव पूजा के दौरान केतकी के पुष्प नहीं चढ़ाने चाहिए साथ ही कुछ और बातों का भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए.
1. कभी भी शिव की आराधना करते समय काले रंग के वस्त्र धारण न करें. कहा जाता है कि काले रंग के वस्त्र शिवजी को प्रिय नहीं हैं.
2. इसके अलावा, शिवजी की पूजा में शंख से जल और तुलसी चढ़ाना भी वर्जित है.
3. तीसरी और आखिरी बात, कभी भी महादेव का अभिषेक नारियल पानी से नहीं करना चाहिए.
दोस्तों, उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा. पसंद आने पर लाइक और शेयर करना न भूलें.
Facts About Chandratal Lake In Hindi: भारत में हज़ारों की संख्या में घूमने की जगहें…
Blood Sugar Control Kaise Kare: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई बीमारियों को समाज…
Gond Katira Khane Ke Fayde: आयुर्वेद विज्ञान से भी हज़ारों साल पुराना है। प्राचीन ग्रंथों…
Diljit Dosanjh Concert Scam: भारतीय गायक दिलजीत दोसांझ किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे…
Vayu Kon Dosha Kya Hota Hai: पौराणिक मान्यताओं व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना…
Parsi Death Ceremony in Hindi: दुनिया तेजी से बदल रही है और इसी क्रम में…